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शुभम मिश्रा जैसे लड़कों से लड़कर कैसे जीतती हैं इंडिया की स्टैंड-अप कॉमिक लड़कियां?

जो पहले से ही एक ऐसे फील्ड में हैं जहां लड़कियां बेहद कम हैं

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बाईं ओर से- शुभम मिश्रा, कॉमिक ऐनी ठक्कर, विपाशा मल्होत्रा, और प्रशस्ति सिंह.
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प्रतीक्षा पीपी
14 जुलाई 2020 (Updated: 15 जुलाई 2020, 12:55 PM IST) कॉमेंट्स
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जिस शख्स की तस्वीर आप अपनी फोन स्क्रीन पर देख रहे हैं वो गिरफ्तार हो चुका है. एक फ़ीमेल स्टैंड अप कॉमिक को रेप की धमकी देने के लिए. शायद अब तक आप इस पूरे मसले से रूबरू हो चुके हों. न हुए हों तो शॉर्ट में पढ़ लीजिए.
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इस वीडियो में वो कॉमिक छत्रपति शिवाजी महाराज की नई मूर्ति पर बात कर रही थी. उन्होंने बताया था कि Quora (कोरा- सवाल-जवाब की एक वेबसाइट) पर इस मूर्ति को बनाने के पीछे की क्या-क्या वजहें बताई जा रही हैं. कोरा पर इस जवाब को लिखने वाले व्यक्ति ने कहा था, कि ये मूर्ति जिस चीज़ से बनेगी, वो सोलर पावर वाले सेल बनाने में इस्तेमाल होती है. इस तरह ये मूर्ति पूरी मुंबई के सरकारी ऑफिसों को पावर देने में सक्षम होगी. यही नहीं इसमें ऐसी तकनीक होगी जो अरब सागर में चलने वाली नावों को ट्रैक करेगी. इसलिए ये एक मास्टरस्ट्रोक है.
Quora Answer Shivaji कोरा की वेबसाईट से उस जवाब का स्क्रीनशॉट जिसकी बात कॉमेडियन ने अपने स्टैंड अप में की थी.

स्टैंड-अप कॉमेडियन ने अपने वीडियो में ये जवाब मेंशन किया. जानकारी के लिए बता दें कि ये जवाब जो कोरा पर लिखा गया है ये एक मैसेज है. जो अगस्त-सितम्बर 2018 में काफी वायरल हुआ था. किसी भी दिमागदार इंसान को मुझे ये बताने की ज़रुरत नहीं है कि ये एक फ़ेक मैसेज है. तमाम और फ़ेक मैसेजेस की तरह जो आपके इनबॉक्स में आते हैं. कभी नोट में चिप के बारे में बताते हैं. कभी बताते हैं कि शंख बजाने से किस तरह कोरोनावायरस मर जाएगा. आप खुद सोचें, एक स्टैंड अप कॉमिक के लिए इन खबरों से ज्यादा हास्यास्पद क्या होगा? वो इसपर भी बात न करें, तो किसपर करें?
लेकिन आज कॉन्टेंट पर नहीं, कॉन्टेंट बनाने वालों पर बात होगी. उन लड़कियों की बात होगी जो ट्रोलिंग और अब्यूज के इस माहौल में कॉमेडी कर रही हैं. उनके व्यूज भी सुनने को मिलेंगे. ये बातें हम पॉइंट बाय पॉइंट करेंगे.
पहले बात फील्ड में एंट्री की
आप ज़रा एक मिनट को पढ़ना रोकें. और दिमाग पर जोर डालकर सोचें आपके फ्रेंड सर्कल में कितने लोग हैं जो स्टैंड अप कॉमिक बनना चाहते हैं. शौकिया नहीं. प्रोफेशनल. अब सोचिए उनमें कितनी लड़कियां हैं. रिश्तेदारों में देखिए. स्कूल में देखिए. घर में देखिए. आपको आपका जवाब मिल जाएगा.
कॉमिक प्रशस्ति सिंह लल्लनटॉप से हुई बातचीत में कहती हैं:
"समय के साथ चीज़ें काफी बदली हैं. मैंने 3 साल पहले ओपन माइक करना शुरू किया. इंडस्ट्री तो इस चीज़ को लेकर ओपन है. लेकिन दिक्कत दुनिया-समाज की है. जैसे हम लेडीज नाईट करते थे. उसमें हमेशा ये डर था कि क्या लड़कियां आएंगी. क्या स्टेज पर बोलने का कॉन्फिडेंस होगा. देखिए लड़का अगर इंट्रोवर्ट है या कोई और दिक्कत फेस कर रहा है. और लड़की भी वही दिक्कत फेस कर रही है. तो चांस ये ज्यादा होता है कि लड़का उससे लड़ लेगा. हम अपनी बेटियों को ऐसे बड़ा करते हैं कि एक ओपन माइक करना ही अपने आप में एक ऊंची छलांग है."

प्रशस्ति आगे कहती हैं,
"मैंने तो 30 की उम्र में शुरू किया. इंजीनियरिंग, MBA करके कुछ कमा लिया फिर हिम्मत आई. लड़कियों के लिए 20-21 की उम्र में शुरू करना बहुत मुश्किल हो सकता है. लड़कों के लिए असान है. मुझे उन लड़कियों पर बहुत गर्व होता है जो हर चीज़ से लड़कर कम उम्र से ही इस फील्ड में आती हैं. अंदर से बहुत हिम्मत चाहिए."
वहीं स्टैंड अप के फील्ड में पुराना चावल कहलाने वाली नीति पलटा कहती हैं:
"एक लंबे समय तक तो फीमेल कॉमिक का कांसेप्ट ही नहीं था. औरतों से तो वैसे भी शांत स्वभाव की उम्मीद की जाती है. ऐसे में वो स्टेज  पर हो और बात करे तो ये लोगों को कुछ हजम नहीं होता. जिस शो में हम कॉमेडी करने गए, वहां कई बार लोगों ने हमें एमसी यानी शो का होस्ट समझ लिया. क्योंकि हम लड़कियां थीं.
लड़का स्टेज पर आता है तो लोगों को लगता है चलो थोड़ा फनी तो होगा. लड़की स्टेज पर आती है तो सबसे पहले उसको सब स्कैन करते हैं. क्या पहनकर आई है. कैसी दिखती है. उसके बाद कहीं औरत को सुने जाने का नंबर आता है.
सबके शो बुरे जा सकते हैं. लड़कों के भी शो बुरे जाते हैं. लेकिन एक लड़का फनी न हो तो कोई ये  नहीं कहता कि लड़के फनी नहीं होते. मगर एक लड़की फनी न हो तो कहते हैं, लड़कियां फनी नहीं होतीं. ऐसा लगता है जितनी बार लड़कियां स्टेज पर जाती हैं, पूरे जेंडर का बोझ लेकर जाती हैं. कुछ गलत हो जाए तो दुनिया की सभी लड़कियों की हार हो जाती है. ये फेयर नहीं है.
मेरे साथ और भी अजीब चीजें हुई हैं. जिस कॉर्पोरेट क्लाइंट के लिए परफॉर्म करने जाना था, एक बार उसने पूछा कि मैं क्या पहनूंगी. आप ये कह सकते हैं कि बुरे कपड़ों में मत आना. मेरी ड्रेस कैसे पूछ सकते हैं? वैसे हुआ तो ये भी है कि एक क्लाइंट ने मेरी मैनेजर से पूछा कि मैं पुरुषों जितने पैसे क्यों मांग रही हूं."  

बात ऑडियंस की
हैना गैड्सबी दुनिया की मशहूर कॉमेडियन हैं. ननेट और डगलस नाम के इनके दो शो नेटफ्लिक्स पर बेहद हिट हैं. अपने शो डगलस में वो बताती हैं कि कैसे उनको लोग अक्सर ये याद दिलाने आते हैं कि तुम फनी नहीं हो. हमें तो तुम्हारे जोक पर हंसी ही नहीं आई. अक्सर कॉमेडी में आने वाली महिलाओं को ये कहा जाता है कि उनका कॉन्टेंट अच्छा नहीं है. क्यों? क्योंकि कई कॉमिक्स ऐसी तीखी बातें बोलना पसंद करती हैं जो पुरुषवादी समाज और सड़ रहे पुराने पुरुषवादी कॉमिक सीन पर सवाल उठाती हैं. महिला कॉमिक्स अपनी भाषा में मुंहफट हैं, वो अपने शरीर, रिश्तों और सेक्स की बातें करने से हिचकती नहीं हैं. जो चीज़ लोगों को परेशान कर जाए. वो भला उन्हें क्यों ही पसंद आएगी.
विपाशा मल्होत्रा बताती हैं:
"लड़की कॉमिक को देखकर कई बार ऑडियंस का चेहरा उतर जाता है. खासकर फैमिली वालों के साथ आए लोग. अक्सर ऐसा होता है कि लड़की को देखकर उनकी एनर्जी डाउन हो जाती है."

नीति कहती हैं, शो अच्छा जाए तो मेल कॉमिक को फनी कहेंगे. लेकिन मुझे बोल्ड कहेंगे. ऐनी ठक्कर बताती हैं, कभी लोगों को कॉन्टेंट पसंद आ जाए तो कुछ आकर कहते हैं कि आप क्यूट हो. इससे आप सोचने पर मजबूर होते हैं कि मेरे कॉन्टेंट का क्या?
कॉमिक्स के मुताबिक़ दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे शहरों में लड़कियों के प्रति ऑडियंस ज्यादा ओपन हैं. लेकिन जयपुर, बनारस, लखनऊ में कभी-कभी दिक्कत होती है. कि उनके जाने पर और मेल कॉमिक के स्टेज पर जाने पर अलग-अलग रिएक्शन आते हैं. प्रशस्ति कहती हैं,
"मुझे नहीं पता लड़के इससे कैसे डील करते हैं. लेकिन मुझे अपना बहुत कॉन्टेंट सेंसर करना पड़ता है. क्योंकि ऑडियंस को कोई भी निराश नहीं करना चाहता है." 
कॉमिक ऐनी ठक्कर कहती हैं,
"हम पीरियड या ब्रेस्ट की बात भी करें तो हमपर टैग लगता है कि फिर वही घिसा-पिटा रोना लेकर आ गई. जोक सुनने के पहले ही लोग स्टीरियोटाइप कर देते हैं."
ट्रोल्स का ट्रॉमा
बीते दिनों स्टैंडअप कॉमिक के साथ हुई हरकत कोई नई चीज़ नहीं थी. लल्लनटॉप से बातचीत में कॉमिक विपाशा मल्होत्रा बताती हैं:
"जब टिकटॉक बैन हुआ तो मैंने वीडियो बनाकर डाली थी. मैंने उसमें एक टिकटॉकर बनने की एक्टिंग की. कि मैं रो रही हूं कि ये बैन हो गया. अब मैं साउंड इफेक्ट पर डबिंग कैसे करूंगी. पहले दिन सबकुछ ठीक था. अगले दिन से अब्यूजिव कमेन्ट आने लगे. कि तुम्हें चाइना चले जाना चाहिए. वेश्या पुकारने लगे. मुझे समझ में नहीं आया ये आ कहां से रहा है. फिर मैंने देखा कि मेरे वीडियो को इस तरह शेयर किया गया कि मैंने सचमुच टिकटॉकर हूं और खूब रो रही हूं. पहली बात तो वीडियो में मैंने एक्टिंग की थी. लेकिन अगर ना भी की होती. अगर सचमच मैं टिकटॉकर होती और उसके जाने से दुखी होती. तो भी देशद्रोही पुकारा जाना कितना ठीक है? रेप की धमकी देना कितना ठीक है?"
विपाशा अपने साथ हुए इस ट्रोल-हादसे के बारे में आगे बताती हैं,
"पीछे जाकर पुरानी चीजें डिलीट करना बहुत ट्रॉमेटिक होता है. उन्होंने मेरा वीडियो फेक न्यूज की तरह शेयर किया. एक संगठित तरीके से लोग काम पर लग गए. इमोशनल चीजें जोड़ी उसमें. फौजी के साथ तस्वीर लगा दी. देशभक्ति के नाम पर लोगों को भड़काया. पहले मैंने सबसे अपील की इनको रिपोर्ट करने में मेरा साथ दें. लेकिन एक वक़्त के बाद कोई ऑप्शन नहीं बचा. खुद को दूर कर लिया मैंने इनसे. ऐसा लगा सिर्फ शब्दों से ही मेरे आत्मसम्मान को छलनी कर दिया गया है."
नीति बताती हैं, एक कॉर्पोरेट शो के बाद मेरे क्लाइंट का क्लाइंट मेरे पीछे पड़ गया. घर छोड़ आऊं, गाड़ी तक छोड़ आऊं. यही लोग एक घंटे पहले कॉन्टेंट पर लेक्चर दे रहे होते हैं. दो ड्रिंक्स बाद ये खुद का असली रूप दिखा देते हैं.
प्रशस्ति बताती हैं,
"मेरा पहला वीडियो कैजुअल रिलेशनशिप पर था. लोगों ने बार-बार कहा कि मैं फनी नहीं हूं. मैंने सोचा हां शायद फनी नहीं होगा. लेकिन फिर देखा वो और किस तरह की बातें लिख रहे हैं. गालियां दे रहे हैं. उन्हें लगा कि मैं जीवन में सिर्फ सेक्स करती हूं."
ऐनी कहती हैं,
"अगर आप इंटरनेट पर जोक में सेक्स लिख दो तो लोग इनबॉक्स में आकर कहते हैं ब्रेस्ट दिखाओ. ये अधिकार उन्हें कौन देता है?"
प्रशस्ति के मुताबिक़,
"समय के साथ ट्रोल्स की परवाह करना बंद कर देते हैं हम. हमें पता लगता है इनके लिए खुद का या अपने कॉन्टेंट को बदलने का कोई फायदा नहीं है. मुझे तो ये लगता है कि ये सारे ट्रोल इतने यंग हैं. 16 से 25-26 साल के. ये कितने खाली हैं? ये क्या इनकी फुल टाइम जॉब है?"
डर
ऐनी ठक्कर कहती हैं, इंडस्ट्री के अंदर लोग सपोर्ट करते हैं. लेकिन फिर भी किसी कमरे में आप अकेली लड़की हों तो थोड़ी घबराहट तो होगी न."
प्रशस्ति एक ज़रूरी बात कहती हैं:
"एक तो वैसे भी ऑफिस ऑवर्स के बाद कॉमेडी नाइट्स होती हैं. ओपन माइक या शोज़ में आने के पहले हमें वैसे ही लगता है कि यार अपने मन की बातें बोलने जा रही हूं लोगों के सामने. जाने क्या रिस्पॉन्स होगा. ऊपर से ये भी सोचना होता है कि देर रात घर वापस आना है. अकेले आना है. मुंबई तो फिर भी सेफ़ है. दिल्ली-बेंगलुरु में परफॉर्म करने के बारे में सोचिए!"
अब वापस आते हैं रेप थ्रेट्स पर.
एक कॉमिक ने जोक बनाया तो शुभम नाम के 26 साल के लड़के को लगा कि ये शिवाजी का अपमान है. और उसने इस बात का विरोध करने के लिए कॉमिक को रेप की धमकी दी. यहां तक कहा कि इस तरह रेप करेगा कि लड़की के शरीर के अंदरूनी भाग उसके मुंह से निकल आएंगे. लड़का तो गिरफ्तार हो गया है. लेकिन ये देखना आपको चौंका देगा कि उस लड़के को किस तरह का सपोर्ट जनता से मिला.
ये कहना आसान है कि जो ऑनलाइन धमकी देते हैं वो असल में कुछ नहीं कर सकते. लेकिन अगर आप कभी रिसीविंग एंड पर रहें तो आपको मालूम पड़ेगा कि घर के बाहर कदम रखने में भी कितना असुरक्षित महसूस होता है.
प्रशस्ति कहती हैं,
ह"म कहां होते हैं, सबको पता होता है. हम शो की वेन्यू डालते हैं, टिकट का लिंक डालते हैं. डर तो लगता ही है. लोगों का गुस्सा देखकर लगता है कि कहीं कुछ हो न जाए. लेकिन बैठ नहीं सकते. शो तो करना ही है."
अंग्रेजी की कहावत है- द शो मस्ट गो ऑन. इंडिया ही नहीं, दुनिया भर में फीमेल कॉमिक्स इस कहावत को नए मायने दे रही हैं. लेकिन हम तब तक ये न समझें कि सबकुछ ठीक हो गया है. जबतक कॉमिक्स के नाम के पहले फ़ीमेल लगाकर ये जताने की ज़रुरत पड़ती है कि ये लड़कियां भी हो सकती हैं.
बाकी एक सीरीज है. 'द मार्वेलस मिसेज मेज़ल्स'. उसे खोजकर देखिएगा. उसकी हिरोइन आपको बताएगी कि लोगों को हंसाना मुश्किल है. हील्स पहनकर लोगों को हंसाना और भी मुश्किल.


वीडियो: पीपी का कॉलम: लॉकडाउन में जब आप शौक पूरे कर रहे थे, आपकी मां क्या कर रही थीं?

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