शादी की ये साइट गारंटी दे रही है कि इसपर मौजूद लड़के-लड़कियों ने कभी सेक्स नहीं किया?
आखिर 'वर्जिनिटी' के नाम पर ये हो क्या रहा है?


आगे बढ़ने से पहले, ‘वर्जिनिटी’ होती क्या है ?
बायोलॉजी के हिसाब से वर्जिनिटी का मतलब होता है- हाइमन का अक्षत होना. हाइमन एक टिश्यू होता है डोनट के आकार का. ये वजाइना के अंदर होता ज़रूर है, पर डोनट की तरह, इसमें भी एक छोटा-सा छेद होता है. उसी की बदौलत पीरियड में खून वजाइना के बाहर आ पाता है. हाइमन को एक प्लास्टिक की थैली समझिए. ये एलास्टिक की तरह खींची जा सकती हैं. फट सकती है, पर टूट नहीं सकती. ठीक वैसे ही हाइमन होता है. अगर आपको लगता है कि हाइमन पहली बार सेक्स करते ही गायब हो जाता है, तो आप गलत हैं. ये कहीं जादू से गायब नहीं होता. ये वहीं रहता है. बस वक़्त के साथ-साथ पतला होता जाता है. कई बार पहली बार शारीरिक संबंध बनाते समय हाइमन के खिंचने या उस पर जोर पड़ने से खून आ जाता है. लेकिन ज़रूरी नहीं है कि हर बार ऐसा हो ही.

लेकिन एक वेबसाइट द्वारा इसे शादी के क्राइटेरिया की तरह पेश किया जाना कितना सही है, और इसके पीछे क्या लॉजिक था, ये जानने लिए हमने उनसे खुद बात की.
'ऑडनारी' ने उनके ऑफिशियल फेसबुक पेज से संपर्क किया. जब उनसे पूछा गया कि इस पेज के बारे में उनका क्या कहना है, तो जवाब आया-
"हमारे पेज पर ऐसी किसी सर्विस के बारे में हमें जानकारी नहीं है."जब उन्हें उनकी ही साइट का स्क्रीनशॉट भेजा गया, तो जवाब आया-
"कभी कभी मार्केटिंग वाले लोग कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ जाते हैं. हम ये पेज डिलीट कर देंगे, क्योंकि इसका कोई मतलब ही नहीं है."जब उनसे पूछा गया कि उनकी वेबसाइट पर ये पेज इतने समय से चल रहा है और इस पर किसी का ध्यान क्यों नहीं गया, तो उन्होंने कहा कि संबंधित व्यक्ति इससे जुड़ा जवाब हमें भेज देंगे. उन्होंने ये भी कहा कि ये साफ़ तौर पर एक गलती है. जैसे ही उनका रिस्पॉन्स आता है, वो स्टोरी में जोड़ दिया जाएगा.

‘वर्जिनिटी’ पर इतना फोकस क्यों?
वर्जिनिटी. यानी कौमार्य. यानी एक ऐसा ‘कॉन्सेप्ट’, जिसका मतलब है कि जब तक लड़कियां शारीरिक सम्बन्ध नहीं बना लेतीं, तब तक वो ‘वर्जिन’ होती हैं. अनछुई. और किस तरह उनका कौमार्य उनके लिए एक बेहद ज़रूरी ‘थाती’ है, जिसे उन्हें संभालकर रखना होता है. ताकि वो शादी के बाद अपने पति को इसे ‘गिफ्ट’ कर सकें. साबित कर सकें कि वो ‘पवित्र’ हैं. कई लोग इसकी आलोचना भी करते हैं. कि इस शब्द का इस्तेमाल अधिकतर लड़कियों की सेक्शुअलिटी कंट्रोल करने और उन्हें नीचा दिखाने के लिए किया जाता है.

महाराष्ट्र के कंजरभाट समुदाय में जब दूल्हा-दुल्हन सुहागरात मनाने जाते हैं, तो उनके बिस्तर पर सफ़ेद चादर बिछाई जाती है. ताकि अगले दिन ये चेक किया जा सके कि दुल्हन को ब्लीडिंग हुई या नहीं, यानी वो ‘वर्जिन’ है या नहीं. खून न निकलने पर बहुत बेइज्जती सहनी पड़ती है दुल्हन को. रिश्ता टूटने की नौबत आ जाती है. जबकि ऐसा कहीं नहीं लिखा कि हाइमन से खून आना ही वर्जिनिटी की निशानी है. कई औरतें बिना हाइमन के पैदा होती हैं, कई का हाइमन खेल-कूद की वजह से टूट जाता है.
चूंकि वर्जिनिटी को लेकर समाज में इतना कंसर्न है लोगों के बीच, तो कई लड़कियों को मजबूरी में खुद को वर्जिन साबित करने के लिए अलग-अलग तरीकों का सहारा लेना पड़ता है.
कई ऐसे प्रॉडक्ट भी उपलब्ध हैं, जो शारीरिक संबंध बनाते समय इस्तेमाल किए जाते हैं. जैसे एक पिल, जिसे 'ब्लड पाउडर वाली पिल' कहकर बेचा जा रहा है. इस पिल को शारीरिक सम्बन्ध बनाने से थोड़ी देर पहले अपनी वजाइना में रखना होता है. उसके बाद शारीरिक सम्बन्ध बनाते समय ये पिल ऐसा आभास देती है, मानो आपको खून आ रहा हो. और इसी के साथ, आप 'वर्जिन' साबित हो जाएंगी.

इसके अलावा भी दो-तीन और उपाय हैं. वर्जिनिटी साबित करने के लिए इनका इस्तेमाल करने पर लड़कियां मजबूर होती हैं. जैसे:
# हाइमनोप्लास्टी नाम की सर्जरी, जिसमें दो-तीन तरीकों से हाइमन जोड़ दिया जाता है. एक में बचा हुआ हाइमन इस्तेमाल किया जाता है. जो थोड़ा बहुत बचा हुआ हाइमन होता है, उसे वापस स्टिच लगाकर सिल दिया जाता है.
# दूसरे इसमें जेलेटिन की कैप्सूल्स इस्तेमाल की जाती हैं, जिनमें लाल रंग भरा होता है और इंटरकोर्स के दौरान वो फट जाती हैं, ताकि पतिदेव को लगे कि पत्नी ब्लीड कर रही है और सबकुछ ‘सही’ है.
# तीसरा, वजाइना के फ्लैप्स का इस्तेमाल करके हाइमन ‘ठीक’ किया जाता है. यानी जोड़ा जाता है. इसे ठीक होने में समय लगता है. इसमें कम से कम तीन महीनों तक शारीरिक सम्बन्ध बनाने से बचने की सलाह दी जाती है. कई ऐसे ही क्लिनिक हैं, जो सीक्रेट में आपका हाइमन ठीक करने का वादा करते हैं.

चलते-चलते
जब पहली बार इस साइट का नाम दिखा, तो हमें लगा कि कहीं ये भारत वाली 'शादी डॉट कॉम' वेबसाइट तो नहीं है. लेकिन दोनों की स्पेलिंग में हल्का-सा फर्क था. हमने सोचा, ये भी पूछ लें कि इस तरह की साइट्स का क्या मतलब होता है. एक जैसे नामों वाली वेबसाइट क्या एक-दूसरे पर मुकदमा कर सकती हैं? इसके लिए हमने बात की जितेन जैन से. ये साइबर एक्सपर्ट हैं.
इन्होंने हमें बताया-
‘दोनों ही साइट्स लगभग एक समय में रजिस्टर की गई थीं. अब इनमें से एक यहां काफी पॉपुलर है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि दूसरी वेबसाइट पहली वाली की नक़ल करने की कोशिश कर रही है. अगर कोई साइट बहुत लोकप्रिय हो जाती है, तो उसके नामों से मिलने-जुलने वाली साइट्स को भी फायदा होता है. क्योंकि वो भी सर्च में ऊपर आ जाती हैं. अगर ये साइट बाद में बनती, तो कहा जा सकता था कि ये कॉपी करना चाह रहे हैं. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं कह सकते.'इंटरनेट पर ऐसी भी वेबसाइट्स हैं, जो कई जगहों से इसी तरह के मैट्रीमोनी ऐड्स इकट्ठा करती हैं और अपने पोर्टल पर चलाती हैं. उनमें भी 'वर्जिन मैट्रीमोनी' की कैटेगरी देखी जा सकती है.

हम अक्सर बात करते हैं महिलाओं की सुरक्षा की, और उन्हें हैरेस करने वालों को खरी-खोटी सुनाते हैं. लेकिन ये छोटी-छोटी अनकही रस्में और बिलीफ भी अनकहे तौर पर एक हैरेसमेंट ही हैं. जिन्हें कई लोगों ने चुपचाप स्वीकार कर लिया है.
वीडियो: वर्जिनिटी टेस्ट की घिनौनी प्रथा के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन