झूलन गोस्वामी ने महिला खिलाड़ियों की सबसे बड़ी 'समस्या' बता दी!

झूलन गोस्वामी. भारत की लेजेंड्री तेज़ गेंदबाज़. अपने एक हालिया इंटरव्यू में झूलन (Jhulan Goswami) ने महिला खिलाड़ियों के रेफरेंस में एक बहुत गंभीर और माकूल बात कही है. कहा कि एक महिला एथलीट पर पीरियड्स (Menstrual Cycles) के प्रभावों को समझने के लिए वैज्ञानिक शोध की ज़रूरत है. ख़ासतौर पर क्रिकेट में, जहां एक खिलाड़ी को छह-छह घंटों तक मैदान में खड़ा होना पड़ता है.
लोग कहने लगते हैं, 'अरे यार, इसे क्या हो गया?'
टीम इंडिया के पूर्व कोच डब्लू वी रमन अपना एक यूट्यूब चैनल चलाते हैं. उन्होंने एक नई टॉक सीरीज़ शुरू की है - 'वेडनेसडे विद डब्लू वी'. इसकी पहली गेस्ट थीं झूलन गोस्वामी. शो के दौरान झूलन ने कहा,
"ये एक महिला एथलीट के लिए सबसे बड़ा चुनौती है. अगर आपके पीरियड्स टूर्नामेंट्स के समय में आ गए, तो अपने गेम पर फोकस कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. आपको मानसिक रूप से बहुत मज़बूत होना पड़ता है. उस समय ऐसा हो सकता है कि आप बहुत फ़ोकस न कर पाएं या गेम में अपना पूरा योगदान न दे पाएं. और, लोगों को इसका एहसास नहीं होता. वो कहने लगते हैं, 'अरे यार, इसे क्या हो गया?' लेकिन लोग इसकी बैकग्राउंड स्टोरी नहीं जानते. ये दुनियाभर की लगभग सभी महिला खिलाड़ियों के साथ होता ही है.
थोड़ा बहुत दर्द सहना एक बात है, लेकिन हर महीने उस क़िस्म के दर्द और शारीरिक बदलावों से गुज़रना बहुत चैलेंजिंग है. मैच के दिनों में बहुत मुश्किल हो जाता है. बहुत हिम्मत लगती है, उस स्थिति में बाहर आकर क्रिकेट फ़ील्ड में 6 घंटे खेलने में. जो लड़कियां ऐसी स्थिति से गुज़रती हैं, आपको उन सबको क्रेडिट देना चाहिए. अब उस समय केवल एक बिस्तर पर पड़े रहना चाहते हो, लेकिन आप ऐसा नहीं कर सकते. आप बिस्तर पर पड़े नहीं रह सकते. मैच इंपॉर्टेंट है और आपको बाहर जाकर छह घंटे खेलना है. आप केवल बैठकर बहाने नहीं बना सकते. ये नॉर्मल है. हमने इसे स्वीकार कर लिया है और हम इसी हिसाब से तैयारी करते हैं. और, यही महिला एथलीट्स की ब्यूटी है."
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए झूलन ने एक बड़ी इंट्रेस्टिंग बात कही. पीरियड्स को अडजस्ट करने की बात. उन्होंने कहा,
"जब मैं छोटी थी, मैं इस बारे में कोई बात भी नहीं कर सकती थी. मैंने इसे अपने तक रखा, कोच से कुछ नहीं कहा, चुपचाप इससे लड़ती रही. इसमें (पीरियड्स) बहुत सारा विज्ञान इन्वॉल्व्ड है. लोगों को ठीक से रिसर्च करनी चाहिए. और, ये पता लगाना चाहिए कि क्या ऐसा कोई तरीक़ा है जिससे हम टूर्नामेंट्स के हिसाब से पीरियड्स को अडजस्ट कर सकें.
टूर्नामेंट्स के समय में हर कोई फ़्रेश रहना चाहता है. मुझे ये देखकर ख़ुशी हुई कि लोग ऐसा सोच रहे हैं."
2021 में महिला फुटबॉलर्स पर इसी तरह की एक स्टडी की गई थी. स्टडी में ये पाया गया कि हॉर्मोन्स में होने वाले उतार-चढ़ाव का असर मांसपेशियों, टेंडन्स और जोड़ों पर पड़ता है. लेट फॉलिक्यूलर पीरियड के दौरान मांसपेशियों और टेंडन्स पर लगी चोट 88% ज़्यादा घातक हो जाती है. अब ये लेट फॉलिक्यूलर पीरियड क्या है, इसे ब्रीफ़ में समझ लीजिए.
एक पीरियड से दूसरे पीरियड के बीच के वक़्त को मेंस्ट्रुअल साइकल कहते हैं, या आसान भाषा में पीरियड साइकल. हर महिला की ओवरीज़ में ढेर सारे छोटे-छोटे अंडे होते हैं, जिनमें से एक अंडा हर महीने विकसित होकर ओवरी से बाहर आता है. इसे ऑव्यूलेशन कहते हैं. जिस पीरियड में अंडा विकसित हो रहा होता है, उसे फॉलिक्युलर पीरियड कहते हैं. लेट फॉलिक्युलर पीरियड माने एग्स के रिलीज़ होने से ठीक पहले का टाइम.
शो के होस्ट रमन ने अपने कार्यकाल के दौरान महिला क्रिकेटर्स के लिए उठाए गए अपने क़दमों पर भी बात की. कहा कि महिला एथलीटों के लिए चुनौतियां कम हों, इसके लिए सिस्टम को आगे आकर ऐसी रिसर्च पर ध्यान देना चाहिए.
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