The Lallantop
Advertisement

डायरेक्टर गौरी शिंदे, जिनकी फिल्म में 'शशि' को देखकर लोगों को अपनी मां याद आ गईं

और 'इंग्लिश-विंग्लिश' देखकर कई भ्रम टूटे.

Advertisement
Img The Lallantop
बाईं तरफ गौरी शिंदे, दाईं तरफ श्रीदेवी के साथ गौरी.
pic
प्रेरणा
6 जुलाई 2020 (Updated: 6 जुलाई 2020, 03:35 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
साल 2012 में एक फिल्म आई थी. इंग्लिश विंग्लिश. लीड रोल में श्रीदेवी थीं. बॉलीवुड में ये उनकी ‘कमबैक’ फिल्म थी. एक लंबे ब्रेक के बाद. फिल्म हिट हुई. यही नहीं, इसे काफी तारीफ़ भी मिली. एक मिडल क्लास अधेड़ औरत का अपनी आइडेंटिटी को लेकर जूझना और अपने लिए स्टैंड लेना कई लोगों को भारतीय सिनेमा में एक ब्रेकथ्रू मोमेंट लगा. इसी फिल्म के साथ एक नाम और सामने आया. नाम था इस फिल्म की डायरेक्टर गौरी शिंदे का. ये बतौर डायरेक्टर उनकी पहली फिल्म थी. और इसी में उनके काम ने उन्हें बेहद पॉपुलैरिटी दिला दी थी. लोग ये भी कह रहे थे कि एक औरत की साइकी (मनोस्थिति) को गौरी ने बखूबी पकड़कर स्क्रीन पर उतारा है. इस फिल्म के लिए गौरी शिंदे को बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था. लेकिन गौरी शिंदे का करियर सिर्फ ये फिल्म नहीं है. इसके पीछे की कहानी, आज हम आपको बताते हैं. कौन हैं गौरी शिंदे? 'फाइनेंशियल टाइम्स' ने गौरी शिंदे को अपनी '25 इंडियंस टू वॉच' लिस्ट में रखा था. पुणे में जन्मीं और वहीं पली-बढ़ीं गौरी शिंदे लगभग दो दशकों से फिल्म और एडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में हैं. इन्होंने सिम्बायोसिस स्कूल ऑफ मॉस कम्यूनिकेशन से डिग्री ली. उसके बाद फिल्ममेकिंग में आईं. 2001 में गौरी शिंदे की शॉर्ट फिल्म ‘ओह मैन’ आई थी. इंटरेस्टिंग बात ये है कि फीचर फिल्मों में आने से पहले गौरी ऐड्स डायरेक्ट किया करती थीं. लेकिन उनका इंटरेस्ट लिखने में भी उतना ही है. गौरी ने 'इंग्लिश-विंग्लिश' और 'डियर जिंदगी' डायरेक्ट करने के साथ-साथ लिखी भी हैं. 'फिल्म कंपैनियन' को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वूडी एलन उनके फेवरेट डायरेक्टर हैं. अनुपमा चोपड़ा के साथ एक इंटरव्यू में गौरी ने बताया कि उन्हें मशहूर होना अच्छा नहीं लगता. कहा कि उन्हें काम के ज़रिए पहचाना जाना पसंद है. 'इंग्लिश विंग्लिश' के पीछे का आइडिया आज भी गौरी से उनकी पहली फिल्म पर बात की जाती है. इस फिल्म के बारे में गौरी बताती हैं कि इससे जुड़ा खयाल उन्हें उनकी मम्मी से आया था. कहानी भले ही फिक्शनल है, लेकिन असल जिंदगी के हिस्से भी मौजूद हैं फिल्म में. उनका कहना है कि कई बार कहानियां औरतों की दृष्टि से नहीं रखी जातीं. महिलाओं की कहानियां शायद लिखी भी नहीं गईं ज्यादा. तो चाहे कहानी एक महिला की हो या पुरुष की, उसे एक महिला के नज़रिए से देखना इंटरेस्टिंग होगा. फिल्म 'डियर जिंदगी' में उन्होंने मेंटल हेल्थ और थेरेपी को एक्सप्लोर किया था. ये एक ऐसा सब्जेक्ट है, जो आम तौर पर टैबू माना जाता है. लेकिन गौरी ने इस पर फिल्म डायरेक्ट की. उनके डायरेक्ट किए हुए ऐड भी समाज में टैबू बनी हुई चीज़ों पर बात करते हैं. जैसे ये ऐड जिसमें एक महिला दोबारा शादी कर रही है. उसकी बच्ची भी उसके साथ है. नए दूल्हे के पास जाकर अंत में कहती हैं, आपको डैडी बुलाऊं? या फिर फिल्म डायरेक्टर करण जौहर स्टारर ये सूप का ऐड, जिसमें उनकी सेक्शुअलिटी की तरफ हिंट देते हुए ऐड बनाया गया है. बेहद नेचुरल तरीके से. बिना किसी हवाबाजी के. 2007 में उन्होंने आर बाल्की से शादी की थी.  आठ साल में दो फीचर फिल्में बनाने वाली गौरी शिंदे की तीसरी फिल्म कब आएगी, इसका लोगों को इंतज़ार है.
वीडियो: जब डांस करते-करते सैफ के पैर से खून बहने लगा और सरोज़ खान ने हैरान कर देने वाला रियेक्शन दिया 

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement