The Lallantop
Advertisement

लड़ाकू जहाज उड़ाने वाले बाप-बेटी ने ऐसा कमाल किया है कि आप रील्स छोड़कर खबर पढ़ लेंगे

बचपन से अपने पिता जैसा बनने का सपना देखा और उसे पूरा करते हुए अनन्या ने इतिहास रच दिया.

Advertisement
airforce story
अनन्या शर्मा और उनके पिता संजय शर्मा (फोटो-आजतक)
6 जुलाई 2022 (Updated: 6 जुलाई 2022, 13:13 IST)
Updated: 6 जुलाई 2022 13:13 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

कई लड़कियों का सपना होता है कि वो अपने पापा जैसी बने. उनके साथ काम करे या उनका जैसा काम करे. ऐसा ही सपना बचपन से अनन्या शर्मा ने भी देखा था. अनन्या के पिता हैं एयर कमोडोर संजय शर्मा. वो भारतीय वायु सेना (इंडियन एयर फ़ोर्स) में पायलट हैं. अनन्या भी बचपन से पिता की तरह पायलट बनना चाहती थीं. और 30 मई को कर्नाटक के बीदर में पिता और बेटी की इस जोड़ी ने इतिहास रच दिया. उन्होंने वायु सेना स्टेशन बीदर में हॉक-132 विमान के फॉर्मेशन में पिता के साथ उड़ान भरी.

गणतंत्र दिवस की परेड में आपने देखा होगा कि वायुसेना के कई विमान एक साथ उड़ते हैं, अलग-अलग तरह के फॉर्मेशन बनाते हैं. इसे ही फॉर्मेशन बनाना कहते हैं. वायुसेना में इस तरह का फॉर्मेशन फाइटर पायलट के काम की बारीकी, आपसी तालमेल और डिसिप्लिन का परिचायक माना जाता है. इसी तरह के एक फॉर्मेशन में एयर कमोडोर संजय शर्मा और उनकी बेटी फ्लाइंग ऑफिसर अनन्या शर्मा ने एक साथ उड़ान भरी. 

बचपन का सपना कैसे पूरा हुआ

इंडिया टुडे से जुड़े अभिषेक भल्ला की रिपोर्ट के मुताबिक, अनन्या बचपन से ही भारतीय वायु सेना का कल्चर देखा था. वो अपने पिता को देखतीं, उनके सहयोगियों को देखतीं और उनकी तरह ही बनने का सपना देखतीं. 2016 में जब अवनि चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कांत ने बतौर फ्लाइट लेफ्टिनेंट एयर फोर्स जॉइन की, तब वायुसेना में महिला फाइटर पायलट्स के लिए रास्ते खुले.  और अनन्या के सपने को थोड़ी और ताकत मिली.

इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में अपना बीटेक पूरा करने के बाद अनन्या ने एयर फोर्स के लिए आवेदन किया. उनको IAF की फ्लाइंग ब्रांच में ट्रेनिंग के लिए चुना गया. दिसंबर 2021 में अनन्या को फाइटर पायलट के रूप में कमीशन दिया गया.

अनन्या के पिता एयर कमोडोर संजय शर्मा को 1989 में भारतीय वायुसेना के फाइटर स्ट्रीम में शामिल हुए थे. उन्हें मिग-21 स्क्वाड्रन के साथ-साथ फ्रंटलाइन फाइटर स्टेशन की कमान संभाली थी. उन्हें कई लड़ाकू विमानों का अनुभव रहा. वहीं अनन्या अलग-अलग तरह के लड़ाकू विमान उड़ाने में बेहतर होने के लिए ट्रेनिंग भी ले रही हैं. 

रंगरूट: एयर फोर्स की छह महीने में होने वाली ग्रुप X, Y की भर्ती दो साल से क्यों अटकी है?

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement