बोल नहीं सकती ये लड़की, लेकिन उसके वीडियो की आवाज़ दूर-दूर तक गूंज रही है
मल्लिका हांडा शतरंज की इंटरनैशनल खिलाड़ी हैं.
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मल्लिका हांडा. वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल, एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल, सात बार की नेशनल चैंपियन. मल्लिका भारत की डेफ़ चेस प्लेयर हैं. चैंपियन प्लेयर, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बार भारत के लिए खिताब जीते हैं. उनका आरोप है कि वादा करने के बावजूद सरकार ने उनको न वो पहचान दी जिसकी वह हक़दार हैं, न ही वो प्रोत्साहन दिया जिसकी उन्हें ज़रूरत है.
क्या है मल्लिका की लड़ाई?
2 जनवरी की शाम मल्लिका ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया. वीडियो में वो अपने जीते हुए सभी मेडल्स अपने हाथ में लेकर खड़काती दिख रही हैं. वो कह रही हैं,"मैं बहुत निराश हूं. 31 दिसंबर को पंजाब के खेल मंत्री परगट सिंह से मिली. उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार उन्हें नौकरी या प्रोत्साहन राशि नहीं दे सकती, क्योंकि डेफ़ स्पोर्ट्स के लिए उनके पास कोई ऐसी पॉलिसी नहीं है."
मल्लिका हांडा जालंधर के काला सिंघा रोड पर रहती हैं. मलिका ने पंजाब सरकार का आधिकारिक पत्र भी ट्वीट किया. लिखा,I am very feeling Hurt 31 dec I met sports minister of Punjab @PargatSOfficial Now He said punjab Govt can not give job and Not cash award accept to (Deaf sports) because they do not have policy for deaf sports. Cc: @CHARANJITCHANNI @sherryontopp @RahulGandhi @rhythmjit @ANI pic.twitter.com/HhYEWbGJ7E
— Malika Handa (@MalikaHanda) January 2, 2022
"यह पंजाब सरकार का आधिकारिक पत्र है जो मुझे भेजा गया था. जब पूर्व खेल मंत्री राणा द्वारा नकद पुरस्कार की घोषणा की गई थी, मुझे बताओ कि घोषणा के बाद भी खेल मंत्री मुझे पुरस्कार क्यों नहीं दे रहे हैं?"
This is Punjab Govt Official letter with (sign of director sports,punjab) sent To me when cash award was annonced by ex sports minister rana tell me why sports minister @PargatSOfficial not giving after annoncement? I Req. news channels now call sports minister @CHARANJITCHANNI pic.twitter.com/CTxFXKdBF5 — Malika Handa (@MalikaHanda) January 3, 2022मल्लिका की मां ने पंजाब सरकार के वादों को खोखलो कहा मल्लिका हांडा की मां रेनू ने न्यूज़ एजेंसी ANI से बात की. पंजाब सरकार के वादों को खोखला बताते हुए कहा,
"स्वाभाविक सी बात है कि मल्लिका नाराज़ है. क्योंकि पंजाब सरकार केवल वादे करती है, उन्हें पूरा नहीं करती. पांच साल से वो केवल वादे कर रहे हैं. पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने वादा किया कि वह मल्लिका को कैश अवॉर्ड देंगे, नौकरी देंगे. वह वादा वादा ही रह गया. यहां तक कि हमें एक आमंत्रण पत्र भी मिला, जिसमें लिखा था कि मल्लिका को कैश अवॉर्ड दिया जाएगा, पर कोविड-19 की वजह से वो टल गया. और सरकार भी बदल गई.
चन्नी सरकार आई और उनके साथ आए स्पोर्ट्स मिनिस्टर परगट सिंह. हम उनके पास गए और उन्होंने कहा कि वह खिलाड़ियों को कैश अवॉर्ड्स देंगे और मल्लिका उनकी प्राथमिकता है. लेकिन मल्लिका का नाम ही नहीं था. मल्लिका जानना चाहती है कि अगर उन्होंने इसे अवॉर्ड देने का वादा किया है, तो अवॉर्डियों में उसका नाम क्यों नहीं है?"
All these medals & certificates have gone to waste. Players from Haryana receive rewards worth lakhs & crores. I will quit the game. My 10 years of hard work have gone to waste: Chess player Malika Handa, in Jalandhar pic.twitter.com/mxkoyHXlrJ — ANI (@ANI) January 3, 2022रेनू हांडा ने आगे कहा,
"मैं बस इतना पूछना चाहती हूं कि पांच साल हो चुके हैं और मेरी बेटी ने अपने हक़ के लिए, एक मिनिस्टर के बाद दूसरे मिनिस्टर से मिलने का हर संभव प्रयास किया. और अब आप कहते हैं कि उसके लिए कोई पॉलिसी ही नहीं है. क्या पॉलिसी बनाना इस बच्चे का काम है? मैं बस सरकार और ख़ासकर के खेल मंत्री से पूछना चाहती हूं कि जब ऐसी कोई पॉलिसी नहीं थी तो आप ने मल्लिका को नौकरी और कैश अवॉर्ड का वादा क्यों किया? एक पॉलिसी बनाने में कितना समय लगेगा? पांच साल तो हो चुके हैं."यह पहली बार नहीं है मल्लिका लंबे वक़्त से पंजाब सरकार से नौकरी, कोच और प्रोत्साहन राशि की गुहार लगा रही हैं. लेकिन सरकार पर इसका कोई असर नहीं है. मल्लिका ने पिछले साल अगस्त में भी आधा दर्जन ट्वीट किए थे और मदद की गुहार लगाई थी. उन्होंने लिखा था,
"मैं नेशनल अवॉर्डी हूं. मैंने छह मेडल जीते हैं. वर्ल्ड चैम्पियनशिप में गोल्ड और दो सिल्वर. एशियन चैम्पियनशिप में गोल्ड और दो सिल्वर. FIDE ओलंपियाड में दो बार हिस्सा लिया. सात बार नेशनल चैम्पियन रही. लेकिन फिर भी मुझे सरकार से न तो कोई नौकरी मिली और न ही कोई मदद. यहां तक कि मेरे पास कोच भी नहीं है.”मल्लिका ने सितंबर में भी एक अपने हक़ को ले कर आवाज़ उठाई थी. खेल मंत्रालय के निदेशक से मिलने के बाद उन्हें पता चला कि उन्हें किए गए वादे झूठे हैं.
I am very feeling Hurt and crying Today I meet to Director ministry sports Punja He said punjab can not give job and cash award accept to (Deaf sports) What shall I do now all my future ruined??? @capt_amarinder @iranasodhi @ANI @vijaylokapally @anumitsodhi @navgill82 pic.twitter.com/RGmbFsFLpJ — Malika Handa (@MalikaHanda) September 2, 2021
सरकार क्या कह रही है?
राज्य के डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार को मल्लिका की मदद करनी चाहिए. वे व्यक्तिगत स्तर पर भी ज़रूर उसकी मदद करेंगे. कहा,"अगर वह मेरे पास आती है तो मैं जरूर उसकी मदद करूंगा. मैं परगट सिंह जी से उनकी मदद करने के लिए कहूंगा."मल्लिका की लड़ाई सरकार की उपेक्षा का ही एक उदाहरण है. सरकार का अपने खिलाड़ियों के प्रति ऐसा बरताव खेल को एक करीयर के रूप में चुनने में एक स्थायी उदासीनता पैदा करता है.