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क्या स्कूल में हिजाब पहनकर कर्नाटक की लड़कियों ने कोई नियम तोड़ा है?

हिजाब पहनने की मांग को लेकर छात्राओं ने हाईकोर्ट में अपील की है.

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स्कूल में हिजाब पहनने के अधिकार के लिए लड़कियां हाई कोर्ट तक पहुंच गईं.
4 फ़रवरी 2022 (Updated: 4 फ़रवरी 2022, 16:46 IST)
Updated: 4 फ़रवरी 2022 16:46 IST
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कर्नाटक का उडूपी. यहां के सरकारी महिला इंटर कॉलेज. इंटर कॉलेज माने वो स्कूल जहां 11वीं-12वीं की पढ़ाई होती है. यहां 27 दिसंबर, 2021 से लड़कियों के हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया गया है. हिजाब पहनकर आने वाली आठ लड़कियों को क्लास में घुसने नहीं दिया जा रहा है. उनकी पढ़ाई अटक गई है. ये मामला सोशल मीडिया पर चर्चा में बना हुआ है. छात्राओं का कहना है कि हिजाब पहनना उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा है और उन पर उसे नहीं पहनने का दबाव नहीं बनाया जा सकता है. वहीं, स्कूल प्रशासन लड़कियों को हिजाब के साथ एंट्री न देने पर अड़ा हुआ है. अब इस मामले में लड़कियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर 8 फरवरी को सुनवाई होगी. इस मामले में क्या कहना है लड़कियों का? द न्यूज़ मिनट के मुताबिक, इन छात्राओं का कहना है कि उन्होंने दिसंबर,2021 में ही हिजाब पहनना शुरू किया था. कॉलेज जॉइन करते वक्त उन्हें लगा था कि उनके अभिभावकों ने हिजाब न पहनने को लेकर कोई फॉर्म साइन किया है, इस वजह से वो हिजाब नहीं पहनती थीं. हालांकि, जो फॉर्म इन छात्राओं के पेरेंट्स ने साइन किया था उसमें हिजाब का कोई जिक्र नहीं था. पेरेंट्स ने इस बारे में स्कूल प्रबंधन से सवाल किया था, लेकिन स्कूल की तरफ से कोई जवाब नहीं आया, इस वजह से उन्होंने हिजाब पहनना शुरू कर दिया. लड़कियों का ये भी कहना है कि इंटर कॉलेज में बीते साल हिंदू त्योहार मनाए गए थे, हिंदू लड़कियों को बिंदी लगाने से नहीं रोका जाता है, तो फिर मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने से क्यों रोका जा रहा है? छात्राओं का कहना है कि दो महीने में उनकी परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी, उन्हें उसकी भी तैयारियां करनी हैं. लेकिन फिलहाल तो उन्हें पढ़ने से ही रोका जा रहा है.
इन छात्राओं का ये भी कहना है कि मामला मीडिया अटेंशन खींच रहा है, इसकी वजह से कॉलेज प्रबंधन उन पर माफी मांगने का दबाव बना रहा है. उनका ये भी कहना है कि उन्हें उर्दू में बाद करने से भी रोका जाता है. इस मामले में कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) और इस्लामिक स्टूडेंट ऑर्गनाइज़ेशन जैसे छात्र संगठन भी छात्राओं का समर्थन कर रहे हैं. जिम्मेदारों का क्या कहना है? इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल रुद्र गौड़ा ने स्थानीय मीडिया को बताया कि लड़कियां परिसर में हिजाब पहन सकती हैं, लेकिन कक्षाओं में नहीं. प्रिंसिपल गौड़ा ने कथित तौर पर दावा किया है कि छात्र पहले भी कक्षाओं में प्रवेश करने के बाद हिजाब और बुर्का हटाते रहे हैं. उनका कहना है कि यूनिफॉर्मिटी बनाए रखने के लिए छात्राओं को हिजाब पहनने से रोका जा रहा है.
इस मामले में स्थानीय विधायक और कॉलेज विकास समिति के अध्यक्ष रघुपति भट्ट ने कहा,
"जो लड़कियां कॉलेज के बाहर बैठ कर हिजाब के लिए प्रोटेस्ट कर रही हैं वो कॉलेज छोड़कर जा सकती हैं. उन्हें किसी ऐसे कॉलेज में दाखिल ले लेना चाहिए जहां यूनिफ़ॉर्म के साथ हिजाब पहनने की इजाज़त हो. हमारे नियम स्पष्ट हैं कि उन्हें हिजाब पहनकर क्लास में बैठने की परमिशन नहीं मिलेगी."
कर्नाटक के कुछ कॉलेजो में प्रदर्शन कर रही छात्राओं के विरोध में हिंदू संगठन छात्रों को भगवा स्कार्फ पहनाकर भेज रहे हैं. कर्नाटक के गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र ने इस मामले में कहा,
" स्कूलों में न तो हिजाब पहनकर आ सकते हैं और न ही भगवा गमछा पहनकर. "
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कर्नाटक के गृहमंत्री अरगा ज्ञानेन्द्र.
कर्नाटक हाईकोर्ट में पहुंची छात्राओं की गुहार इस मामले में छात्राओं की तरफ से कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है. याचिका में हिजाब पहनकर क्लास अटेंड करने को लेकर अंतरिम अनुमति की मांग की गई है.  एक याचिका में कहा गया है कि हिजाब पहनना छात्राओं का मौलिक अधिकार है. जिसका संरक्षण संविधान के आर्टिकल 14 और 25 करते हैं. बता दें कि आर्टिकल 14 समानता के अधिकार की बात करता है और आर्टिकल 25 धर्म की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है.
याचिका में साल 2016 के केरल हाईकोर्ट के मामले का भी जिक्र किया गया है जिसमें केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि हिजाब इस्लाम का ज़रूरी हिस्सा है. याचिका में कहा गया है कि छात्राओं को पढ़ाई करने से रोकना संविधान के खिलाफ है और ये पब्लिक इंटरेस्ट में भी नहीं है.
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कर्नाटक हाई कोर्ट इस मामले पर 8 फरवरी को फैसला सुनाएगी

लड़कियों का कहना है कि संविधान धर्म निरपेक्ष है और यह उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार अपनी धार्मिक रीतियों को मामने का अधिकार देटा है. स्कूल या कॉलेज के ऐसे नियम उनके फंडामेंटल राइट्स के खिलाफ़ है. छात्राओं की याचिका पर कर्नाटक हाईकोर्ट में 8 फरवरी को सुनवाई होगी. लोग क्या कह रहे हैं? ये मामला बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर बहस का मुद्दा बना हुआ है. सोशल मीडिया इस मुद्दे पर बंटा हुआ है. कई लोग इसे धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा बताकर छात्राओं को क्लास में एंट्री देने के बात कह रहे हैं. वहीं कई लोगों का कहना है कि पढ़ाई किसी भी चीज़ से ज्यादा ज़रूरी है, इसलिए छात्राओं को ये सब छोड़कर पढ़ाई पर फोकस करना चाहिए. वहीं हमेशा की तरह कुछ लोगों ने हिजाब को स्कूल के एन्वायर्नमेंट के लिए खराब बता दिया.
एक यूज़र ने लिखा है,
" सही है. उन्हें अंदर आने की इजाज़त नहीं मिलनी चाहिए. उन्हें कोई नहीं पहचान पाएगा न ही कोई ये जान पाएगा कि हिजाब के भीतर क्या छिपा है. ये कॉलेज या स्कूल के एनवायरमेंट के लिए बहुत खतरनाक है."
एक और यूज़र ने लिखा है,
" अगर किसी को ऐसे यूनिफ़ॉर्म से दिक्कत है तो वो स्कूल के बजाय मदरसे में जा सकते हैं. "
एक यूज़र ने लिखा है,
" अगर उन्हें हिजाब ही पहनना है तो वे ऐसे कॉलेज में क्यों नहीं जाती जहां हिजाब पहनने की मनाही नहीं है. वो कोई और कॉलेज जॉइन कर सकती हैं!! ये सब बस ड्रामा है!!"

 

कई लोग कॉलेज प्रशासन से इस फैसले के पीछे वाजिब तर्क की मांग कर रहे हैं. लोगों इस फैसले को संविधान के फंडामेंटल राइट्स के खिलाफ़ मान रहे हैं. उनका कहना है कि यह देश में बहुसंख्यक लोगों द्वारा अल्पसंख्यक लोगों के धार्मिक प्रैक्टिस पर किया गया हमला है. इसके ज़रिए लोग सांप्रदायिक भेदभाव बढ़ाना चाहते हैं. कुछ ट्वीटस देखिए :
एक यूज़र ने लिखा है,
"किस आधार पर कॉलेज प्रशासन उन्हें कॉलेज में आने से रोक रही है. अगर एक सिख पगड़ी पहन सकता है तो एक मुस्लिम लड़की हिजाब क्यों नहीं पहन सकती ?"  
एक और यूज़र ने प्रधानमंत्री को टैग करते हुए लिखा,
" नरेंद्र मोदी सर, ये मुद्दा भारतीय संविधान के खिलाफ़ है. स्कूल यूनिफ़ॉर्म ये नहीं कहता कि कोई अपने बाल बनाए या अपने सिर को ढके या नहीं. आप इस मैटर में प्लीज़ हस्तक्षेप कीजिए. ये आर्टिकल 15 और 25 के खिलाफ़ है. " 

 

एक और यूज़र ने लिखा है,
" मैं मानता हूं कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन को सिर्फ एजुकेशन से संबंध रखना चाहिए, इसे धार्मिक युद्धभूमि में तब्दील नहीं होना चाहिए.  एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन का सम्मान कीजिए और इसे धार्मिक अजेंडे से दूर रखिए. विद्यार्थियों को मेहनत करके पढ़ना चाहिए क्योंकि दुनिया में कॉम्पिटिशन बढ़ता जा रहा है. ऐसी हरकत से  इंस्टीट्यूशन और विद्यार्थी बस अपना समय बर्बाद कर रहे हैं."
आखिर में सवाल उठता है कि क्या हिजाब पहनकर छात्राओं ने किसी ड्रेस कोड का उल्लंघन किया? जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं उनमें दिख रहा है कि छात्राओं यूनिफॉर्म पहनी हुई है. उसके ऊपर उन्होंने हिजाब पहना है. द न्यूज़ मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक सरकार ने राज्य के सरकारी कॉलेजों के लिए कोई ड्रेस कोड निर्धारित नहीं किया है. ड्रेस कोड लागू किया जाना है या नहीं, इसका फैसला कॉलेज अथॉरिटीज़ ही करती हैं. राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने इसे लेकर कहा था कि सरकारी कॉलेजों में ड्रेस कोड मेंडेट करने को लेकर कोई नियम नहीं है. उन्होंने कहा था कि इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है.

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