वॉट्सऐप, फेसबुक या फिर इंस्टाग्राम तो आप भी खूब चलाते होंगे. कह तो ये भी सकतेहैं कि अब हम इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के आदी हो गए हैं. सुबह आंख ही वॉट्सऐपमैसेज और इंस्टा पोस्ट देखते हुए खुलती है. फिर हम मैसेज देखकर अपना 'फर्ज' समझतेहुए उसे दूसरों को भी फॉर्वर्ड करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि सूचनाओं केजबरिआ आदान-प्रदान की इस दौड़ में आप बुरा फंस सकते हैं. नहीं सोचा तो ये इस केस परगौर फरमाइए."मैं उस वक्त अपनी आंख में आईड्रॉप डाल रहा था और अचानक से सेंट बटन दब गया. औरमैसेज फॉर्वड हो गया."ये दलील दी गई देश की सर्वोच्च अदालत में. जरा सोचिए आप. महिलाओं के खिलाफ अश्लीलपोस्ट शेयर करने के बाद कोई आपसे इस तरह की दलील दे तो आप क्या कहेंगे. सुप्रीमकोर्ट में कुछ ऐसा ही हुआ. लेकिन उच्चतम अदालत ने इस मामले की सुनवाई के दौरान लकीरखींच दी है. अब हम सोशल मीडिया पर भड़काऊ या आपत्तिजनक मैसेज फॉर्वर्ड करके ये कहतेहुए पल्ला नहीं झाड़ सकते कि 'गलती से चला हो गया था.' पहले समझ लेते हैं कि मामलाक्या था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की ऐतिहासिक टिप्पणी पर आएंगे.