1990 के दशक का शुरुआती समय. देश की राजनीति में ये मंडल-कमंडल का दौर था. लेकिनयूपी के कानपुर देहात में ये बंजर पड़ी जमीन को कब्जाने का दौर था. मुलायम सिंहयादव और कांशीराम उत्तर प्रदेश की राजनीति में पैर जमा चुके थे. और उनकी छाया मेंपिछड़े समाज के कई इलाकाई नेता तेजी से उभरे और विधायक-सांसद बने. इस दौरान इननेताओं पर खाली पड़ी बंजर जमीन कब्जाने का आरोप भी लगा. इलाके में अच्छी खासीसंख्या में होने के बावजूद ब्राह्मणों की जमीन खिसक रही थी. यही वजह रही कि बंजरजमीन के साथ-साथ राजनीतिक जमीन कब्जाने और इलाके में पिछड़ों की हनक कम करने के लिए‘विकास’ का सहारा लेना पड़ा. पूरी खबर देखें वीडियो में.