इस एपिसोड में, सौरभ त्रिपाठी ने पश्चिम चंपारण (बिहार) के जिलाधिकारी, आईएएस कुंदनकुमार द्वारा पेश किए गए नए मॉडल पर जमीन से रिपोर्ट की. कोविड-19 महामारी के कारणलगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है. सबसे बुरीतरह प्रभावित लोगों में दूर-दराज के औद्योगिक केंद्रों में कार्यरत बिहार के श्रमिकथे. जिला प्रशासन के अनुसार, देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा के बाद 80,000 श्रमिक घरलौट आए.बिहार कैडर के 2012 बैच के आईएएस अधिकारी डीएम कुंदन कुमार ने इन श्रमिकों को उनकेगृहनगर में रोजगार देने के लिए चनपटिया शहर में एक "स्टार्टअप जोन" स्थापित किया.उन्होंने प्रवासी श्रमिकों की वापसी के लिए एक अनूठा 'स्टार्टअप जोन' लॉन्च किया.उनके कौशल का मानचित्रण, बैंक ऋण की व्यवस्था और अन्य सहायता प्रणालियों नेउद्यमशीलता को बढ़ावा दिया और रोजगार भी सृजित किए.इस विचार ने न केवल प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिया बल्कि उन्हें उद्यमी भी बनादिया. यह कैसे हुआ और इस उपलब्धि का रोडमैप क्या था, जानने के लिए वीडियो देखें.