दावा-Tek Fog ऐप नफरत फैलाने और सोशल मीडिया ट्रेंड्स से छेड़छाड़ में BJP की मदद करता है!
"The Wire" ने Tek Fog ऐप से जुड़ी रिपोर्ट पब्लिश की है.
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Tek Fog नाम का ऐप है. "The Wire" ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि यह ऐप साइबर वर्ल्ड में नफरत फैलाने और सोशल मीडिया ट्रेंड्स से छेड़छाड़ करने में बीजेपी की मदद करता है. "The Wire" ने सोशल मीडिया और इनक्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को हाईजैक करने के संबंध में एक पड़ताल की है. इस संबंध में 6 जनवरी 2022 को एक रिपोर्ट पब्लिश की.
"द वायर" ने अप्रैल 2020 में ट्विटर पर एक अकाउंट से किए गए कुछ ट्विट्स के आधार पर ये जांच पड़ताल की है. दरअसल ट्विटर पर @aarthisharma8 नाम के हैंडल से कुछ ट्वीट्स किए गए थे. इन ट्वीट्स में आरती ने खुद को बीजेपी की आईटी सेल का एक असंतुष्ट कर्मचारी बताया था और साथ में ‘टेक फॉग’ नाम के ऐप के बारे में भी लिखा था.
क्या काम करता है टेक फॉग ऐप? "द वायर" ने अपनी पड़ताल मे कहा है कि टेक फॉग ऐप का काम ट्विटर के ट्रेंडिंग सेक्शन को कुछ लक्षित हैशटैग से हाईजैक करना, भाजपा से जुड़े कई वॉट्सऐप ग्रुप बनाना और उन्हें चलाना है. इसके जरिये भाजपा की आलोचना करने वाले पत्रकारों को ऑनलाइन प्रताड़ित भी किया जाता है. हालांकि "द वायर" को टेक फॉग ऐप का सीधा एक्सेस तो नहीं मिला, लेकिन उनकी टीम ने ‘टेक फॉग’ ऐप को होस्ट करने वाले सिक्योर सर्वर को जोड़ने वाले अनेक बाहरी टूल्स और सर्विसेज की शिनाख्त जरूर की. दावा है कि इस ऐप के जरिए सभी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी ट्रेंड को आगे बढ़ाकर और बहसों/चर्चा को अपने हिसाब से हाईजैक किया जा रहा था. इस ऐप का एक प्रमुख काम ट्विटर के 'ट्रेंडिंग' और फेसबुक के ट्रेंड वाले सेक्शन को एक तरह से हाईजैक करना है. उदाहरण के लिए, जितने भी अकाउंट टेक फॉग के जरिए ऑपरेट होते हैं या थे, उनके किसी भी ट्वीट को आटो रीट्वीट किया जा सकता है. कोई भी पोस्ट हो, उसको भी किसी व्यक्ति को शेयर करने की जरूरत नहीं है. ऐप का ऑटोमेशन फीचर ये काम खुद कर सकता है. ऐप के द्वारा किसी भी ट्वीट को बार-बार अलग-अलग अकाउंट से रीट्वीट करना और पोस्ट करना संभव है. जैसे कोई ईमेल स्पैम मार्क हो जाए तो वो आपके इनबॉक्स में नहीं दिखता. वैसे ही बहुत से ट्रेंडिंग हैशटैग्स को भी ये ऐप स्पैम में बदल देता है. नतीजतन वो ट्विटर की टाइम लाइन से बाहर हो जाते हैं. इसकी मदद से निजी ऑपरेटर आम नागरिकों के निष्क्रिय वॉट्सऐप अकाउंट को हाईजैक करने और उनके फोन नंबर का इस्तेमाल करके सर्वाधिक बार संपर्क किए जाने वाले या सभी नंबरों को संदेश भेजने का काम करता है. "द वायर" को इस ऐप पर आम नागरिकों के एक क्लाउड डेटाबेस का पता चला है. डेटाबेस में नागरिकों को पेशे, धर्म, भाषा, उम्र, लिंग, राजनीतिक झुकाव और यहां तक कि शारीरिक विशेषताओं के आधार पर वर्गीकृत किया गया है. ऐप के पीछे कौन है "द वायर" ने दो निजी कंपनियों पर्सिस्टेंट सिस्टम्स और मोहल्ला टेक प्राइवेट लिमिटेड का जिक्र किया है. पर्सिस्टेंट सिस्टम्स एक सार्वजनिक कंपनी है जो 1990 में स्थापित हुई है. वहीं मोहल्ला टेक प्राइवेट लिमिटेड ट्विटर की हिस्सेदारी वाले भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं के लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "शेयरचैट" की पेरेंट कंपनी है. "द वायर" ने इस ऐप से जुड़े ट्विटर और वॉट्सऐप इंटीग्रेशन, गूगल फॉर्म्स पर आधारित डेटा इनपुट टूल्स, पेटीएम के जरिये भुगतान इंफ्रास्ट्रक्चर का भी जिक्र किया है. अभी तक बीजेपी या उनकी आईटी सेल की तरफ से इस खुलासे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. एक बात साफ कर दें कि लल्लनटॉप, "द वायर" की इस रिपोर्ट की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है.There are many #BJPitCell softwares, i was suggested to use 'The tek fog', this is secret app only for #ItCellWorkers. It bypasses reCaptcha codes, is used for auto-upload texts and hashtag Trends. However, pro-players of #ItCellWorkers are using Tasker app too.
— Aarthi Sharma (@AarthiSharma8) April 28, 2020