सऊदी अरब ने सजा पाए 81 लोगों को एक साथ मौत के घाट उतारा!
मामूली अपराध के दोषियों को भी मौत की सजा दी गई.
एजेंसी के मुताबिक, कुछ लोगों ने आतंकी संगठन से जुड़ने के लिए 'संघर्ष वाले' क्षेत्रों की यात्रा की. करीब 37 लोगों पर सिक्योरिटी ऑफिसरों पर जानलेवा हमले करने, पुलिस स्टेशनों और काफिलों को निशाना बनाने का मामला दर्ज था. एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायिक प्रक्रिया के दौरान सऊदी कानून के तहत इन आरोपियों के सभी अधिकारों की सुरक्षा की गई थी. इन्हें वकील चुनने का भी अधिकार दिया गया था. रिपोर्ट में कहा गया,
"पूरी दुनिया के लिए खतरा बनने वाले आतंकवादी और अतिवादी विचारधाराओं के खिलाफ शासन अपने कड़े और मजबूत कदम उठाना जारी रखेगा."
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मौत की सजा किस तरह दी गई, इस बारे में सरकार ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है. माना जा रहा है कि एक साथ इतने लोगों को मृत्युदंड देने का ये अब तक का सबसे बड़ा मामला है. सऊदी अरब में इससे पहले साल 2021 में 67 और 2020 में 27 लोगों को मौत की सजा दी गई थी. हालांकि, आखिरी बार 'मास एग्जीक्यूशन' 2016 की जनवरी में हुआ था. जिस दौरान 47 लोगों को एक साथ सजा दी गई थी. जिसमें एक प्रभावी शिया नेता भी शामिल थे.
सऊदी अरब के दावों पर उठ रहे सवाल!
अधिकार समूहों और पश्चिमी देशों की ओर से सऊदी अरब में मानवाधिकार की सुरक्षा के दावों पर सवाल उठते आ रहे हैं. खासकर, 2018 में 'द वाशिंगटन पोस्ट' के पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्या के बाद तो ये सवाल और गहराते जा रहे हैं. इसके साथ ही यहां राजनीति और धार्मिक अभिव्यक्तियों को दबाने के कानूनों की भी काफी निंदा की जाती है.
दूसरी तरफ सऊदी अरब हमेशा से ऐसे आरोपों को खारिज करता आया है. सऊदी का कहना है कि वो राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून के तहत कार्रवाई करता है.
पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्या के बाद से सऊदी अरब लगातार सवालों के घेरे में है. फोटो- आजतक
अधिकार रक्षा समूहों ने इस बार भी 'मास एग्जीक्यूशन' की निंदा की है. न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक, समूहों ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के उन दावों पर सवाल खड़े किए हैं, जिनमें कहा जा रहा था कि देश अपनी न्यायिक प्रणाली में सुधार ला रहा है और मृत्युदंड को सीमित किया जा रहा है. अधिकार समूहों ने कहा कि मौत की सजा 'न्याय' के विपरित है. उनका कहना है कि जिनको मृत्युदंड मिला है, इनमें से कई पर ऐसे मामले दर्ज हैं, जिसमें खून का एक कतरा भी नहीं बहा था.
ऐसा देखा जा रहा है कि क्राउन प्रिंस पिछले कुछ समय से सऊदी अरब की इमेज बदलने की कोशिश कर रहे हैं. अपने बयानों में वे महिला-पुरुष समान अधिकार, कानूनों के सदुपयोग और प्रगतिशील विचारधार की बातें करते हैं. ताकि देश को व्यापार और टूरिज्म का अधिक फायदा मिल सके. ऐसे में एक साथ इतने लोगों को मृत्युदंड जैसी खबरें आना, उन दावों के विपरीत नजर आती हैं.