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भारतीय मूल के रूसी विधायक ने यूक्रेन पर हमले को सर्जिकल स्ट्राइक जैसा क्यों बताया?

रूस क्यों कर रहा है रिहायशी इलाकों पर हमला? अभय सिंह ने वजह बताई.

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भारतीय मूल के रूसी विधायक अभय कुमार सिंह (फोटो: इंडिया टुडे)
2 मार्च 2022 (Updated: 2 मार्च 2022, 12:19 IST)
Updated: 2 मार्च 2022 12:19 IST
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यूक्रेन पर रूस के हमले को पूरी दुनिया युद्ध कह रही है. लेकिन रूस इसे एक 'विशेष सैन्य कार्रवाई' बता रहा है. इसे लेकर भारतीय मूल के एक रूसी विधायक अभय कुमार सिंह (Abhay Kumar Singh) का बयान सामने आया है. उन्होंने आजतक से खास बातचीत में कहा है कि ये 'युद्ध नहीं' है, बल्कि एक 'सर्जिकल स्ट्राइक' जैसी कार्रवाई है. ये पूछे जाने पर कि सर्जिकल स्ट्राइक तो आतंकी ठिकानों पर की जाती है और उसमें आम नागरिकों की हत्या नहीं की जाती, रूसी विधायक बोले,
"रूस यूक्रेन पर हमला नहीं कर रहा है. ये युद्ध नहीं है. हमारी तरफ से ऑपरेशन चलाया जा रहा है, जैसे भारत भी कभी-कभी सर्जिकल स्ट्राइक करता है. ये सीधे तौर पर युद्ध नहीं है. रूस की तरफ से जो भी स्ट्राइक और हमले किए जा रहे हैं, वो वहां की आर्मी के बेस पर हो रहे हैं. रूस यूक्रेन के आम नागरिकों को बचाते हुए इस ऑपरेशन को आगे बढ़ा रहा है. अगर कोई आर्मी का आदमी किसी मॉल में छिपकर वहां से हमारे सैनिकों पर अटैक कर रहा है, तो उसको तो जवाब देना ही पड़ेगा." 
रूस के हमलों से तबाह हुए यूक्रेन के कई रिहायशी इलाके (फोटो: इंडिया टुडे)
रूस के हमलों से तबाह हुए यूक्रेन के कई रिहायशी इलाके (फोटो: इंडिया टुडे)


रूसी सेना लंबा काफिला लेकर कीव पर कब्जे के लिए आगे बढ़ रही है. इसके चलते मंगलवार एक मार्च को पूरा दिन कीव में सायरन बजता रहा. इस बारे में अभय सिंह ने कहा,
"यूक्रेनी लोगों को हताश करने के लिए वहां सायरन बजाए जा रहे हैं. आवासीय इलाकों पर रूस कभी भी हमला नहीं करेगा, बशर्ते वहां के सैनिक अपने नागरिकों के पीछे छिपकर हमला न करें. अगर सैनिक ऐसा करेंगे तो फिर उन पर पूरी जवाबी कार्रवाई की जाएगी."
अभय सिंह का दावा है कि यूक्रेनी सेना मॉल, स्टोर और घरों में नागरिकों को ढाल बनाकर रूसी सैनिकों पर हमला कर रही है. उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमर जेलेंस्की पर आरोप लगाते हुए कहा,
"आप जेलेंस्की से पूछिए कि वो लोगों में हथियार क्यों बांट रहे हैं. कैदियों को जेल से निकालकर उनको हथियार क्यों दिए जा रहे हैं? इसका मतलब ये है कि जेलेंस्की यूक्रेन में आने वाली (संभावित) सरकार  को परेशान करने के लिए अपराधियों को तैयार कर रहे हैं."  
अ‍भय सिंह ने पुतिन के यूक्रेन पर हमले के फैसले को जायज ठहराया. उनका कहना है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति दूसरे देशों के उकसावे में आ गए और समय आने पर वे सभी देश उन्हें छोड़कर भाग गए ह‍ैं. सिंह के मुताबिक इस विवाद को खत्म करने के लिए राष्‍ट्रपति पुतिन ने कई बार यूक्रेन को बातचीत का मौका दिया, लेकिन वो नहीं माना. इसके बाद ही रूस ने ये कदम उठाया है. अभय ने रूस का पक्ष रखते हुए कहा,
''अगर चीन बांग्लादेश में सैन्य अड्डा बना दे तो भारत उस पर क्या प्रतिक्रिया देगा? नाटो का निर्माण ही रूस के खिलाफ हुआ था. सोवियत यूनियन टूटने के बाद भी नाटो नहीं टूटा और वो धीरे-धीरे हमारे करीब आ गया. रूस और यूक्रेन का बहुत लंबा बॉर्डर है और आप वहां पर नाटो की सेना बुला रहे हैं, जो हमारे बीच हुए एग्रीमेंट का बहुत बड़ा उल्लंघन है. ऐसे में देश की सुरक्षा के लिए हमारे राष्‍ट्रपति को कुछ ना कुछ करना ही था, इसलिए हमारी संसद और राष्‍ट्रपति पुतिन ने ये एक्शन लिया.''
युद्ध के बीच पुतिन ने अपने देश के न्यूक्लियर स्क्वॉड को अलर्ट पर रहने को कहा है. इसे लेकर अभय सिंह का कहना है,
''परमाणु हथियारों से डरने की बात नहीं है. हमारे राष्‍ट्रपति ने ऐलान किया है, लेकिन ये इसलिए है कि अगर कोई दूसरा देश हमारे ऊपर हमला करता है तो हम जवाब देंगे. हम यूक्रेन पर परमाणु हमला नहीं करेंगे."
वहीं पश्चिमी देशों की तरफ से प्रतिबंध लगाए जाने की कार्रवाई पर अभय कुमार सिंह ने कहा,
''रूस पर पिछले 8 से 10 सालों से प्रतिबंध लगता आ रहा है. ये रूस के लिए बेहतर है, क्योंकि जिस चीज के लिए रूस दूसरे देशों पर निर्भर करता था, उसका उत्पादन अब हम खुद करने लगे है. रूस का रूबल गिरा है, लेकिन कुछ समय के बाद ये सही हो जाएगा.''
कौन हैं अभय सिंह? भारतीय मूल के अभय कुमार सिंह 1991 में रूस में मेडिकल की पढ़ाई करने गए थे. वे मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं. रूस में पढ़ाई करने के बाद वो देश लौट आए थे. लेकिन बाद में फिर रूस जाकर वहां दवाइयों का व्यापार किया. इसके बाद उन्होंने रियल स्टेट का बिजनेस भी शुरू किया, जिसमें उन्हें काफी सफलता मिली.
साल 2015 में अभय सिंह ने पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी (United Russia Party) की सदस्यता ली और 2018 में कुर्स्क (Kursk) से डेप्युटेट का प्रांतीय चुनाव जीता. बता दें कि जिस तरह से भारत में विधायक होते हैं, उसी तरह से रूस में डेप्युटेट होते हैं.

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