'UPSC में समय बर्बाद कर रहे युवा', सरकार के सलाहकार की बात कइयों को बहुत चुभेगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के सदस्य और जाने-माने अर्थशास्त्री संजीव सान्याल के मुताबिक, UPSC एग्जाम देने के बारे में केवल उन लोगों को सोचना चाहिए जो वाकई में एडमिनिस्ट्रेटर बनने में दिलचस्पी रखते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के सदस्य और अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने UPSC परीक्षा को लेकर ऐसी बात कही है जो इसकी तैयारी करने वाले युवाओं को बहुत अखर सकती है. संजीव सान्याल ने एक पॉडकास्ट में कह दिया कि UPSC परीक्षा पास करने के चक्कर में कई योग्य युवा अपना समय बर्बाद कर रहे हैं.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक संजीव सान्याल 'द नियॉन शो' नाम के पॉडकास्ट में सिद्धार्थ अहलूवालिया से बातचीत कर रहे थे. उनसे चर्चा की गई कि क्या UPSC की कठिन परीक्षा की तैयारी करना प्रयास के लायक है या नहीं? उन्होंने कहा कि दशकों से पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे क्षेत्रों में लोगों की आकांक्षाएं सीमित थीं. वे सिर्फ बुद्धिजीवी, नेता या स्थानीय राजनेता जैसी भूमिकाओं तक के बारे में सोचते थे. सान्याल ने कहा, “यह सिमटी हुई सोच अक्सर लोगों को अलग-अलग तरह के अवसरों के बजाय एकमात्र विकल्प के रूप में सिविल सेवा में करियर बनाने की ओर ले जाती है.”
सान्याल के मुताबिक, UPSC एग्जाम देने के बारे में केवल उन लोगों को सोचना चाहिए जो वाकई में एडमिनिस्ट्रेटर बनने में दिलचस्पी रखते हैं.
युवाओं को सही दिशा की जरूरतसान्याल ने कहा कि उन्हें लगता है कि अब एस्पिरेंट्स की आकांक्षाएं बदल रही हैं. वो बोले,
“हालांकि, अब भी बहुत से युवा UPSC को पास करने की कोशिश में अपना समय बर्बाद कर रहे हैं. मैं ऐसा बिल्कुल नहीं कह रहा कि लोग परीक्षा न दें. हर देश को ब्यूरोक्रेसी की जरूरत है. यह बिल्कुल ठीक है. लेकिन, मुझे लगता है कि लाखों लोग एक परीक्षा पास करने की कोशिश में अपने बेहतरीन साल निकाल दे रहे हैं. जबकि वास्तव में वहां कुछ हजार लोगों की छोटी संख्या की ही जरूरत है.”
सान्याल बोले कि अगर युवा वही ऊर्जा कुछ और करने में लगाते हैं तो हम ज्यादा ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतेंगे. बेहतर फिल्में बनते देखेंगे. बेहतर डॉक्टर देखेंगे. ज्यादा उद्यमी और वैज्ञानिक सामने आएंगे.
युवाओं से अपील?सान्याल ने युवा भारतीयों से अपील की कि उन्हें अन्य क्षेत्रों में भी अपने जुनून और संभावित योगदान के बारे में विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जोखिम लेने और उद्यमिता के प्रति सामाजिक नजरिए को बदलने की जरूरत है. चर्चित इकोनॉमिस्ट ने मध्यमवर्गीय लोगों की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव दिखने की बात कही जिसमें ज्यादातर लोग जोखिम लेने और वेंचर शुरू करने के इच्छुक हैं.
उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग की सोच में बदलाव देखने को मिला है. लोग जोखिम उठा रहे हैं. यह दिमाग का खुलापन है, जो सिर्फ उद्यमिता के छोटे से क्षेत्र में नहीं हो रहा है. यह नजरिये में बदलाव है. पीएम के सलाहकार ने कहा कि नजरिये में यह बदलाव हर चीज में दिखेगा. साइंस, म्यूजिक से लेकर लिटरेचर तक यह दिखाई देगा. इसके कारण हर तरह के इनोवेशन होंगे.
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