Yes Bank ग्राहकों के लिए ख़ुशख़बरी आई है, लाइन में लगने के वास्ते टिफिन बांधे हों, तो अब खा लें
SBI के चेयरमैन ने कहा है कि किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है.
यस बैंक के ग्राहकों के लिए राहत की ख़बर आई है. 50,000 की पाबंदी तय वक्त से पहले हट सकती है. अब तक देश में यस बैंक के अलग-अलग एटीएम के बाहर ग्राहकों में अफरा-तफरी दिख रही है. हर कोई अपने खाते से तुरंत पैसे निकाल लेने की जल्दी में है. यस बैंक के कई एटीएम में कैश जल्दी खत्म हो रहा है. वजह? ग्राहक एक महीने में अधिकतम 50 हजार रुपये तक एटीएम से निकाल सकते हैं. अब यस बैंक को संभालने में जुटे स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने पैसे सुरक्षित होने की बात कही है.
रजनीश कुमार ने कहा,‘लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह मुश्किल दौर अस्थायी है. 50 हजार रुपये की राशि निकाल सकते हैं. लेकिन बैंक का जो मोरेटोरियम (पाबंदी) है, पूरी कोशिश चल रही है कि उसे जल्द से जल्द हटा दिया जाए और स्थिति को पूरी तरह से सामान्य किया जाए. यस बैंक में जमाकर्ताओं का जो पैसा है, उसके सुरक्षित होने को लेकर कोई संदेह नहीं है. मोरेटोरियम कितनी जल्दी उठ सकता है, इसका भी फैसला बहुत जल्द हो जाएगा.'
यस बैंक के आगे लंबी लंबी लाइनें लगी हैं. लोग परेशान हैं कि जल्द से जल्द पैसे निकाल लें
यस बैंक मामले में एसबीआई का रोल बहुत बड़ा है. यस बैंक को मुश्किलों से उबारने का ज़िम्मा RBI ने दिया है SBI को.# और क्या कहा एसबीआई चेयरमैन ने?
चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा-
यस बैंक के पुनर्गठन की एक स्कीम रिजर्व बैंक ने बनाई है. उसके हिसाब से भारतीय स्टेट बैंक यस बैंक में निवेश करेगा और न्यूनतम जो 26 पर्सेंट की सीमा है, वो लॉक-इन रहेगा. एसबीआई 49 परसेंट तक यस बैंक में निवेश कर सकता है. इसके दो मतलब निकाले जाने चाहिए. ये आश्वासन जमाकर्ताओं के साथ-साथ पूरे वित्तीय बाजार के लिए भी है. यस बैंक की अभी जो स्थिति है, उसे बहुत जल्द सामान्य कर दिया जाएगा और स्टेट बैंक इसमें यस बैंक की पूरी मदद करेगा.
# पहले से दुरुस्त हुआ है RBI का सिस्टम
यस बैंक जैसी 'दुर्घटना' क्या भविष्य में फिर हो सकती है? इस सवाल का जवाब भी स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने दिया है. उन्होंने कहा -
रजनीश कुमार ने कहा -ये बहुत जरूरी है कि बैंकिंग सिस्टम या वित्तीय प्रणाली में आम जनता का भरोसा बना रहे. जो पैसा बैंकों में रखा जाता है, वो सुरक्षित रहना चाहिए. भारत का बैंकिंग सिस्टम काफी बड़ा है और इसमें अलग-अलग श्रेणी के बैंक हैं, जैसे पब्लिक सेक्टर बैंक, प्राइवेट सेक्टर बैंक, को-ऑपरेटिव सेक्टर और स्मॉल फाइनेंसिंग बैंक. इसलिए जमाकर्ताओं के पैसों की सुरक्षा के लिए भारतीय रिजर्व बैंक नियम बनाता है. उन नियमों का पालन करना बैंक के बोर्ड और मैनेजमेंट की जिम्मेदारी होती है. निरीक्षण की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक की होती है. पिछले कुछ साल में रिजर्व बैंक के सुपरविजन को काफी चुस्त किया गया है.
# ग्राहकों को घबराना चाहिए?
रिजर्व बैंक का सुपरविजन और बैंक के बोर्ड-मैनेजमेंट का पेशेवर होना बहुत जरूरी है. इस दिशा में लगातार प्रयास हो रहे हैं. अभी जो वित्तीय प्रणाली है, वो काफी हद तक स्थिर है. इस पर जनता को अपना विश्वास बनाए रखना चाहिए. अगर कहीं भी एक या दो कड़ी कमजोर है, तो उसका भी इलाज किया जा रहा है. इसे लेकर घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है. प्राइवेट या सरकारी बैंकों में जमा पैसे को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है. भारतीय रिजर्व बैंक ने 3 अप्रैल तक की तारीख रखी थी, लेकिन मेरे अनुमान में उससे बहुत पहले मोरेटोरियम हटा लिया जाएगा.
बहरहाल, SBI चेयरमैन ने मोरेटोरियम हटाने की बात कही है. कब तक हटेगा? तारीख़ अभी नहीं आई है. लेकिन 3 अप्रैल से पहले हटेगा, ये लगभग तय माना जा रहा है.
5 मार्च, गुरुवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कर्ज में डूबे यस बैंक पर एक महीने की ‘आंशिक पाबंदी’ लगाई थी. यस बैंक पर RBI ने मोरेटोरियम लगा दिया. बैंक के बोर्ड को 30 दिनों के लिए अधिगृहीत किया गया. भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व सीएफओ (मुख्य वित्त अधिकारी) प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया.
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