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राष्ट्रपति पुतिन ने PM मोदी को रूस क्यों बुलाया? 2024 चुनाव पर क्या बोल गए?

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि PM मोदी और राष्ट्रपति पुतिन अगले साल वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए मिलेंगे.

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प्रधानमंत्री मोदी के साथ रूसी राष्ट्रपति पुतिन (फ़ाइल फ़ोटो)
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सोम शेखर
28 दिसंबर 2023 (Updated: 28 दिसंबर 2023, 10:18 AM IST) कॉमेंट्स
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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) रूस के दौरे पर हैं. वो वहां राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) से मिले. अपनी बातचीत के बाद एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन अगले साल वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए मिलेंगे. इसी बातचीत के दौरान पुतिन ने जयशंकर से कहा,

हमें अपने मित्र प्रधानमंत्री मोदी को रूस में देखकर ख़ुशी होगी.

पुतिन ने आगे कहा,

हमने प्रधानमंत्री मोदी से इस बारे में एक से ज़्यादा बार बात की है. मैं यूक्रेन की स्थिति जैसे जटिल मुद्दों पर उनके रवैये की बात कर रहा हूं. मैं शांतिपूर्ण तरीक़ों से इस संघर्ष को हल करने के उनके प्रयास के बारे में जानता हूं. मैंने उन्हें बार-बार वहां की स्थिति के बारे में सूचित भी किया है.

जयशंकर ने भी बताया कि दोनों राष्ट्राध्यक्ष लगातार संपर्क में रहे हैं.

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इसी कॉन्फ़्रेंस में रूस के राष्ट्रपति ने जयशंकर से कहा कि वैसे तो भारत की राजनीति के लिए अगला साल बहुत अस्त-व्यस्त रहने वाला है, लेकिन वो प्रधानमंत्री मोदी का रूस में इंतज़ार कर रहे हैं. उन्होंने आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए ‘अपने मित्र’ को सफलता की शुभकामनाएं भी दीं.

रणनीतिक साझेदारी के लिहाज़ से PM नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच होने वाला शिखर सम्मेलन दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा और अहम चैनल है. अब तक भारत और रूस के राष्ट्राध्यक्षों के बीच कुल 21 सम्मेलन हो चुके हैं. पिछला शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में हुआ था. दिसंबर, 2021 में.

ये भी पढ़ें - वो पांच वजहें, जिनके चलते यूक्रेन से जंग ख़त्म नहीं करना चाहते पुतिन!

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बावजूद भारत-रूस संबंध मज़बूत बने रहे. भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है. भारत का पक्ष यही है कि कूटनीति और बातचीत के ज़रिए हल निकाला जाना चाहिए. अच्छे संबंधों का नतीजा, सस्ते दाम में रूस से कच्चा तेल.

पुतिन ने भी इस बात पर ज़ोर दिया, कि रूस और भारत के बीच व्यापार बढ़ रहा है. ख़ासकर कच्चे तेल और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों की वजह से.

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