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दिल्ली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से वो सवाल पूछा, जवाब के लिए सब ये खबर पढ़ेंगे

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने बताया कि दिल्ली का कंट्रोल उसके पास क्यों होना चाहिए?

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solicitor general tushar mehta and supreme court
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान बेंच ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से सावल पूछा. (फोटो: आज तक)
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13 जनवरी 2023 (Updated: 13 जनवरी 2023, 14:08 IST)
Updated: 13 जनवरी 2023 14:08 IST
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार से सवाल किया है. पूछा है कि अगर दिल्ली (Delhi) का प्रशासनिक नियंत्रण आपके पास ही है, तो वहां चुनी हुई सरकार के होने का क्या फायदा है? चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र से ये सवाल किया है.

कोर्ट के अंदर क्या बात हुई है?

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच गुरुवार, 12 जनवरी को दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच चल रहे विवाद पर सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान बेंच ने केंद्र का पक्ष रख रहे सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, 

'तो फिर दिल्ली में चुनी हुई सरकार होने का क्या फायदा है, अगर प्रशासन केवल केंद्र सरकार के इशारे पर चलाया जाना है.'

इसके जवाब में तुषार मेहता बताते हैं, 

'किसी भी क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का मतलब यही होता है कि केंद्र अपने प्रशासनिक कार्यालयों के जरिए खुद उस क्षेत्र पर प्रशासन करना चाहता है. इसीलिए सारे केंद्र शासित प्रदेशों का प्रशासन केंद्र के सिविल सेवा अफसरों या केंद्र के सरकारी अफसरों द्वारा ही किया जाता है '

तुषार मेहता ने बताया कि दिल्ली एक केंद्र शासित क्षेत्र है, हमेशा से ये चीफ कमिश्नर का प्रांत रहा है. इसे 'पार्ट सी स्टेट' या यूं कहें कि चीफ कमिश्नर द्वारा संचालित प्रदेश की लिस्ट में रखा गया है. केंद्र ने कहा है कि उप-राज्यपाल चीफ कमिश्नर की तरह ही होता है.

‘राजधानी केंद्र की ही तो है’

इस दौरान तुषार मेहता ने ये भी कहा कि जब संविधान बन रहा था तो गृहमंत्री ने कहा था कि देश की राजधानी पर केंद्र सरकार का पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए और ये अनुच्छेद 239 एए का आधार है. अगर दिल्ली को संपूर्ण राज्य बनाया जाता है तो भी केंद्र के लिए लोक व्यवस्था, जन स्वास्थ और भी कई जरुरी सेवाओें पर कंट्रोल रखना जरूरी है. और ये भारत के संविधान की व्याख्या का मामला है इसे राज्य सरकार के हाथ में नहीं दिया जाना चाहिए.

अधिकारियों का ट्रांसफर कौन कर सकता है?

सुनवाई के दौरान बेंच ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि अगर कोई अधिकारी अपने काम को सही तरीके से नहीं करता है तो क्या दिल्ली सरकार उसका ट्रांसफर कर सकती है या उसकी जगह किसी और को ला सकती है. आप बताएंगें कि उसे कहां तैनात किया जाना चाहिए. इस पर तुषार ने जवाब देते हुए कहा कि,

‘डिसिप्लिनरी अथॉरिटी कानून के हिसाब से गृह मंत्रालय है. आपको बस उप-राज्यपाल को बताना है कि इन अधिकारियों का तबादला कर दें और उप-राज्यपाल का ये काम है कि वो इसे कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी तक पहुंचाएंगे. और इसी तरह से ये काम करता है.’

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने ये भी कहा कि दिल्ली का विशेष दर्जा बनाए रखने की जरुरत है. ये देश की राजधानी है और राजधानी सत्ता की जगह होती है, जहां केंद्र सरकार बैठती है. दूसरे देशों के नेता भी राजधानी का दौरा करते हैं. अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 17 जनवरी को होगी. 

वीडियो: ऑक्सीजन मांगने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली सरकार को नखरे वाली गर्लफ्रेंड क्यों कहा?

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