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केंद्र चाहता था विदेश यात्रा से पहले जज राजनीतिक मंजूरी लें, HC ने सीधी बात बोल मामला सुलटा दिया

2021 में विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक ऑफिस मेमोरेंडम को गैर-जरूरी बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया है.

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Delhi High Court
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को गैर-जरूरी बताते हुए रद्द कर दिया. (फोटो- PTI)
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7 अप्रैल 2022 (Updated: 15 जून 2022, 18:51 IST)
Updated: 15 जून 2022 18:51 IST
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13 जुलाई 2021. केंद्र सरकार की ओर से जारी एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया गया. इस मेमोरेंडम में कहा गया कि अपनी निजी विदेश यात्रा के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को राजनीतिक मंजूरी लेने की जरूरत होगी. 6 अप्रैल 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस ऑफिस मेमोरेंडम को रद्द कर दिया. हाई कोर्ट ने ये फैसला अमन वाचर नाम के याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

कोर्ट ने बताया गैर-जरूरी

कानूनी मामलों से जुड़ी न्यूज वेबसाइट लाइव लॉ के मुताबिक अमन वाचर ने अपनी याचिका में कहा था कि निजी विदेश यात्रा के लिए जजों को राजनीतिक मंजूरी लेने की आवश्यकता न केवल उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है, बल्कि वो जिस उच्च पद पर बैठे हैं उसे भी कम करती है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि विदेश यात्रा करने वाले जजों के बारे में जानकारी की आवश्यकता तब भी होती है जब वे निजी यात्रा पर जाते हैं. ताकि किसी भी आपात स्थिति में उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान की जा सके.

इस पर कोर्ट ने कहा,

किसी भी मामले में अगर कोई भारतीय नागरिक (जिसमें जज भी शामिल हैं) किसी संकट में फंसता है तो इसकी सूचना मिलते ही भारतीय दूतावास/मिशन हर संभव सहायता देने के लिए बाध्य हैं.

हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा,

जहां तक 13 जुलाई 2021 के ऑफिस मेमोरेंडम की बात है, तो इसमें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को निजी विदेश यात्राओं के लिए राजनीतिक मंजूरी लेने की आवश्यकता वाली बात गैर-जरूरी है क्योंकि वे उच्च पदों पर हैं.

क्या था ऑफिस मेमोरेंडम में?

ऑफिस मेमोरेंडम सरकार की नीति या फैसले को बताने वाले उस डॉक्यूमेंट को कहते हैं जो उचित प्राधिकारी द्वारा जारी किया जाता है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक जुलाई 2021 में विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए इस मेमोरेंडम में कहा गया था जिन मामलों में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज विदेश मंत्रालय के सीपीवी (यानी काउंसलर, पासपोर्ट एंड वीजा) डिवीजन से वीजा सपोर्ट नोट्स वर्बल मांगते हैं, उनमें निजी या आधिकारिक विदेशी दौरे के लिए मंत्रालय की पूर्व राजनीतिक मंजूरी सबमिट करनी होगी.

नोट वर्बेल और CPV डिवीजन क्या है?

नोट वर्बेल, फ्रेंच भाषा का शब्द है. जिसका शाब्दिक अर्थ मौखिक नोट होता है. हालांकि आधुनिक समय में ये लिखित होता है. इसका इस्तेमाल एक सरकार से दूसरी सरकार के बीच होने वाले डिप्लोमैटिक कम्युनिकेशन के लिए किया जाता है. जबकि CPV डिवीजन विदेश मंत्रालय का एक प्रभाग है. इसका काम राजनयिक और आधिकारिक पासपोर्ट जारी करना, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन, कांसुलर शिकायत, प्रत्यर्पण मामले और भारतीय वीजा जारी करना है.

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