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रुचि सोया के FPO के 'चमत्कार' को नमस्कार करने के बजाय SEBI ने क्यों दिखाई सख्ती?

वजह पतंजलि समूह का एक कथित संदेश बताया गया है?

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पतंजलि समूह और रुचि सोया की सांकेतिक तस्वीर (साभार : आजतक)
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प्रमोद कुमार राय
29 मार्च 2022 (Updated: 29 मार्च 2022, 11:32 AM IST) कॉमेंट्स
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योग और आयुर्वेद के नए-नए नुस्खों के लिए सुर्खियों में रहने वाले बाबा रामदेव की कंपनी एक नए विवाद में घिर गई है. पतंजलि ग्रुप की रुचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Ruchi Soya Industries Ltd) का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) सोमवार 28 मार्च को बंद हुआ था. पहले दो दिन तो यह सिर्फ 24 प्रतिशत सब्सक्राइब हुआ था, लेकिन आखिरी दिन सब्सक्रिप्शन 360 प्रतिशत तक पहुंच गया. लेकिन इस चमत्कार के पीछे असल में कुछ ऐसा हुआ कि मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) को एक हैरान करने वाला फरमान जारी करना पड़ा. SEBI ने कहा कि इस FPO में पैसा लगा चुके जो निवेशक इससे बाहर निकलना चाहते हैं, उन्हें बिड वापस लेने के लिए दो दिन अतिरिक्त दिए जाएंगे. यानी निवेशक 30 मार्च तक पैसा वापस ले सकते हैं. अब आपको लग रहा होगा कि SEBI ने यह अनूठा कदम क्यों उठाया? इससे तो इस FPO से 4300 करोड़ रुपये उगाहने की पतंजलि समूह की मुहिम को बड़ा झटका लग सकता है. तो आपको बता दें कि इस कार्रवाई के पीछे की वजह एक वायरल मेसेज बताया जा रहा है. कथित तौर पर पतंजलि समूह की ओर से अपने सदस्यों को भेजे गए मेसेज में इस FPO में निवेश करने की अपील की गई थी. SEBI के नियमों के मुताबिक IPO या FPO के दौरान कंपनी या उसके अधिकारियों की ओर से ऐसी कोई भी अपील नहीं की जा सकती. मार्केट रेग्युलेटर ने इस मेसेज को भ्रामक बताते हुए कार्रवाई की है. लेकिन दूसरी ओर पतंजलि समूह का दावा है कि यह मेसेज उसकी ओर से भेजा ही नहीं गया.

मेसेज में था क्या?

सबसे पहले देखते हैं कि 24 मार्च को FPO खुलने के बाद सर्कुलेट हुए इस मेसेज में क्या कहा गया था? इसमें लिखा है,
"पतंजलि परिवार के सभी प्यारे सदस्यों के लिए एक बड़ी खबर. पतंजलि समूह में निवेश का एक बढ़िया मौका. पतंजलि ग्रुप की कंपनी रुचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने खुदरा निवेशकों के लिए फॉलोऑन पब्लिक ऑफर (FPO) खोला है. यह 28 मार्च को बंद हो रहा है. यह 615-650 रुपये के प्राइस बैंड में उपलब्ध है. इस प्राइस पर निवेशकों को 30 पर्सेंट डिस्काउंट मिल रहा है. आप इस शेयर के लिए अपने डीमैट अकाउंट के साथ बैंक/ब्रोकर/एएसबीए/यूपीआई के जरिए अप्लाई कर सकते हैं.''
पैसा निकालने की छूट इस मेसेज के आने के बाद SEBI ने सख्त रुख अपनाया. अपनी तरह के पहले फैसले में उसने निवेशकों को बिड वापस लेने के लिए दो दिन अतिरिक्त दे दिए. वैसे आम तौर पर कोई निवेशक IPO या FPO बंद हो जाने के बाद पैसा सीधे वापस नहीं ले सकता. यानी मार्केट खुलने पर अपना शेयर बेचकर ही कोई बाहर आ सकता है. सेबी ने रुचि सोया को यह निर्देश भी दिया है कि वह अखबारों में एक विज्ञापन निकालकर इस मेसेज के बारे में लोगों को सूचित करे और इसके स्रोत का पता लगाए. उसकी ओर से बताया गया कि सोमवार को एक मीटिंग हुई, जिसमें रुचि सोया FPO के बुक रनिंग लीड मैनेजर्स के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. यह मेसेज सरसरी नजर में भ्रामक लग रहा है और यह सेबी (DCDR) रेगुलेशंस 2018 का उल्लंघन है. रुचि सोया ने मंगलवार 29 मार्च को एक पब्लिक नोटिस जारी करते हुए सफाई दी कि कंपनी का इस मेसेज से कोई लेना-देना नहीं है. और इसके स्रोत का पता लगाने के लिए कंपनी ने हरिद्वार में एक एफआईआर भी दर्ज कराई है. कंपनी ने कहा कि यह मेसेज उसकी ओर से जारी नहीं हुए, न ही कंपनी के किसी डायरेक्टर, प्रमोटर, प्रमोटर ग्रुप या ग्रुप कंपनी ने इसे जारी किया है. फिर भी चमके शेयर इस खबर के बाद माना जा रहा था कि मंगलवार को रुचि सोया के शेयरों पर बुरा असर होगा और उनमें भारी गिरावट आ सकती है. लेकिन इसके शेयर 15 फीसदी चढ़कर बंद हुए. सुबह के कारोबार में रुचि सोया के शेयर थोड़ा नीचे कारोबार करते रहे. दोपहर तक 10 फीसदी की तेजी आई और शाम को 123 पॉइंट ऊपर 938 पर बंद हुए.   गौरतलब है कि रुचि सोया में बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की 98.9 पर्सेंट हिस्सेदारी है. कंपनी इस एफपीओ के जरिए शेयर बाजार से करीब 4300 करोड़ रुपये जुटाना चाहती थी. इस FPO को लेकर SEBI की कार्रवाई नई नहीं है. अक्टूबर में बाबा रामदेव ने एक योग सेशन के दौरान लोगों से यह अपील तक कर डाली थी कि अगर वे करोड़पति बनना चाहते हैं तो डीमैट अकाउंट खुलवा लें और रुचि सोया के एफपीओ में निवेश करें. बाबा के इस बयान पर SEBI ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई थी. IPO और FPO में क्या अंतर है? IPO यानी Initial Public Offer नई कंपनी लाती है, जो पहले से शेयर बाजार में लिस्टेड नहीं होती, जबकि एफपीओ (FPO) यानी Follow-on Public Offer एक लिस्टेड कंपनी लाती है. इसका मकसद कारोबार में विस्तार के लिए पैसा जुटाना होता है. रुचि सोया इस FPO के जरिए कंपनी में अपनी करीब 19 पर्सेंट शेयर होल्डिंग बेचकर 4300 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है. चूंकि IPO लाने वाली कंपनी लिस्टेड नहीं होती. इसलिए उसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होती है. दूसरी ओर FPO लाने वाली कंपनी के कारोबार और वित्तीय स्थिति की जानकारी सभी को होती है. ऐसे में IPO के मुकाबले FPO कम जोखिम वाला माना जाता है. एक और अंतर यह है कि IPO के प्राइस बैंड को लेकर संदेह बना रहता है कि कीमतें वाजिब हैं या नहीं. जैसा कि हम पेटीएम के हालिया IPO में देख चुके हैं. यह IPO जिस मूल्य पर आया था, फिलहाल शेयर उससे 75 पर्सेंट तक नीचे ट्रेड कर रहा है. कहा जाता है कि पेटीएम का IPO ओवरवैल्यूड था. लेकिन FPO के मामले में कंपनी के शेयर का वाजिब मूल्य पता करना आसान होता है.

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