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वो केस क्या है, जिसमें ED ने संजय राउत को अरेस्ट कर लिया है?

क्या संजय राउत की पत्नी के खाते में पैसे ट्रांसफर हुए?

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Sanjay Raut
Shivsena नेता Sanjya Raut. (फाइल फोटो)
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मुरारी
27 जून 2022 (Updated: 1 अगस्त 2022, 09:26 AM IST) कॉमेंट्स
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प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने 31 जुलाई की रात शिवसेना नेता संजय राउत को अरेस्ट कर लिया है. 9 घंटे तक चली छापेमारी के बाद. इस मामले में राउत को ED के सामने पेश होना था. हालांकि, राउत संसद के मानसून सत्र का हवाला देकर एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए. इस छापेमारी के बाद संजय राउत ने कहा कि वो लड़ाई लड़ते रहेंगे. उन्होंने कहा कि उनका घोटाले से कोई लेना देना नहीं है.

क्या है पात्रा चॉल मामला?

मुंबई के उत्तरी भाग में गोरेगांव नाम का एक उपनगर है. यहां एक इलाका है सिद्धार्थ नगर. इसी सिद्धार्थ नगर को पात्रा चॉल के नाम से भी जाना जाता है. पात्रा चॉल में 47 एकड़ में कुल 672 घर बने हुए हैं. साल 2008 में महाराष्ट्र हाउजिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) ने पात्रा चॉल को रीडेवलप करने का प्रोजेक्ट तैयार किया और कॉन्ट्रैक्ट दिया गुरू आशीष कन्सट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (GACPL) को. इस प्रोजेक्ट के तहत पात्रा चॉल के लोगों का पुनर्वास भी करना था.

प्रोजेक्ट के लिए एक एग्रीमेंट साइन हुआ. इसमें तीन पार्टियां शामिल हुईं. GACPL, पात्रा चॉल में रहने वाले लोगों का समूह और MHADA. एग्रीमेंट के तहत GAPCL को पात्रा चॉल के लोगों को 672 फ्लैट उपलब्ध कराने थे. MHADA के लिए फ्लैट्स डेवलप करने थे और बची हुई जमीन को प्राइवेट डेवलपर्स को बेचना था. इधर 14 साल बीतने के बाद भी पात्रा चॉल के लोगों को फ्लैट्स का इंतजार है.  

इस प्रोजेक्ट के तहत GACPL को पात्रा चॉल में रहने वाले लोगों को हर महीने किराया भी देना था. जबतक उनके पुनर्वास के लिए दूसरे घर ना बन जाएं. इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े वल्लभ ओजारकर की रिपोर्ट के मुताबिक, पात्रा चॉल के लोगों को बस 2014-15 तक किराया दिया गया. उसके बाद किराया ना मिलने पर लोगों ने शिकायत की. पुनर्वास के लिए घर बनने में देरी की भी शिकायत की गई.

लोगों की शिकायत के बाद MHADA ने 12 जनवरी, 2018 को GACPL का कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने का नोटिस जारी किया. इसके बाद जिन नौ प्राइवेट डेवलपर्स ने GACPL से फ्लोर स्पेस इंडेक्स खरीदा था, वो इस नोटिस के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट चले गए. इसके बाद ये प्रोजेक्ट रुक गया.

ED ने क्या केस किया है?

ED का कहना है कि प्रवीण राउत और GACPL के दूसरे डायरेक्टर्स ने MHADA को गुमराह किया. उसके मुताबिक प्रवीण राउत, संजय राउत के करीबी हैं. उनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने फ्लोर स्पेस इंडेक्स को नौ प्राइवेट डेवलपर्स को बेचा और 901.79 करोड़ रुपये इकट्ठा किए. इस दौरान पात्रा चॉल के लोगों के पुनर्वास के लिए एक भी फ्लैट नहीं बनाया. ना ही एग्रीमेंट के तहत MHADA के लिए कोई फ्लैट बनाया गया.

ED का दावा है कि GACPL ने मेडोस नाम का एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया और फ्लैट की बुकिंग करने वालों से 138 करोड़ रुपये लिए. ED का आरोप है कि गुरु आशीष कन्स्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने अवैध गतिविधियों से 1039.37 करोड़ रुपये इकट्ठा किए. केंद्रीय एजेंसी ने आरोप लगाया है कि प्रवीण राउत को रियल स्टेट कंपनी HDIL से 100 करोड़ रुपये मिले और इन पैसों को उन्होंने अपने रिश्तेदारों, करीबियों और दूसरे बिजनेस में ट्रांसफर किया. ED का कहना है कि प्रवीण राउत ने कुछ हिस्सा संजय राउत के परिवार के लोगों को भी ट्रांसफर किया.

केंद्रीय एजेंसी का आरोप है कि साल 2010 में प्रवीण राउत ने 'अवैध पैसों' में से 83 लाख रुपये संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत के खाते में ट्रांसफर किए. ED के मुताबिक, वर्षा राउत ने इन पैसों का यूज दादर में एक फ्लैट खरीदने के लिए किया. ED ने ये भी आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के अलीबाग के किहिम बीच पर वर्षा राउत और स्वप्ना पाटकर के नाम से आठ प्लॉट खरीदे गए.

अब क्या स्टेटस है?

दो साल पहले महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के रिटायर्ड चीफ सेक्रेटरी जॉनी जोसेफ की अगुवाई वाली एक सदस्यीय कमेटी का गठन किया. इस कमेटी को पात्रा चॉल के लोगों के पुनर्वास और रेंट के लिए हल बताना था. इस कमेटी के प्रस्ताव और MHADA के फीडबैक के बाद जून, 2021 को महाराष्ट्र कैबिनेट ने फिर से पात्रा चॉल रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट को फिर से मंजूरी दे दी. इस संबंध में सरकारी प्रस्ताव जुलाई 2021 में जारी किया गया.

इस साल फरवरी में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आदेश पर निर्माण कार्य फिर से शुरू हुआ. अब इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी MHADA की है. महाराष्ट्र हाउजिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी को 650 वर्ग फुट कारपेट एरिया क्षेत्र के 672 फ्लैट तैयार करने हैं.

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