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नए एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की डिग्री को लेकर क्यों हो रहा है विवाद?

2014 में एचआरडी मंत्री बनी स्मृति ईरानी की डिग्री को लेकर भी विवाद हुआ था.

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मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक
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डेविड
1 जून 2019 (Updated: 1 जून 2019, 12:50 PM IST) कॉमेंट्स
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रमेश पोखरियाल निशंक. मानव संसाधन विकास मंत्री है. उत्तराखंड के सीएम भी रह चुके हैं. केंद्रीय मंत्री बनने के बाद उनकी डिग्री को लेकर विवाद हो रहा है. निशंक अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाते हैं. लेकिन ये सुई कोचने वाले डॉक्टर नहीं हैं. पीएचडी वाले डॉक्टर हैं. श्रीलंका स्थित इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से एक नहीं दो-दो मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिली हुई है. लेकिन अब यूनिवर्सिटी को लेकर ही विवाद हो गया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक यह यूनिवर्सिटी श्रीलंका में रजिस्टर्ड ही नहीं है.
90 के दशक की बात है. कोलंबो ओपन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ने निशंक को डी लिट (Doctor of Literature) की डिग्री दी. शिक्षा में योगदान के लिए यह डिग्री दी गई. कुछ साल बाद की बात है. इसी यूनिवर्सिटी ने उन्हें एक और डी लिट डिग्री दी. इस बार विज्ञान में योगदान के लिए उन्हें डिग्री दी गई.

गृह मंत्री अमित शाह के साथ मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक.

ओपन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी श्रीलंका में न तो विदेशी और न ही घरेलू यूनिवर्सिटी के तौर पर रजिस्टर्ड है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुतााबिक श्रीलंका के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इसकी पुष्टि की है. पिछले साल देहरादून में निशंक की शिक्षा को लेकर एक आरटीआई फाइल की गई थी. लेकिन आधी अधूरी जानकारी दी गई.
चुनाव आयोग को दिए गए एफिडेविट में निशंक अपनी पढ़ाई लिखाई के बारे में बताया है कि उन्होंने हेमवती बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से एम.ए किया है. उन्होंने ये भी बताया है कि उनके पास पीएचडी (मानद) और डी. लिट (मानद) की भी डिग्री है. लेकिन किस यूनिवर्सिटी से है और कब मिली इसका कोई जिक्र नहीं है.
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विवाद पर क्या कह रहे हैं निशंक?
डिग्री विवाद निशंक ने सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि मैंने कोई ग़लत काम नहीं किया है, इसलिए डरता नहीं हूं. मैं निशंक हूं, जिसका मतलब होता है जिसे किसी का डर न हो.
पिछली एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी की डिग्री पर भी हो चुका है विवाद
2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद स्मृति ईरानी को एचआरडी मिनिस्टर बनाया गया. उनकी डिग्री को लेकर भी विवाद हुआ, जो  2019 के चुनाव तक चलता रहा. ईरानी ने 2004 में दिए गए एफिडेविट में बताया कि उन्होंने बीए किया है, लेकिन 2011 में राज्यसभा के चुनाव के दौरान उन्होंने जो हलफनामा दिया उसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने बी.कॉम पार्ट-1 किया था. 2014 में ईरानी ने बताया कि उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से 1994 में बैचलर्स ऑफ कॉमर्स पार्ट-1 किया है. 2004 में उन्होंने खुद को ग्रेजुएट बताया था. विवाद यही है कि ईरानी ग्रेजुएट हैं या नहीं. उन्होंने किस कोर्स की पढ़ाई की है. डिग्री विवाद पर ईरानी ने इंडिया टुडे के एक कार्यक्रम में कहा था कि,
''लोग मुझे अनपढ़ कहते हैं. लेकिन मैं बता दूं कि मेरे पास येल यूनिवर्सिटी की भी डिग्री है. येल यूनिवर्सिटी ने मेरी लीडरशिप क्वालिटी को सेलिब्रेट किया था.''
6 दिन के सर्टिफिकेट को बता दिया था येल की डिग्री
येल यूनिवर्सिटी की जिस डिग्री की बात ईरानी ने कही थी, उसके बारे में खुद उन्होंने बाद में माना था कि ये ‘डिग्री’ वास्तव में एक सर्टिफिकेट था. ये उन सांसदों को मिला था जिन्होंने 6 दिन का ट्रेनिंग कोर्स किया था. ईरानी ने बताया था कि वह उन 11 सांसदों में शामिल थीं जो 2013 में क्रैश कोर्स के लिए येल यूनिवर्सिटी गए थे. यानी ईरानी ने सर्टिफिकेट को ही येल यूनिवर्सिटी की ओर से दी गई डिग्री बता दी थी. अब 2019 में जब एक बार फिर मोदी सरकार बनी है. एचआरडी मंत्रालय रमेश पोखरियाल निशंक को मिला है तो उनकी डिग्री को लेकर भी विवाद शुरू हो गया है.


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