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यूपी : छात्रसंघ चुनाव कराने के लिए छात्रों ने नारे लगाए, सेडिशन का केस दर्ज हो गया

"जेएनयू वाले एंटी-नेशनल नारे" पर बनी कहानी, यूपी पुलिस ने राजद्रोह की धारा हटा दी.

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अयोध्या का केएस साकेत डिग्री कॉलेज (बाएं) जहां प्रिंसिपल की शिकायत पर छात्रों पर राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज हो गया. यूपी पुलिस की तस्वीर सांकेतिक.
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सिद्धांत मोहन
28 दिसंबर 2020 (Updated: 28 दिसंबर 2020, 12:02 PM IST) कॉमेंट्स
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यूपी का अयोध्या. यहां पर है केएस साकेत डिग्री कॉलेज. यहां के कुछ छात्रों समेत कुल 6 लोगों के खिलाफ़ यूपी पुलिस ने सेडिशन यानी राजद्रोह का केस दर्ज कर दिया है. क्यों? क्योंकि ऐसा कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा था. क्यों कहा था? क्योंकि प्रिंसिपल का कहना है कि छात्रों ने कॉलेज कैंपस में एंटी-नेशनल नारे लगाए. जिन 6 लोगों के खिलाफ़ प्रिंसिपल की तहरीर पर मुक़दमा दर्ज किया गया है, उनके नाम हैं सुमित तिवारी, शेषनारायण पांडेय, इमरान हाशमी, सात्विक पांडेय, मोहित यादव और मनोज मिश्रा. इन पर IPC की धारा 124-A (राजद्रोह), 147 (दंगा भड़काना), 506 (धमकी देना) सहित दूसरी धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया गया. प्रिंसिपल का क्या कहना है? इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर की मानें तो प्रिंसिपल एनडी पांडेय ने आरोप लगाया है कि 16 दिसंबर को कॉलेज में “ले के रहेंगे आज़ादी” जैसे राष्ट्रविरोधी नारे लगाए गए थे. उन्होंने ये भी कहा कि रामजन्मभूमि परिसर पास में ही है, तो ये उनकी ज़िम्मेदारी है कि वो ऐसी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर नज़र बनाए रखें और ऐसे नारों को ना लगने दें, जो जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में लगते रहे हैं. उनके द्वारा दर्ज की गयी शिकायत कहती है,
“कॉलेज में एडमिशन प्रक्रिया और क्लासेज़ 7 दिसंबर से शुरू हैं. इस दौरान कुछ बाहरी लोग, कुछ असामाजिक तत्त्व और कुछ तथाकथित नेताओं ने छात्रसंघ चुनाव की मांग करते हुए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. 16 दिसंबर को ये लोग कॉलेज में घुस आए. मेन गेट को बंद कर दिया. शिक्षकों, कॉलेज प्रशासन और दूसरों के साथ बदतमीज़ी करने लगे. उन्होंने क्लासों के संचालन में भी बाधा पहुंचायी. इस मौक़े पर ‘ले के रहेंगे आज़ादी’ जैसे अभद्र और एंटी-नेशनल नारे लगा रहे थे. इस घटना की वजह से छात्रों में डर और ग़ुस्सा बैठ गया है.”
मीडिया से बातचीत में भी एनडी पांडेय ने कहा है कि वो ऐसे नारे लगा रहे थे, जैसे जेएनयू में लगाए जाते हैं, उन्हें कैसी आज़ादी चाहिए? उन्हें छात्रसंघ चुनाव चाहिए, हम तो कभी एडमिशन के बीच में हैं. चुनाव कैसे करवाए जा सकते हैं? लेकिन उन्होंने ये बताने से इंकार कर दिया कि इन 6 नामज़द लोगों में से कॉलेज के छात्र कौन से हैं? लेकिन ये कहा कि इनमें से कुछ छात्र हैं, कुछ पुराने छात्र हैं और कुछ बाहरी लोग हैं. छात्रों का क्या कहना है?  इधर छात्रों का कहना है कि नारे तो लगाए गए, लेकिन कॉलेज के प्रिंसिपल और चीफ प्रॉक्टर के खिलाफ़ लगाए गए थे. छात्र कहते हैं कि कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव करवाने के लिए ये नारा लगा रहे थे. एक्सप्रेस से ही बातचीत में एम.कॉम. के छात्र और 2018 के छात्रसंघ अध्यक्ष ने कहा है,
“प्रदर्शनकारी छात्र केवल इतना कह रहे थे कि उन्हें प्रिंसिपल और प्रॉक्टर से आज़ादी चाहिए. अब प्रिंसिपल ने इसको ऐसे घुमाया है कि छात्र एंटी-नेशनल नारे लगा रहे थे. पिछले साल राम मंदिर मुद्दे की वजह से चुनाव नहीं हो सके थे. उस समय किसी ने कुछ नहीं कहा क्योंकि संवेदनशील मुद्दा था. अब इस साल छात्र इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि चुनाव रद्द कर दिए गए हैं, जबकि देश भर में चुनाव हो रहे हैं. जब क्लास चल सकती है तो छात्रसंघ के चुनाव क्यों नहीं हो सकते हैं?”
इस मामले में अयोध्या पुलिस ने कहा है कि पूरे मामले की जांच करने के बाद ही स्थिति साफ़ हो पाएगी. अयोध्या पुलिस स्टेशन के अधिकारी आशुतोष मिश्रा ने कहा है,
“हम CCTV फ़ुटेज और तमाम वीडियो की जांच करेंगे. अगर कोई अपराध हुआ है, तो उचित कार्रवाई की जाएगी.”
अपडेट : इस मामले में 28 दिसम्बर की अपडेट बताती है कि अयोध्या पुलिस ने छात्रों पर से राजद्रोह या सेडिशन का मुक़दमा वापिस ले लिया है. अयोध्या के सीओ राजेश कुमार राय ने आजतक के पत्रकार बनबीर सिंह से बातचीत में कहा है कि जांच में कोई साक्ष्य न मिलने के कारण राजद्रोह की धारा हटा ली गयी है, जबकि बाक़ी धाराओं के तहत जांच चल रही है.

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