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यूपी: पेपर लीक की खबर छापना पड़ा भारी, पुलिस पत्रकार को थाने ले गई, दफ्तर में तोड़फोड़ करने का आरोप

पत्रकार के सहयोगियों से हाथापाई करने का भी आरोप है.

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पत्रकार अजित ओझा का वीडियो सोहल मीडिया में वायरल है (फोटो - स्क्रीन ग्रैब ट्विटर के वीडियो से @tgroundreport)
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साजिद खान
30 मार्च 2022 (Updated: 30 मार्च 2022, 12:55 AM IST)
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उत्तर प्रदेश का बलिया. बुधवार 30 मार्च को 12वीं का अंग्रेजी का पेपर लीक होने के चलते इस जिले की भी परीक्षा टाल दी गई. हिंदी अखबार अमर उजाला ने मामले की रिपोर्टिंग की. इसके बाद स्थानीय स्तर पर काफी हंगामा हुआ. बाद में रिपोर्ट करने वाले पत्रकार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. आरोप है कि पत्रकार को ना सिर्फ घंटों थाने में रखा गया, बल्कि उसके दफ़्तर में तोड़ फोड़ भी की गई. वहां के कर्मचारियों के साथ कथित रूप से हाथापाई किए जाने की भी जानकारी सामने आई है. हिरासत में लिए गए पत्रकार का नाम अजित ओझा है. उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. वायरल वीडियो में पत्रकार अजित ओझा कह रहे हैं कि अंग्रेजी प्रश्नपत्र के वायरल होने की खबर के छपने के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक ने उन्हें फोन किया था. पूछा कि क्या ख़बर आप लोगों ने (मतलब अमर उजाला) छापी है. अजित के मुताबिक निरीक्षक ने उनसे कहा कि प्रश्नपत्र वायरल हो रहा है, अगर उनके पास प्रश्नपत्र हो तो वॉट्सऐप पर भेज दें. अजित ने कहा,
"कुछ देर बाद डीएम साहब फोन करके प्रश्नपत्र मांगने की बात करने लगे. मैंने डीएम साहब को प्रश्नपत्र वॉट्सऐप पर भेज दिया और उसके बाद ऑफिस चला आया. मेरे दफ्तर जाने के बाद कोतवाल वहां आए और (मुझसे) अपराधी की तरह व्यवहार करते हुए दफ्तर में तोड़फोड़ तक की."
पत्रकार ने आगे कहा,
"मुझे जबरन गाड़ी में बैठाकर कोतवाली लाए. हमने उनसे सवाल भी किया कि इसमें हमारा क्या कसूर है. हम उनके साथ नहीं आ रहे थे तो उन्होंने हमारे सहयोगियों के साथ हाथापाई की, धक्का-मुक्की तक कर डाली. और यहां हमें करीब 3 घंटे से बिठा रखा है."
वहीं इस मामले में पुलिस का कहना है कि अजित बलिया के हरिपुर जिगनी में उच्च माध्यमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक है और साथ में वह संवाददाता का भी कम भी करता है. पुलिस को अजित के खिलाफ शिकायत मिली थी जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया है.

समर्थन में आए लोग

अजित ओझा का ये वीडियो देख सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. रितेश यादव नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा,
"सच बोलना नहीं है, सच सुनना नहीं है. सच देखना नहीं है. छोटे पत्रकारों को दबाया जाता है. बड़े पत्रकार सब चुपचाप सब देखते है."
रोहित त्रिपाठी नाम के ट्विटर यूजर ने सीएम योगी को टैग करते हुए लिखा,
निंदनीय! महोदय योगी आदित्यनाथ, क्या खबर छापना जुर्म हो चुका है? प्रश्नपत्र की सुरक्षा आप नहीं कर पाते. सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. पत्रकार खबर छापे तो आपकी कार्रवाई, मुकदमे, बेइज्जती झेले.
एक और यूजर दिलीप सिंह ने शायर मोहसिन जैदी का शेर लिखा,
ये ज़ुल्म देखिए कि घरों में लगी है आग, और हुक्म है मकीन निकल कर न घर से आएं.
बहरहाल, पुलिस की कार्रवाई के विरोध और पीड़ित पत्रकार के समर्थन में बलिया के पत्रकार कोतवाली के सामने धरने पर बैठे हैं.

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