The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • UK Supreme Court ruled Trans w...

"महिला नहीं है ट्रांस वुमन", यूके की शीर्ष अदालत का बड़ा फैसला

ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट (UK Supreme Court) ने 16 अप्रैल को ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि 'Trans Women' देश के Equality Act 2010 के तहत 'Women' की कानूनी परिभाषा में नहीं आतीं. इस मामले में क्या दलील रखी गईं? यहां पढ़ें.

Advertisement
Supreme Court, Women
महिला अधिकार संगठन FWS ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई. (FWS)
pic
मौ. जिशान
16 अप्रैल 2025 (Published: 10:13 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 16 अप्रैल को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने फैसला दिया कि 'ट्रांस महिलाएं' (Trans Women) देश के Equality Act 2010 के तहत 'महिला' (Women) की कानूनी परिभाषा में नहीं आती हैं. कोर्ट का कहना है कि इस कानून में 'महिला' और 'लिंग' का मतलब केवल जैविक महिलाएं (Biological Women) और जैविक लिंग (Biological Sex) से है. मतलब, जन्म के समय किसी व्यक्ति का बायोलॉजिकल सेक्स ही उसका 'महिला' होना तय करेगा.

आमतौर पर ‘ट्रांस’ शब्द का इस्तेमाल ‘ट्रांसजेंडर’ शब्द के छोटे रूप में होता है. दी न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह फैसला ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. यह फैसला कई कानूनी मामलों पर असर डाल सकता है, जैसे कि सिंगल-सेक्स स्पेस (जैसे महिला शौचालय या चेंजिंग रूम), बराबर वेतन के दावे और मातृत्व से जुड़ी नीतियां.

इस मामले में महिला अधिकार संगठन 'फॉर वुमेन स्कॉटलैंड' (For Women Scotland) यानी FWS ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, FWS की तरफ से एडन ओ'नील केसी ने दलील दी कि कोर्ट कानूनी कल्पनाओं के बजाय जैविक वास्तविकता के तथ्यों को ध्यान में रखे. वहीं, LGBTQ+ कार्यकर्ताओं ने तर्क दिया कि अगर कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला नहीं दिया, तो ट्रांस महिलाएं, वुमेन शेल्टर समेत कई सुविधाओं का फायदा नहीं उठा पाएंगी.

दरअसल, यह कानूनी लड़ाई कई सालों से चल रही थी. मामला यह था कि क्या ट्रांस महिलाएं Equality Act के तहत 'महिला' मानी जा सकती हैं. अदालत के डिप्टी प्रेसिडेंट, लॉर्ड हॉज ने फैसला सुनाते हुए कहा,

इस कोर्ट ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि समानता अधिनियम 2010 में 'महिला' और 'लिंग' शब्द जैविक महिलाओं और जैविक लिंग को बताते हैं.

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा,

हम इस फैसले को हमारे समाज में एक या एक से ज्यादा अधिक समूहों की जीत के तौर पर नहीं देखना चाहते हैं, यह ऐसा नहीं है.

उन्होंने कहा कि यह फैसला 'ट्रांस लोगों के लिए नुकसानदेह नहीं है' क्योंकि उन्हें भेदभाव विरोधी और समानता कानूनों के तहत सुरक्षा मिली हुई है.

लॉर्ड हॉज ने यह भी कहा कि यह कोर्ट का काम नहीं है कि वो ये तय करे कि किन समूहों के हित कैसे सुरक्षित किए जाएं. इस पर उन्होंने कहा,

इस कोर्ट का काम यह पॉलिसी बनाना नहीं है कि इन समूहों के हितों की रक्षा कैसे की जानी चाहिए बल्कि संसद से पारित कानून का मतलब पुख्ता करना है.

लॉर्ड हॉज ने फैसला सुनाते समय कोर्ट रूम में शांति बनाए रखने की अपील की थी, लेकिन जैसे ही फैसला सुनाया गया, वहां मौजूद लोगों की तरफ से आवाज सुनाई दीं. वहीं, इस फैसले के बाद महिला अधिकार संगठन 'फॉर वुमेन स्कॉटलैंड' (For Women Scotland) के कार्यकर्ताओं ने कोर्ट के बाहर जश्न मनाया और एक-दूसरे को गले लगाया.

कौन होती हैं ट्रांस महिलाएं?

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (APA) के मुताबिक, ट्रांस महिलाएं वे होती हैं जिनका जन्म 'पुरुष' के रूप में हुआ था, लेकिन वे महसूस करती हैं कि उनका असली लिंग 'महिला' है. ये अपनी पहचान को महिला के तौर पर स्वीकार करती हैं और अक्सर अपनी शारीरिक बनावट में बदलाव करने के लिए मेडिकल प्रोसेस या दूसरे तरीके अपनाती हैं ताकि वे अपनी सच्ची पहचान के मुताबिक महसूस कर सकें.

वीडियो: Rape और POCSO के आरोपी को Bombay High Court ने ये कहते हुए दे दी ज़मानत

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement