त्रिपुरा में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे 10 हजार से ज्यादा शिक्षकों की क्या मांग है?
इस मसले पर सरकार ने क्या किया?
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अगरतला में धरने पर बैठे टीचर
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ नौकरी से निकाले गए टीचर्स सुप्रीम कोर्ट गए. 2017 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया. यहां से भी इन टीचर्स को झटका मिला और सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखा. राज्य सरकार ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की और करीब 8000 टीचर्स को 31 मार्च 2020 तक ऐड हॉक पर बेसिस पर रखा. 31 मार्च के बाद फिर से ये टीचर बेरोजगार हो गए. राज्य सरकार क्या कर रही? धरने पर बैठे टीचर्स का कहना है कि उन्हें पहले की लेफ्ट सरकार और अब की बीजेपी सरकार दोनों ने धोखा दिया है. धरने में शामिल दलिया दास ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,From today we Joint movement committee 10323 teachers started our sit in demonstration program at City centre Agartala with demand of permanent job solutions. We request the state government @BjpBiplab to solve our matter immediately. @psanta32 @GautamDebbarma6 @depankar2017 pic.twitter.com/SJha5vdHnU
— Justice For 10323 Teachers (@Justice10323) December 7, 2020
हमारा छह लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल इस साल सितंबर में मुख्यमंत्री बिप्लब देब से मिला था. जहां उन्होंने दो महीने के अंदर इस मसले का स्थायी समाधान निकालने का आश्वासन दिया था. दो महीने बीत चुके हैं लेकिन अब तक स्थायी समाधान को लेकर एक कदम भी नहीं उठाया गया है. हमारी नौकरी खत्म हुए नौ महीने हो चुके हैं. हमारे सामने अपनी जीविका चलाने की चुनौती है. हम इस मसले का स्थायी समाधान चाहते हैं. यही वजह है कि हम अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं.इस साल सितंबर में राज्य कैबिनेट ने नौकरी से निकाले गए टीचर्स को ग्रुप C के नॉन टेक्निकल पदों के लिए निकाली गई भर्ती में अवसर देने को मंजूरी दी थी. इसके अलावा सभी बर्खास्त शिक्षकों को 31 मार्च 2023 तक आयु में छूट को भी मंजूरी दी गई थी. उस समय राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि नौकरी से निकाले गए शिक्षकों को वैकल्पिक रोजगार देने के लिए चरणबद्ध तरीके से प्रयास किए जा रहे हैं.