टाइटैनिक ढूंढने गई 'टाइटन' की सेफ्टी पर बड़ा खुलासा, उठे थे सवाल फिर भी...
टाइटन बनाने वाली कंपनी के सीईओ ने इसकी सुरक्षा को लेकर जाहिर की थीं चिंताएं. किन चेतावनियों पर नहीं दिया ध्यान?

टाइटैनिक का मलबा देखने गई पनडुब्बी टाइटन ना खुद बची और ना उसमें सवार लोगों को बचाया जा सका. 22 जून की शाम यूएस कोस्ट गार्ड ने इसमें सवार पांचों लोगों की मौत होने की जानकारी दी. इसके बाद से ही टाइटन की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं. बताया जाने लगा है कि कैसे टाइटन की सिक्योरिटी को लेकर पहले ही कयास लगाए जा रहे थे.
द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 20 जून को न्यूयॉर्क टाइम्स ने 2018 की एक चिट्ठी प्रकाशित की. इसे पनडुब्बियां बनाने वाली इंडस्ट्रीज के कई लीडर्स ने लिखा था. उन्होंने टाइटन बनाने वाली ओशियन गेट के सीईओ स्टॉकन रश को भी अपनी चिंताएं बताई थीं. टाइटन को लेकर उन्होंने कहा था कि इससे विनाशकारी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. इसके 1 साल बाद ओशियन गेट ने एक ब्लॉग पोस्ट लिखकर मामले पर सफाई दी थी. साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि एक्सीडेंट्स के लिए पनडुब्बी नहीं, उसके ऑपरेटर जिम्मेदार होते हैं.
टाइटन को नहीं मिला था सेफ्टी का कोई सर्टिफिकेटकिसी को नहीं पता कि टाइटन को सेफ्टी के लिए सर्टिफिकेट मिला था या नहीं. लेकिन 2022 में एक न्यूज रिपोर्टर ने दावा किया था कि इस पर जाने के लिए उन्होंने एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए. इनमें साफ लिखा था कि टाइटन को किसी रेगुलेटरी बॉडी से अनुमति या सर्टिफिकेट नहीं मिला है.
पूर्व कर्मचारी ने किया था केस2018 में ही ओशियन गेट के मरीन ऑपरेशंस के डायरेक्टर रहे डेविड लोक्रिज ने उन पर एक केस दायर किया था. इसमें टाइटन के समुद्र में इतने नीचे जाने पर चिंताएं थीं. उन्होंने ये भी बताया था कि पनडुब्बी की सुरक्षा के बारे में सवाल उठाने पर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था.
पिछले साल टाइटन में यात्रा करने वाले माइक रीस ने बीबीसी को एक बयान दिया. इसमें उन्होंने बताया था कि, "आप ऐसे पत्र पर हस्ताक्षर करते हैं जिसमें 3 बार मौत का जिक्र है. मैं इस कंपनी के साथ 3 बार यात्रा कर चुका हूं. आप जमीन से संचार नहीं कर पाते. आप जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं, आप सीखते हैं. कई बार चीजें गलत हो जाती हैं."
रश ने खुद जाहिर की थीं चिंताएंओशियन गेट के सीईओ स्टॉकटन रश ने पिछले साल द गार्जियन को एक इंटरव्यू दिया था. जिसे बाद में छापा नहीं गया था. इसमें उन्होंने खुद टाइटन के सामने आने वाली दिक्कतों के बारे में बताया था. उन्होंने कहा था,
"हमारे लिए सबसे मुश्किल टाइटैनिक से कुछ इंच की दूरी पर जाना है. हम वॉटर कॉलम से भी ढाई मील और नीचे जा रहे हैं. हमे नहीं पता कि वहां पानी की क्या स्थिति होगी. वो हर दिन, मौसम के हिसाब से बदलती रहती है. थर्मोकलाइन (पानी की गर्म और ठंडी सतह में अंतर करने वाली जगह) में बदलाव होता है. और हमारे पास इसे पता करने का कोई तरीका नहीं है."
वॉटर कॉलम एक अवधारणा है. इसे समुद्र के अलग-अलग स्तर पर पानी का तापमान, प्रेशर, वहां की विजिबिलिटी आदि के लिए इस्तेमाल किया जाता है. खैर, यहां सवाल ये उठता है कि जब इसकी सुरक्षा को लेकर इतने सवाल थे तो ये इतनी मुश्किल यात्रा पर गई ही क्यों? देखिए कंपनी की तरफ से इसका क्या जवाब आता है.