साउथ चाइना समंदर: यहां कबूतर भी एक्कै पंख से उड़ता है
क्या दुनिया की तीसरी जंग चीन के दालान में होगी? अमेरिका की चौधराहट रहेगी या जाएगी?
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चीन को किसी तरह से धमका के कोई नहीं निकल सकता. ख़ास तौर से सेकंड वर्ल्ड वार के बाद बनी दुनिया में नियम-कानून की बात करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन. UN और इंटरनेशनल कोर्ट तो कतई नहीं.
अभी एक इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल ने चीन और फिलीपिंस के बीच साउथ चाइना समंदर के टेरिटरी को लेकर झंझट में फिलीपिंस के पक्ष में फैसला दे दिया. अगले दिन चीन ने एक मैप पब्लिश किया. एक तस्वीर हज़ार शब्दों के बराबर होती है. अगर मैप का अर्थ लगायें तो इसमें साफ़-साफ़ लिखा है: 'इंटरनेशनल कोर्ट, तुमको जो उखाड़ना है, उखाड़ लो. हमारी जद में जो आया उसको नहीं छोड़ेंगे'.
कोर्ट ने कहा था कि चीन ने फिलीपिंस का हक़ मारा है. बात यहीं तक ख़त्म हो सकती थी. जो तुम्हारा है, तुम ले लो. जो हमारा है, वो तो है ही. पर ऐसा हुआ नहीं.
यहां कबूतर भी एक्कै पंख से उड़ता है
क्योंकि चीन की नज़र में उसके बॉर्डर के इर्द-गिर्द होने वाली हर गतिविधि चीन पर हमला है. और साउथ चाइना समंदर पर चीन के पुरखों का हक़ है. उसके पुरखे समंदर में नहाये थे. दूर-दूर तक मछलियां मारने जाते थे. नाव में किताबें पढ़ते थे. लिखते थे. तो वो पूरा एरिया चीन का है. जहां तक नज़र जाती है, जर्रा-जर्रा खाकसार का आशियाना है.शांति के कबूतर और चीन की नंगई
यूरोप के देशों का इतिहास बड़ा ही विचित्र रहा है. पहले खुद ही दुनिया के हर देश में घुसे. राज किया. लड़ाइयां लड़ीं. फिर United Nations बनाया और शान्ति के कबूतर उड़ाने लगे. बाके देशों ने तो मान लिया. पर चीन ने ना तो अपना इतिहास भुलाया है ना ही इनका इतिहास. उसे इन देशों के बनाये संगठन और नियमों पर ज्यादा यकीन नहीं है. उसे लगता है कि इनकी हर हरकत उसे घेरने के लिए हो रही है. इसलिए जरा-जरा बात में चीन नंगई पर उतर आता है.अमेरिका को किस चीज से इश्क है?
मजलूम अमेरिका भी इस मामले से दूर नहीं रह पाता. आदत से मजबूर. दूसरे के घर में अदावत सुलझाने का जो सुकून है ना वो हथियारों और समंदर में चलने वाले लड़ाकू जहाजों से इश्क करवा देता है. अमेरिका की फिलीपिंस के साथ दोस्ती है. एक एग्रीमेंट है जिसके मुताबिक अमेरिका उनकी मदद करेगा मुसीबत में. इसके अलावा, अमेरिका, दुनिया का सबसे बड़ा देश. सबसे ज्यादा व्यापार. सबसे बड़ी नेवी. दुनिया का एकमात्र सुपर पावर. इसके लिए समुद्री रास्ते हमेशा खुले रहने चाहिए. किसी तरह का अड़ंगा पसंद नहीं. पर चीन भी एशिया का शेर है. उसके घर में घुस के मात देने की अमेरिका कोशिश भी ना करे. कोशिश बस इतनी है कि चीन नियमों-कानूनों को मान ले. किसी को तंग करे उससे दिक्कत नहीं है. बिजनेस में टांग ना भिड़ाये.बराक ओबामा और जी जिनपिंग
साउथ चाइना समंदर पर हो क्या रहा है?
साउथ चाइना समंदर के आस-पास कई देश हैं. उनमें चीन सबसे बड़ा देश है. सारे देशों और समंदर के बीच कई छोटे-छोटे आइलैंड हैं. समंदर में नेचुरल गैस, मिनरल्स और मछलियां बहुत हैं. मछलियों को छोड़ के कुछ भी कन्फर्म नहीं है. अंदाजा है बस. चीन कन्फर्म करने के लिए अपने आदमी भेजता रहता है. कई आइलैंड पर मिलिट्री बेस बनाने के लिए सेडीमेंट्स वगैरह हटा के रहने लायक बना दिया गया है.चीन की खींची 9-डैश लाइन क्या है?
ये लाइन चीन के मैप पर 1940 से विराजमान है. उस समय ये 11-डैश हुआ करता था. वक़्त की मार ने दो कम कर दिए. समन्दर के बीच ये 9 छोटे-छोटे आइलैंड हैं. साफ़-साफ़ नहीं दीखते. पर 9-डैश कह देने से एक आइडेंटिटी मिल जाती है इनको. हालांकि अंतर्राष्ट्रीय कानून बताते हैं कि कोई देश अपनी समुद्री सीमा में कितनी जगह ले सकता है. पर चीन इस बात से बेखबर है. अमेरिका नहीं. वो समय-समय पर अपने जहाज़ वहां राउंड मारने के लिए भेज देता है.अमेरिका के जहाज साउथ चाइना समंदर में
अमेरिका क्या नाप रहा है?
यूनाइटेड स्टेट्स एनर्जी इनफार्मेशन एजेंसी का अनुमान है कि वहां 11 बिलियन बैरल तेल, 190 ट्रिलियन क्यूबिक फीट गैस है. दुनिया की 10% मछलियां हैं. इसके अलावा इस रास्ते से दुनिया का 30% व्यापार होता है. जब इतना सब कुछ है तो ये बता पाना मुश्किल है कि कौन सही है, कौन गलत. जो ले लेगा वो सही हो जायेगा. इतिहास पढ़ने से तो यही समझ आता है.दुनिया पहले भी दिलचस्प थी, अब भी है. शातिर थी, अब भी है. पर पहले चौधरी कम थे. अब ज्यादा हो गए हैं. सबको अपने समुद्री इलाकों पर कब्ज़ा चाहिए और दूसरे के इलाकों में छूट. सबको व्यापार बहुत ज्यादा चाहिए पर सिर्फ अपना. साउथ चाइना समंदर की कहानी दुनिया के तमाम 'ताकत की जंगों' में से एक है. पात्र भी वही हैं. बस बाकी जगहों पर जमीन पर जंग थी, यहां पानी पर है.