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'पूरे देश को गुमराह कर रही पतंजलि', सुप्रीम कोर्ट ने दवाइयों के विज्ञापन पर कंपनी को बुरी तरह लताड़ा

कोर्ट ने कहा कि सरकार अपनी आंखें बंद करके बैठी है. ऐसे विज्ञापनों से पूरे देश को गुमराह किया जा रहा है. कोर्ट ने कंपनी को अवमानना का नोटिस जारी किया है.

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कोर्ट ने पिछले साल भी पतंजलि को आगाह किया था. (फोटो- रॉयटर्स)
27 फ़रवरी 2024 (Updated: 27 फ़रवरी 2024, 18:28 IST)
Updated: 27 फ़रवरी 2024 18:28 IST
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सुप्रीम कोर्ट ने ‘गुमराह करने वाले’ विज्ञापनों को लेकर एक बार फिर पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाई है. कोर्ट ने पतंजलि के स्वास्थ्य संबंधित विज्ञापनों पर पूरी तरह रोक लगा दी है. माने कंपनी आगे कभी इस तरह के विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर पाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि और उसके एमडी आचार्य बालकृष्ण को अवमानना ​​नोटिस जारी किया है. साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी पूछा कि कंपनी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

कोर्ट ने ये आदेश इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर दिया है. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानुल्लाह की बेंच ने रामदेव की कंपनी पर पहले के आदेशों का पालन न करने की आलोचना भी की. बेंच ने कहा,

“सरकार अपनी आंखें बंद करके बैठी है. ऐसे विज्ञापनों से पूरे देश को गुमराह किया जा रहा है. दो साल से आप इंतजार कर रहे हैं कि ड्रग्स एक्ट कब इसे प्रतिबंधित करेगी. ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार को तत्काल कुछ कार्रवाई करनी होगी.”

कोर्ट ने कंपनी को भी निर्देश दिया है कि वो भ्रामक जानकारी देने वाली अपनी दवाओं के सभी इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट विज्ञापनों को तत्काल प्रभाव से बंद कर दे. जस्टिस अमानुल्लाह ने सुनवाई के दौरान कहा,

“आज मैं वास्तव में सख्त आदेश पारित करने जा रहा हूं.”

कोर्ट की फटकार के बाद पतंजलि की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट विपिन सांघी ने आश्वासन दिया कि कंपनी भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगी. साथ ही ये भी सुनिश्चित करेगी कि प्रेस में कैजुअल बयान न दिए जाएं.

सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए पतंजलि को तीन हफ्ते का समय दिया गया है.

कोर्ट के आदेश के बाद दी लल्लनटॉप ने पतंजलि आयुर्वेद की जनसंपर्क टीम से संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन टीम के एक अधिकारी ने इस मामले पर कोई भी बात रखने से मना कर दिया.

(ये भी पढ़ें : पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लताड़ा?)

कोर्ट ने पिछले साल आगाह किया था

जानकारी हो कि कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में भी पतंजलि आयुर्वेद को अपनी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में ‘झूठे’ और ‘भ्रामक’ दावे करने के प्रति आगाह किया था. कोर्ट ने पतंजलि को चेतावनी दी थी कि अगर वो अपने प्रोडक्ट से बीमारियों के इलाज का झूठा दावा करता है तो उस पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा.

IMA ने अपनी याचिका में दावा किया था कि पतंजलि गलत दावों के साथ विज्ञापन चलाती है. इतना ही नहीं, IMA ने आरोप लगाए थे कि पतंजलि कोविड वैक्सीन के बारे में गलत सूचना फैला रही है.

वीडियो: पतंजलि की किन 5 चर्चित दवाओं के उत्पादन पर बैन लगा, विज्ञापन तक नहीं चलेंगे?

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