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17 आदिवासियों की हत्या की जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ता पर SC ने 5 लाख का जुर्माना लगाया

सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार पिछले 13 सालों से ये मांग कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला सुनाते हुए सरकार को ये अनुमति भी दी कि वो इस बात की जांच कर सकती है कि कहीं कुछ लोग और संगठन अदालत का इस्तेमाल वामपंथी चरमपंथियों को बचाने के लिए तो नहीं कर रहे.

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tribal rights activist himanshu kumar
हिमांशु कुमार (फोटो- फेसबुक/Himanshu Kumar)
14 जुलाई 2022 (Updated: 14 जुलाई 2022, 16:45 IST)
Updated: 14 जुलाई 2022 16:45 IST
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सुप्रीम कोर्ट ने 13 साल पहले छत्तीसगढ़ में हुए कथित आदिवासी नरसंहार मामले की जांच से जुड़ी याचिका खारिज कर दी है. साथ ही याचिकाकर्ता हिमांशु कुमार पर 5 लाख रुपये का भारी जुर्माना लगाया है. खबरों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ये अनुमति भी दी कि वो इस बात की जांच कर सकती है कि कहीं कुछ लोग और संगठन अदालत का इस्तेमाल वामपंथी चरमपंथियों को बचाने के लिए तो नहीं कर रहे.

क्या है मामला? 

2009 में छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ एक अभियान चला था. नक्सल विरोधी अभियान. उस दौरान दंतेवाड़ा के तीन गांवों में 17 आदिवासियों की कथित हत्या का मामला सामने आया था. इसका आरोप इस नक्सल प्रभावी इलाके में तैनात सुरक्षा बलों पर लगा था. घटना के बाद एक्टिविस्ट हिमांशु कुमार (Himanshu Kumar) ने छत्तीसगढ़ पुलिस (Chhattisgarh Police) और केंद्रीय सुरक्षा बलों के खिलाफ CBI से जांच कराने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की थी.

हिमांशु कुमार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि सितंबर 2009 से अक्टूबर 2009 के बीच सुरक्षा बलों ने न केवल एक्स्ट्राजूडिशल हत्याएं कीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के गचनपल्ली, गोम्पड और बेलपोचा के इलाकों में आदिवासी लोगों के साथ बलात्कार और लूटपाट भी की थी. हिमांशु ने जिले की तीन अलग-अलग घटनाओं में 17 ग्रामीणओं की मौत के बाद अपनी तरफ से रिकॉर्ड किए गए बयानों के आधार पर याचिका दायर की थी.

2010 में शीर्ष अदालत के आदेश पर दिल्ली के एक जिला न्यायाधीश ने याचिकाकर्ताओं के बयान दर्ज करने का आदेश दिया गया था. हालांकि 2010 में दर्ज किए गए बयान मार्च 2022 में जाकर केंद्र को उपलब्ध कराए गए.

इसी साल केंद्रीय गृह मंत्रालय के जरिए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. हिंदुस्तान लाइव की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें कहा गया था कि जिला जज की एक रिपोर्ट कोर्ट रिकॉर्ड्स से गायब हो गई थी, जो सरकार को मार्च 2022 में मिली. रिपोर्ट के आधार पर केंद्र ने दावा किया था कि शिकायतकर्ताओं ने जिला जज के सामने बयान दिए थे कि कुछ अज्ञात लोगों ने जंगल से आकर आदिवासियों की हत्या की है. केंद्र ने ये भी कहा कि बयान देने वालों में से किसी ने भी सुरक्षा बलों के सदस्यों पर सवाल नहीं उठाए थे.

सुप्रीम कोर्ट को दिए आवेदन में केंद्र सरकार ने दावा किया-

ये दलीलें पूरी तरह से झूठी, मनगढ़ंत और धोखा देने वाली हैं. याचिकाकर्ता का मकसद वामपंथी चरमपंथियों को सुरक्षा बलों द्वारा नरसंहार किए गए निर्दोष जनजातीय पीड़ितों के तौर पर दिखाना है.

इसके अलावा केंद्र सरकार ने याचिकाकर्ता को झूठे सबूत पेश करने का दोषी ठहराने के लिए प्रार्थना की थी.

केंद्र ने दावा किया था कि शिकायतकर्ताओं ने जिला जज के सामने बयान दिए थे कि कुछ अज्ञात लोगों ने जंगल से आकर आदिवासियों की हत्या की है. उसने ये भी कहा कि बयान देने वालों में से किसी ने भी सुरक्षा बलों के सदस्यों पर सवाल नहीं उठाए थे. आखिरकार इस मामले की जांच की मांग से जुड़ी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी.

कोर्ट में क्या हुआ?

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक मामले की सुनवाई जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने की. उसने हिमांशु कुमार को आदेश दिया कि वो जुर्माने की रकम सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के पास जमा कराएं. साथ ही कोर्ट ने कहा-

हम कार्रवाई छत्तीसगढ़ राज्य पर छोड़ देते हैं. कार्रवाई केवल आईपीसी की धारा 211 तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए. हम झूठी गवाही के साथ आगे नहीं बढ़ रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार आपराधिक साजिश जैसे आरोपों को शामिल कर सकती है. 

वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अनुरोध किया कि केंद्र सरकार को भी याचिकाकर्ता पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी जाए.

लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जुर्माना जमा कराने के लिए चार हफ्तों का समय दिया है. कहा कि राशि जमा नहीं करने की स्थिति में हिमांशु कुमार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसके बाद हिमांशु ने फेसबुक पर एक पोस्ट कर लिखा-

मारे गए 16 आदिवासियों, जिसमें एक डेढ़ साल के बच्चे का हाथ काट दिया गया था, के लिए इंसाफ मांगने की वजह से आज सुप्रीम कोर्ट ने मेरे ऊपर 5 लाख का जुर्माना लगाया है और छत्तीसगढ़ सरकार से कहा है कि वह मेरे खिलाफ धारा 211 के अधीन मुकदमा दायर करे. मेरे पास 5 लाख तो क्या 5 हजार रुपया भी नहीं है. मेरा जेल जाना तय है. अपराध यह कि इंसाफ क्यों मांगा. 'जिस धज से कोई मकतल को गया वो शान सलामत रहती है, इस जान की कोई बात नहीं यह जान तो आनी जानी है'.

इस पोस्ट के साथ उन्होंने उस बच्चे की तस्वीर भी शेयर की जिसका हाथ कट गया था. 

देखें वीडियो- छत्तीसगढ़: राहुल गांधी को कौन सा वादा याद दिलाने 300 km की पैदल यात्रा पर निकल पड़े आदिवासी?

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