SSC के नकल गैंग ने जो तरीके बताए हैं, वो जानकर मन श्रद्धा से भर जाएगा
सात साल में हजारों लोगों को परीक्षा पास करवा चुका है गैंग, क्या अब भी छात्रों से ही सबूत मांगेगा SSC.
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एसएससी परीक्षाओं की सीबीआई जांच की मांग को लेकर हजारों छात्र कई दिनों तक धरने पर बैठे रहे थे.
ऊपर की तस्वीर को गौर से देखिएगा. ये तस्वीर उन लोगों की है, जो भविष्य में अधिकारी बनना चाहते हैं. इसके लिए दिन रात एक करते हैं. खूब खून पसीना बहाकर पढ़ाई करते हैं. इनमें से कई ऐसे लोग हैं, जिनके पिता के पास पढ़ाने तक को पैसे नहीं हैं. लेकिन वो सारी मुश्किलों का सामना कर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. पढ़ा रहे हैं ताकि वो अधिकारी बन सकें. लेकिन ये लोग कई दिनों तक हाथों में तख्तियां लिए सड़कों पर बैठे रहे. इसलिए नहीं कि उनकी कोई गलती थी, बल्कि इसलिए कि गलती उस आयोग की थी, जिसके जरिए ये अधिकारी बनने का ख्वाब देख रहे थे.
जब पूरा देश होली मना रहा था, लेकिन एसएससी के ये छात्र होली के दिन भी सड़क पर धरना दे रहे थे.
ये आयोग था कर्मचारी चयन आयोग, जिसमें धांधली का आरोप लगाकर ये छात्र पूरे एसएससी की सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे. मामले में खूब सियासत हुई. बीजेपी, कांग्रेस, आप और दूसरे दलों ने भी राजनीतिक रोटियां सेंकी, लेकिन नतीजा नहीं निकला. छात्र आरोप लगाते रहे और आयोग कार्रवाई के नाम पर दिलासा देता रहा. छात्र कहते रहे कि पेपर लीक हो रहा है, घोटाला हो रहा है, बाहर से पेपर सॉल्व किया जा रहा है, लेकिन आयोग मानने को तैयार नहीं था. आयोग खुद जांच नहीं कर रहा था, उल्टे छात्रों से कह रहा था कि वो सुबूत दें. छात्रों ने सुबूत भी दिए, लेकिन आयोग ने उन सुबूतों को मानने से इन्कार कर दिया.

कंप्यूटर हैक करके परीक्षा का पेपर सॉल्व करवाने के आरोप में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है.
लेकिन अब छात्रों की बात 16 आने सच दिखने लगी है. इसकी वजह है उन चार लोगों की गिरफ्तारी, जिनपर आरोप है कि वो एसएससी के पेपर को हैक कर लेते थे और किसी को भी परीक्षा में पास करवाने का माद्दा रखते थे. ठीक यही बात एसएससी के छात्र भी कह रहे थे, इसी के लिए वो होली के दिन भी एसएससी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन भी कर रहे थे, लेकिन आयोग बात मानने को तैयार नहीं था.
और अब दिल्ली पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार कर छात्रों के दावों को 100 फीसदी सच करार दिया है. दिल्ली पुलिस के डीसीपी जतिन नरवाल के मुताबिक पुलिस ने तिमारपुर इलाके के एक फ्लैट से छापेमारी करके गौरव नैय्यर, परमजीत, अजय और सोनू को गिरफ्तार किया है. पुलिस का दावा है कि इस गैंग के दो मुख्य आरोपी हरपाल और अन्नू फरार हैं, जिनकी तलाश में पुलिस कई जगहों पर छापेमारी कर रही है.
पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार किए गए सोनू की पत्नी दिल्ली पुलिस में सिपाही है, जबकि सोनू एसएसएसी के लोधी कॉलोनी के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित ऑफिस में डाटा एंट्री ऑपरेटर की नौकरी करता है. उसके दिल्ली के विवेक विहार, शकरपुर और पटपड़गंज में तीन साइबर कैफे हैं. वहीं परमजीत सिंह ने पीडीएम कॉलेज बहादुर गढ़ से कंप्यूटर में बीई कर रखा है, जबकि अजय हिंदी में एमए है. वहीं सोनू खुद भी कंप्यूटर अप्लीकेशन में ग्रैजुएट है.
हाईटेक तरीके से सॉल्व करते थे पेपर

ऐसे ही साइबर कैफे के जरिए एसएससी की परीक्षा ली जाती है.
एएससी अपनी परीक्षाएं ऑनलाइन करवाता है. इसके लिए प्राइवेट वेंडर को जिम्मा दिया जाता है. पिछली परीक्षाओं तक वेंडर के तौर पर सिफी काम कर रहा था, जिसे बदलने के लिए छात्रों ने आंदोलन किया था. इसके बाद भी एसएससी की परीक्षाएं किसी निजी लैब में ही आयोजित करवाई जाती हैं. गिरफ्तार लोगों ने बताया कि उन्हें इस बात का पता होता है कि शहर में कौन-कौन सी ऐसी लैब हैं, जहां एसएससी परीक्षाएं करवा सकता है. ऐसे में उन सारे लैब के कम्प्यूटर में एक सॉफ्टवेयर इन्स्टॉल कर दिया जाता है, जिसे टीम व्यूवर कहा जाता है. इस सॉफ्टवेयर के जरिए किसी भी कंप्यूटर को बाहर से बैठकर चलाया जा सकता है. ऐसे में किसी भी कंप्यूटर को हैक कर ये लोग बाहर से ही पूरा पेपर सॉल्व कर देते थे और किसी को कानो कान खबर भी नहीं होती थी. इस बार एसएससी ने जो सेंटर बनाए थे, उसमें सोनू के खुद के विवेक विहार, शकरपुर और पटपड़गंज में तीनों साइबर कैफे भी शामिल थे.

गिरफ्तार किए गए लोगों के पास से कई मोबाइल, लैपटॉप और हार्ड कैश बरामद हुआ है.
27 मार्च को यूपी एसटीएफ की मेरठ ईकाई और दिल्ली के उत्तरी जिला के स्पेशल स्टाफ को दिल्ली सरकार के सेल टेक्स डिपार्टमेंट में काम करने वाले हरपाल ने एक पत्र लिखा. इसमें कहा गया था कि गांधी विहार, तिमारपुर में एक घर से कुछ लोग एसएससी ऑनलाइन परीक्षा के अभ्यर्थियों को नकल करवा रहे हैं. इसके बाद पुलिस ने 28 मार्च की दोपहर में छापा मारकर चारों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस को उनके पास से करीब 52 लाख रुपये, तीन लैपटॉप, 10 मोबाइल, एक्सटर्नल हार्ड डिस्क, टेंडर रूटर, वाईफाई डिवाइस, चार पेन ड्राइव और पांच ब्लू टूथ डिवाइस मिले, जिन्हें जब्त कर लिया गया है.
हजारों लोगों को पास करवा चुका है ये गैंग
जिन चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, वो दिल्ली के गांधी विहार के एक फ्लैट से पूरा गैंग संचालित कर रहे थे. उन लोगों ने बताया है कि वो एक छात्र से पांच लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक वसूलते थे. अगर उन्हें कोई बिचौलिया मिल जाता था, तो वो उस छात्र से और भी ज्यादा पैसे वसूल लेते थे. पुलिस के मुताबिक गैंग चलाने वाले ये लोग खुद से पेपर सॉल्व नहीं करते थे. कंप्यूटर हैक करने के बाद जब इन्हें सारे सवाल पता चल जाते थे, तो ये उस पेपर को वॉट्सऐप के जरिए किसी साल्वर को भेज देते थे. वहां से जवाब मिलने के बाद ये उसका सही आंसर दे देते थे और फिर वो छात्र आराम से परीक्षा पास कर जाता था. इनका दावा है कि ये लोग 2011 से ही परीक्षा में नकल करवाते थे. उस वक्त परीक्षा ऑनलाइन नहीं होती थी, तो ये पेपर आउट करवा लेते थे.
एक दिन में 180 छात्रों को करवाई जाती है नकल
पुलिस को पूछताछ में पता चला है कि एसएससी परीक्षा का टेंडर पाने वाली कम्पनी सीफी का कर्मचारी दीपक भी गिरोह में मिला हुआ है. ये लोग एक दिन में एक लैब से 15 लोगों को पेपर सॉल्व कराते हैं. एक दिन में कुल 180 छात्रों के पेपर सॉल्व करवा दिए जाते हैं. इस बार एसएससी की परीक्षा 10 से 28 मार्च तक हुई है. 11 दिनों तक चली परीक्षा 92 शहरों के 428 कंप्यूटर लैब में हुई है. अगर इन लोगों ने एक दिन में 180 लोगों को पेपर सॉल्व करवाया है, तो 11 दिनों में करीब 2000 लोगों को ये लोग पेपर सॉल्व करवा चुके हैं.
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