पत्थरों को पेट्स की तरह पाल रहे लोग, मार्केट में लग रही कीमत, आखिर मामला क्या है?
दक्षिण कोरिया के लोग पालतू जानवरों की जगह 'पत्थरों' को अपना साथी बना रहे हैं उन्हें पेट्स की तरह पाल रहे हैं. बकायदा उनके लिए अलग से बिस्तर लगा रहे हैं, उनके साथ घूमने जा रहे हैं.
20-30 लाख साल पहले, कभी हमारे पूर्वजों ने पत्थरों के हथियार बनाए थे. फिर साल 1967 में मनोज कुमार की फिल्म ‘पत्थर के सनम’ आई. 24 साल ही बीते होंगे कि सलमान खान (Salman Khan) की एक और फिल्म आई ‘पत्थर के फूल’. पत्थर के दिल, जिगर, गुर्दा, किडनी की पथरी. बताइए पत्थरों को क्या-क्या नहीं बनाया गया है. लेकिन अब दक्षिण कोरिया के लोगों ने पत्थरों को पालना ही शुरू कर दिया है. माने 'पत्थर के पेट्स'. घबराने का नहीं, पूरा मामला समझाते हैं!
पत्थर जैसा दिल और पत्थर दिल इंसान से लेकर ‘दिल पर पत्थर रखकर मैंने ब्रेक-अप कर लिया’ गाने तक, दुनिया कितनी भी बदल गई हो, मगर पत्थरों के प्रति लोगों का लगाव कभी कम नहीं हुआ. ऐसा इसलिए क्योंकि साउथ कोरिया के लोगों ने अपना अकेलापन दूर करने के लिए एक अलग तरकीब निकाली है. उन्होंने इसके लिए पत्थरों का सहारा लिया है. माने यहां के लोग बकायदा मार्केट से पत्थर खरीदकर उनका पालन-पोषण कर रहे हैं वो भी अपने पेट्स की तरह. सबसे पहले वीडियो देखिए-
अब ये सब देख-सुनकर अगर चन्द्र शेखर वर्मा आज कोई कविता लिख रहे होते उनकी लाइन कुछ ऐसी होती...''एक तो पत्थर उछाला जा रहा है, उसपे शीशा भी संभाला जा रहा है. अब कहां कंधों को कुछ तकलीफ़ होगी, दिल का सारा बोझ पत्थरों पर डाला जा रहा है'' मतलब ये कि जिन पत्थरों का उदाहरण देकर लोगों से पहले ये कहा जाता था कि 'तुम कितने पत्थर दिल हो', वही पत्थर अब लोगों का दिल लगा रहे हैं, उन्हें कंफर्ट दे रहे हैं. बाजार में ऐसे पत्थरों की कीमत 600 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक होती है.
लेकिन ऐसा हो क्यों हो रहा है?CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ दक्षिण कोरियाई युवा दुनिया से इतने कट चुके हैं कि वहां की सरकार इन युवाओं को समाज में फिर से वापस लाने के लिए पैसे (40 हजार भारतीय रुपये) ऑफर कर रही हैं. दक्षिण कोरिया के लैंगिक समानता और परिवार मंत्रालय की मानें तो देश में 19 से 39 वर्ष की उम्र वाले लगभग 3.1 प्रतिशत कोरियाई लोगों की पहचान 'अकेले रहने वाले युवा' के तौर पर हुई है. ये लोग कुछ सीमित जगहों पर रहने के आदी हो चुके हैं, जिसके चलते उन्हें आम जीवन बिताने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.
अकेलेपन को दूर करने के लिए ऐसे लोगों ने नए-नए तरीके ढूंढने शुरू किए. जिसके लिए उन्होंने कुत्ते, बिल्ली जैसे जानवरों को पालना शुरू किया. बाद में ये चलन गार्डनिंग की तरफ मुड़ गया और लोग अपने घरों और बालकनियों में पौधे लगाने लगे. लेकिन अब इससे एक कदम और आगे बढ़ते हुए, दक्षिण कोरिया में कुछ लोगों ने पत्थरों को पेट्स के तौर पर पालना शुरू कर दिया है. हैरान मत होइए, दक्षिण कोरिया में एक ऐसा ही ट्रेंड चल पड़ा है. जहां लोग निर्जीव पत्थरों को पाल रहे हैं.
पत्थरों का हो रहा फेशियलऐसे ‘स्टोन पेट्स’ रखने वाले लोग इन्हें अपने बच्चों की तरह मानते हैं. इनके लिए तौलिए, कंबल और फेशियल किट भी रखते हैं. इन लोगों का कहना है कि ये पत्थर ज्यादा डिमांडिंग नहीं होते और उन्हें खिलाने और टहलाने की भी ज़रूरत नहीं होती. बाजार में ऐसे पत्थरों की कीमत 600 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक होती है.
कॉफी डेट पर जाते हैं ये पत्थरपत्थर पालने वाले लोगों के साथ सबसे अजीब बात ये है कि वे इन्हें अपने साथ सैर, कॉफी डेट और लंच कराने भी ले जाते हैं. कुल मिलाकर ये लोग इन पालतू पत्थरों के साथ हर वो काम करना चाहते हैं, जो लोग आम तौर पर अपने पालतू जानवरों के साथ करते हैं.
इन पत्थरों की बढ़ती लोकप्रियता कई बार सोशल मीडिया पर भी देखने को मिलती है, जहां कुछ लोग पत्थरों की देखभाल करने वाले वीडियो साझा करते रहते हैं. जिसके चलते दक्षिण कोरियाई बाजार में इन ‘पालतू पत्थरों’ को बढ़ावा भी मिला है. और इन्हें अब खरीदा-बेचा जाने लगा है. कुल मिलाकर पत्थर पालने का ये आइडिया आपको कैसा लगा? हमें कॉमेंट करके बताइए और ऐसी ही रोचक खबरों के लिए पढ़ते रहिए दी लल्लनटॉप.
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