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राम मंदिर ट्रस्ट को कौन लोग चलाते हैं? वो टीम जिसके जिम्मे है परिसर का निर्माण और देखभाल

Ram Mandir Trust में एक सदस्य हमेशा दलित समाज से होगा. सारे सदस्यों का हिंदू होना अनिवार्य है. राज्य और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के अलावा Shree Ram Janambhoomi Tirth Kshetra में अयोध्या के DM भी शामिल होते हैं.

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shree ram janbhoomi tirth kshetra ram mandir trust members
केंद्र सरकार ने 5 फरवरी 2020 को ट्रस्ट बनाने की घोषणा की थी.
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22 जनवरी 2024 (Updated: 22 जनवरी 2024, 15:43 IST)
Updated: 22 जनवरी 2024 15:43 IST
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अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) के प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न हुआ. इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी उपस्थिति रहे. देश भर की हस्तियों के साथ हजारों संत भी इस कार्यक्रम में पहुंचे. राम मंदिर के निर्माण और देखरेख की जिम्मेदारी श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के जिम्मे है. 

सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला सुनाया था. अयोध्या की 22.7 एकड़ की पूरी विवादित जमीन को राम मंदिर निर्माण के लिए दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने इस जमीन को एक ट्रस्ट को सौंपने का फैसला सुनाया था. केंद्र सरकार ने 5 फरवरी 2020 को ट्रस्ट बनाने की घोषणा की थी. इसके बाद, 19 फरवरी 2020 को श्री रामजन्मभूमि तीर्थ श्रेत्र की पहली बैठक हुई. गृह मंत्री अमित शाह ने ट्रस्ट की घोषणा के मौके पर इसके सदस्यों के बारे में जानकारी दी थी. कहा था, 

“राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट में 15 सदस्य होंगे. इनमें से एक सदस्य हमेशा दलित समाज का रहेगा.”

ट्रस्ट की घोषणा के वक्त ये भी बताया गया कि 15 सदस्यों में से 9 स्थायी और 6 नामित सदस्य होंगे. स्थायी सदस्यों को वोट देने का अधिकार होगा. सभी सदस्यों का हिंदू होना अनिवार्य है. राम मंदिर ट्रस्ट में एक-एक प्रतिनिधि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से नामित होगा. ये सदस्य भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में कार्यरत होंगे.

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श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इस ट्रस्ट में भारत सरकार ने 12 सदस्यों को नामित किया था. और पहली बैठक के दौरान 3 और सदस्यों का चयन किया गया था. 

Ram Janambhoomi Trust में कौन-कौन है?

नृत्य गोपाल दास इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. इनका जन्म 11 जून 1938 को मथुरा में हुआ. 1965 में 27 साल की उम्र में वह महंत भी बन गए थे. वे अयोध्या के सबसे बड़े मंदिर मणि राम दास की छावनी के पीठाधीश्वर हैं. साथ ही 1993 में विश्व हिंदू परिषद (VHP) की ओर से बनाए गए ट्रस्ट राम जन्मभूमि न्यास के प्रमुख भी हैं. 2003 से वे इस पद पर हैं. उनके पास श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास की जिम्मेदारी भी है. 

Nritya Gopal Das
नृत्य गोपाल दास राम मंदिर ट्र्स्ट के अध्यक्ष हैं. (फाइल फोटो: PTI)

नृत्य गोपाल दास दशकों तक राम मंदिर आंदोलन के संरक्षक की भूमिका में रहे हैं. इनकी अगुवाई में लंबे समय से राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा भी एकत्र किया जाता रहा है. उनके नेतृत्व में ही राम मंदिर के लिए पत्थर तराशी का काम तेज हुआ.

Champat Rai कौन हैं?

चंपत राय राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव हैं. लंबे समय से VHP में हैं. इनका जन्म 18 नवंबर 1946 को हुआ. ये बिजनोर के नगीना के रहने वाले हैं. शुरू से ही ये RSS से जुड़े रहे हैं. फिजिक्स में पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद 1969 में अध्यापक बन गए. 1981 में नौकरी छोड़ दी. इसके बाद पूरी तरह संघ से जुड़ गए. 

Champat Rai
चंपत राय राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव हैं. (फाइल फोटो)
स्वामी गोविंददेव गिरि

इनका जन्म 1949 में महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुआ. उनके बचपन का नाम किशोर मदनगोपाल व्यास था. उन्होंने फिलॉसफी में ग्रेजुएशन कर रखा है. इनका परिवार शुरू से ही कथा वाचन से जुड़ा रहा. स्वामी गोविंददेव गिरि ने भी इस परंपरा को आगे बढ़ाया. 17 साल की उम्र में उन्होंने गांव में श्रीमद्भागवत पर उपदेश दिया था. स्वामी गोविंददेव गिरि राम मंदिर के कोषाध्यक्ष हैं.

Swami Govinddev Giri and Nripendra Mishra
स्वामी गोविंददेव गिरि औऱ नृपेंद्र मिश्रा. (तस्वीर साभार: राम मंदिर ट्रस्ट)
नृपेंद्र मिश्रा

पीएम नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन हैं. वो 1967 बैच के यूपी कैडर के आईएएस अफसर रहे हैं. 2014 में नरेंद्र मोदी ने पीएम बनने के बाद नृपेंद्र मिश्रा को अपना प्रधान सचिव बनाया था. उन्हें कैबिनेट मंत्री का स्टेटस दिया गया था. उन्हें सबसे ताकतवर अफसर माना जाता था. 30 अगस्त 2019 को उन्होंने पद छोड़ दिया था. इससे पहले केंद्र सरकार में इन्होंने कई बड़े पद संभाले. इनमें टेलीकॉम सेक्रेटरी, टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी ट्राई के चेयरपर्सन का पद शामिल हैं.

केशवन आयंगर पराशरण

पराशरण राम मंदिर के संस्थापक ट्रस्टी सदस्य हैं. उन्होंने अयोध्या मामले में 9 साल तक हिंदू पक्ष की पैरवी की. पराशरण को हिन्दू ग्रंथों की जबरदस्त जानकारी है. इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सरकार में अटॉर्नी जनरल रहे हैं. 1927 में तमिलनाडु के श्रीरंगम में उनका जन्म हुआ. इनके पिता भी वकील थे. पराशरण के तीनों बेटे भी वकील हैं. पराशरण 1958 से प्रैक्टिस कर रहे हैं. 2003 में NDA सरकार थी, तब उन्हें पद्म भूषण दिया गया. उन्हें 2011 में UPA के पहले कार्यकाल में पद्म विभूषण मिला. भारत के सॉलिसिटर जनरल रहे. उसके बाद अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया भी बने.

केशवन आयंगर पराशरण. (तस्वीर साभार: बार एंड बेंच)

सदस्य के रूप में एक अयोध्या के कलेक्टर, एक केंद्र सरकार के प्रतिनिधि और राज्य सरकार के प्रतिनिधि हैं. ट्रस्ट में अवनीश अवस्थी UP सरकार के प्रतिनिधि हैं. वो लोकगायिका मालिनी अवस्थी के पति हैं. केंद्र सरकार की ओर से ज्ञानेश कुमार इस ट्रस्ट के सदस्य हैं. इस पद पर आईएएस होना चाहिए. जॉइंट सेक्रेटरी की पोस्ट तक का कोई अफसर.

इनके अलावा ट्रस्ट में स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती महाराज, स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ महाराज, परमानंद महाराज, विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, डॉ. अनिल मिश्र, महंत धीरेंद्र दास और कामेश्वर चौपाल शामिल हैं. कामेश्वर चौपाल दलित समाज से आते हैं. 

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वीडियो: राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल ना होने वाले राजनीतिक दलों पर कंगना रनौत ने क्या कहा?

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