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बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने फिर उगला ज़हर, 16 साल पुरानी बगावत का ठीकरा भारत पर

Bangladesh Rifles revolt 2009 Report: विद्रोह के पीछे अनजान विदेश ताकत के शामिल होने का भी आरोप लगाया गया. जब जांच कमीशन के प्रमुख से पूछा गया कि वह किस पड़ोसी देश की बात कर रहे हैं, तो उन्होंने ने कहा कि यह भारत है.

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Sheikh Hasina orchestrated Bangladesh Rifles revolt 2009 with india support claimed report
शेख हसीना पर बांग्लादेश राइफल्स विद्रोह की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है. (Photo: File/ITG)
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सचिन कुमार पांडे
1 दिसंबर 2025 (Updated: 1 दिसंबर 2025, 08:01 AM IST)
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बांग्लादेश राइफल्स (BDR) में 2009 में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिए शेख हसीना और भारत को जिम्मेदार ठहराया गया है. मामले की जांच के लिए बने कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में सीधे-सीधे हसीना और भारत पर इसकी साजिश रचने का आरोप लगाया है. हसीना के बांग्लादेश की सत्ता से हटने के बाद वहां की अंतरिम सरकार ने पिछले साल एक कमीशन से इस मामले की जांच कराने की घोषणा की थी. कमीशन ने रविवार 30 नवंबर को अपनी रिपोर्ट सौंपी.

इंडिया टुडे के अनुसार रिपोर्ट की जानकारी देते हुए कमीशन चीफ फजलुर रहमान ने कहा कि उस समय की अवामी लीग सरकार सीधे तौर पर विद्रोह में शामिल थी. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि शेख हसीना तब सेना को कमजोर करना चाहती थीं और अपनी राजनीतिक शक्ति को मजबूत करना चाहती थीं. इसलिए उन्होंने जानबूझकर सेना में विद्रोह की साजिश रची थी. रिपोर्ट में तत्कालीन सांसद फजले नूर तपोश को इस पूरे विद्रोह का "चीफ कोऑर्डिनेटर" यानी मुख्य समन्वयक बताया गया है. दावा किया है कि उन्होंने हसीना के इशारे पर काम किया था, जिन्होंने सीधे तौर पर हत्याओं को अंजाम देने के लिए "ग्रीन सिग्नल" दिया था.

भारत का भी हाथ होने का लगाया आरोप

इस पूरे मामले में अनजान विदेश ताकत के शामिल होने का भी आरोप लगाया गया. जब कमीशन चीफ से पूछा गया कि वह किस पड़ोसी देश की बात कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि यह भारत है. बांग्लादेशी मीडिया bdnews24 के मुताबिक फजलुर रहमान ने कहा,

इस साजिश का मकसद सेना की ताकत को कमजोर करना और बांग्लादेश को अस्थिर करना था. उस समय, भारत अस्थिरता पैदा करना चाहता था, जबकि उस समय की सरकार अपना राज बढ़ाना चाहती थी.

रहमान ने दावा किया कि उस समय लगभग 921 भारतीय बांग्लादेश में आए थे. उनमें से 67 लोगों का पता नहीं चल पाया है. उन्होंने इसे घटना में भारत के शामिल होने का सबूत बताया. भारत ने फिलहाल इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. शेख हसीना पर यह नए आरोप अदालत के उस फैसले के बाद लगाए गए हैं, जिसमें उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है. बांग्लादेशी अदालत ने उन्हें पिछले साल हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी माना था. फैसले के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से शेख हसीना को वापस सौंपने की मांग भी की थी, जो फिलहाल भारत में शरण लेकर रह रही हैं.

यह भी पढ़ें- 'इकोनॉमी पर हावी हो रही पॉलिटिक्स,' अमेरिका-चीन का नाम लेकर बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

2009 में क्या हुआ था?

बता दें कि फरवरी 2009 में बांग्लादेश राइफल्स (BDR) के जवानों ने ढाका स्थित पिलखाना मुख्यालय में बगावत कर दी थी. यह घटना “पिलखाना नरसंहार” के नाम से जानी जाती है. तब हिंसक विरोध प्रदर्शनों में कई जवानों ने वरिष्ठ सेना अधिकारियों पर हमला कर दिया था. मामले की तत्कालीन जांच रिपोर्ट के अनुसार इसमें 57 सेना अधिकारियों समेत कुल 74 लोग मारे गए थे. जांच में कहा गया था कि जवानों में सैलरी और सुविधाओं को लेकर असंतोष था. इसी वजह से उन्होंने बगावत की थी. हिंसा दो दिन में देश के कई हिस्सों में फैल गई थी, लेकिन अंत में बातचीत के बाद यह खत्म हो गई थी. बाद में कई लोगों पर मामले को लेकर मुकदमे चले, जिनमें 152 को मौत की सजा और 161 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. इन मुकदमों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना भी हुई थी कि ये निष्पक्ष नहीं थे.

वीडियो: दुनियादारी: बांग्लादेश की कोर्ट ने शेख हसीना को सुनाई मौत की सजा, भारत ने क्या कहा?

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