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रूस पहुंचे इमरान खान को शशि थरूर ने वाजपेयी की मिसाल देकर दिखाया आईना

1979 में वाजपेयी ने ऐसा क्या किया था जिसकी आज भी मिसाल दी जाती है?

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शशि थरूर ने ट्वीट करने रूस-यूक्रेन संकट पर भारत का भी रुख पूछा है (प्रतीकात्मक फोटो साभार आज तक)
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शिवेंद्र गौरव
25 फ़रवरी 2022 (Updated: 25 फ़रवरी 2022, 10:45 AM IST) कॉमेंट्स
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कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने पाकिस्तानी PM इमरान खान के रूस (Russia) दौरे पर निशाना साधा है. उन्होंने इमरान खान को सलाह देते हुए कहा है कि उन्हें यह दौरा रद्द कर घर लौट जाना चाहिए. यह कहते हुए थरूर ने इमरान खान को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 1979 के चीन दौरे की मिसाल भी दी. उस समय वाजपेयी चीन के दौरे पर थे और चीनी सेना ने वियतनाम पर हमला कर दिया था. इसके बाद वाजपेयी अपना दौरा (China Trip) बीच में छोड़कर वापस चले आए थे. क्या है पूरा मामला? दरअसल, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान बुधवार देर रात दो दिन के रूस दौरे पर मास्को पहुंचे. एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें रूसी अधिकारी इमरान खान का एयरपोर्ट पर स्वागत कर रहे हैं और इमरान ये कहते सुनाई दे रहे हैं, 'मैं ऐसे वक़्त पर मॉस्को आया हूं कि बहुत एक्साइटेड हूं.' इस वीडियो पर पाकिस्तान के लोगों ने इमरान को जमकर ट्रोल किया. इसके कुछ ही घंटे बाद 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था. युद्ध छिड़ने के बाद इमरान खान और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात हुई. इधर, शशि थरूर ने इमरान के रूस दौरे पर निशाना साधते हुए 24 फरवरी को एक ट्वीट किया, ट्वीट में कहा,
'अगर इमरान खान में कोई आत्म सम्मान है तो वे वही करेंगे जो वाजपेयी साहब ने 1979 में अपने चीन के दौरे के वक़्त किया था, जब चीन ने वियतनाम पर हमला कर दिया. उन्हें भी अपनी यात्रा रद्द कर देनी चाहिए और घर जाना चाहिए, वरना हमले में उनकी भी मिलीभगत है.’
शशि थरूर अटल बिहारी वाजपेयी के साल 1979 के चीन दौरे का हवाला दे रहे थे. उस वक़्त अटल, मोरार जी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री थे. 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद ये पहला मौक़ा था, जब दिल्ली से कोई बड़ा नेता चीन के दौरे पर गया था. भारत-चीन के द्विपक्षीय संबंधों की बेहतरी के लिए वाजपेयी का ये दौरा एक बड़ी सफलता माना जा रहा था. लेकिन तभी चीन ने सीमा विवाद को लेकर वियतनाम पर हमला कर दिया. इस हमले पर विरोध जताते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी चीन यात्रा एक दिन पहले ही खत्म कर दी, और वापस भारत चले आए. एक महीने तक लड़े गए इस युद्ध में चीन की बुरी हार हुई थी. चीन के पास उस वक़्त दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्मी थी. PLA में उस वक़्त 6 लाख से भी ज्यादा सैनिक थे, जबकि वियतनाम के पास सिर्फ 70,000. चीन को मुंह की खानी पड़ी थी और वियतनाम से भागना पड़ा था. इस युद्ध में भारत ने भी वियतनाम का साथ दिया था. भारत कब तक चुप रहेगा?  इसके अलावा थरूर ने एक और ट्वीट करते हुए पूछा कि रूस-यूक्रेन विवाद पर भारत कब तक चुप रहेगा? थरूर ने कहा,
‘रूस सत्ता परिवर्तन का अभियान चला रहा है, इस पर भारत कब तक चुप रह सकता है, जिसने इस तरह की दखलंदाजी का हमेशा विरोध किया है? हालांकि रूस की जायज सुरक्षा चिंताओं को कोई भी एप्रीशिएट कर सकता है, लेकिन इसके लिए जंग का सहारा लेने के उसके फैसले को, न ही स्वीकार करना संभव है और न ही उचित ठहराना. हमें रूस से लड़ाई रोकने की मांग रखनी चाहिए.’
शशि थरूर ने एक और ट्वीट में विदेश मंत्री एस जयशंकर के एक स्टेटमेंट का पोस्टर शेयर किया, जिसमें लिखा है, 'हमारा नजरिया इस बारे में पूरी तरफ़ स्पष्ट है कि हम LAC यानी लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल की यथास्थिति में किसी भी तरह के एक तरफ़ा बदलाव को नहीं मानेंगें.' जाहिर है ये स्टेटमेंट भारत-चीन सीमा विवाद पर भारतीय नजरिये को साफ़ करता है, इसी का हवाला देते हुए शशि थरूर ने अपने ट्वीट में कहा है कि यूक्रेन पर भी हमारा रुख यही होना चाहिए, हमला करने वाले की आइडेंटिटी के आधार पर सिद्धांत अप्रासंगिक नहीं हो जाते. यानी कि हमला कोई भी करे, उसका विरोध किया जाना चाहिए.

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