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राज्यसभा सीट के लालच में फैसले लेते हैं जज? सुप्रीम कोर्ट के वकील ने क्या बताया?

"ऐसे कई जज हैं जो सरकार के पक्ष में फैसला देते हैं."

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Dushyant Dave on Supreme Court Judges
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील दुष्यंत दवे (फाइल फोटो)
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साकेत आनंद
16 जुलाई 2023 (Updated: 16 जुलाई 2023, 08:31 PM IST)
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सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के पूर्व अध्यक्ष और सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने कहा है कि आज कई जज ऐसे हैं जो सरकार के पक्ष में फैसला दे रहे हैं. दुष्यंत दवे इस बार दी लल्लनटॉप के खास प्रोग्राम 'गेस्ट इन द न्यूजरूम' में आए थे. उन्होंने न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट के जजों पर कई तरह के आरोप लगाए. इसी बातचीत में दुष्यंत दवे से जजों पर लगने वाले आरोपों को लेकर सवाल किया गया. उनसे पूछा गया कि कुछ फैसलों को लेकर जजों पर आरोप लगते हैं कि उनका "मामला सेट" है. कुछ समय बाद देखा जाता है कि कुछ जज ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष बनते हैं या राज्यसभा चले जाते हैं या राज्यपाल बन जाते हैं. क्या ये सवाल उठाना चाहिए?

इस पर दुष्यंत दवे ने कहा कि आग के बिना धुआं तो होता नहीं है. कुछ तथ्य तो होते ही हैं जिससे लोगों को लगता है कि कुछ गड़बड़ी हो रही है. दवे ने कहा, 

"आज कई जज हैं जो सरकार के पक्ष में फैसला देते हैं. किसी समुदाय के पक्ष में फैसला देते हैं. ऐसे बहुत जज हैं. हमलोग वकील होने के कारण जानते हैं कि फलां जज इसी तरह का विचार रखेगा. लोगों को संदेह करने और सवाल उठाने का पूरा अधिकार है. लोग सच भी साबित हो रहे हैं. इसलिए इसमें कुछ गलत नहीं है."

दवे ने आगे कहा कि लेकिन ऐसे कुछ ही मामले हैं. अगर बड़े स्तर पर देखें तो न्यायपालिका बहुत अच्छी प्रणाली है. कई अच्छे जज हैं. लेकिन कुछ गलत लोग तो हर जगह होते हैं. इस पर कुछ नहीं किया जा सकता है. दुष्यंत दवे जजों के खिलाफ मुखर होकर बोलने वालों में गिने जाते हैं.

"कुछ जज दबाव में रहते हैं"

इसी बातचीत में दवे ने जजों के ऊपर दबाव की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि राजनेताओं का जजों पर कोई सीधा दबाव नहीं होता. बहुत से जज इस तरह की चीजों से ऊपर उठ जाते हैं और ऐसे बहुत से जज रहे हैं, लेकिन कुछ जज दबाव में आ जाते हैं. दवे ने कहा, 

"सभी लोग समाज में रहते हैं. सबके परिवार हैं. सभी लोगों को अपने बच्चों की चिंता होती है. चिंता रहती है, मेरे रिश्तेदारों का क्या होगा? मेरा क्या होगा? रिटायरमेंट के बाद मुझे और पोजिशन मिलेगी या नहीं? मैं कोई और ट्राइब्यूनल का चेयरमैन बन पाऊंगा या नहीं? मन में तरह-तरह के कैलकुलेशन चलते हैं."

इस साल मार्च में दुष्यंत दवे ने कहा था कि जजों को रिटायरमेंट के बाद पद ग्रहण करने पर रोक होनी चाहिए. दवे कोच्चि के एर्नाकुलम गवर्नमेंट लॉ कॉलेज के एक कार्यक्रम में पहुंचे थे. उन्होंने कहा था कि जज सरकार को फायदा पहुंचाते हैं. इसके बदले में उन्हें बड़ी मदद दी जाती है, पुरस्कृत किया जाता है. सीधा नाम लेते हुए दवे ने कहा कि जस्टिस एस अब्दुल नजीर को राज्यपाल बनाने का मामला ऐसा ही है.

दुष्यंत दवे के साथ ‘गेस्ट इन द न्यूजरूम’ में हुई इस बातचीत का वीडियो नीचे देखें या यूट्यूब पर देखने के लिए यहां क्लिक करें.

वीडियो: गेस्ट इन द न्यूज़रूम: सुप्रीम कोर्ट में ध्रुवीकरण, जस्टिस लोया, अयोध्या केस पर क्या बता गए एडवोकेट दुष्यंत दवे?

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