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संदेशखाली केस: ‘मणिपुर से तुलना ना करें’, सुप्रीम कोर्ट ने CBI जांच की मांग खारिज की

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि संदेशखाली मामले पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया है. SIT जांच की मांग हाई कोर्ट से की जानी चाहिए.

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supreme court on west bengal sandeshkhali case
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने 12 फरवरी को संदेशखाली की महिलाओं से मुलाकात की थी. (फोटो: आजतक और PTI)
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संजय शर्मा
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19 फ़रवरी 2024 (Updated: 19 फ़रवरी 2024, 22:31 IST)
Updated: 19 फ़रवरी 2024 22:31 IST
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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली मामले की CBI या SIT जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले पर पहले ही स्वत: संज्ञान लिया है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट इसमें दखल देते हुए सुनवाई क्यों करे. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट में CBI जांच की मांग की जा सकती है. 

संदेशखाली वाला मामला क्या है?

आजतक के संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, संदेशखाली की महिलाओं ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता शेख शाहजहां और अन्य सहयोगियों पर उनकी जमीनें हड़पने और यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. 19 फरवरी को इस मामले पर दाखिल जनहित याचिका (PIL) पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. याचिका डालने वाले वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने कोर्ट को जानकारी देते हुए कहा कि इस मामले में ज्यादातर पीड़ित अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के हैं.

ये भी पढ़ें- प. बंगाल: संदेशखाली में प्रदर्शनकारी महिलाओं से मिले राज्यपाल, कहा- 'अंतरात्मा को हिला देने वाला था...'

जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है, तो आप वहां जाकर CBI जांच की मांग कर सकते हैं. इस पर अलख श्रीवास्तव ने कहा कि वो मामले का ट्रांसफर पश्चिम बंगाल के बाहर करने की भी गुहार लगा रहे हैं. वहां परिस्थिति बेहद खराब है, मामले का ट्रांसफर पश्चिम बंगाल के बाहर किया जाए.

SC ने कहा, ‘मणिपुर से इस केस की तुलना ना करें’

मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस बी.वी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने पूछा कि हाई कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद क्या हुआ? इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि हाई कोर्ट के संज्ञान लेने के एक दिन बाद पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने बयान दिया था. उन्होंने कहा कि वहां कोई रेप नहीं हुआ है. अलख ने दावा किया कि ये बिल्कुल मणिपुर की तरह मामला है.

इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 

“इस मामले की तुलना मणिपुर मामले से ना करें. हम आपको ये इजाजत देंगे कि आप हाई कोर्ट की सुनवाई में शामिल हो सकें. वहां अर्जी दाखिल कर सकें.”

अलख श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट के दूसरे मामलों का हवाला देते हुए कहा कि उनमें भी कोर्ट ने सीधा दखल दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी बात दोहराई कि मणिपुर से इस मामले की तुलना ना करें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के पास भी SIT गठित करने का अधिकार है. ऐसे में हाई कोर्ट को ही तय करने दीजिए.

सुवेंदु अधिकारी को संदेशखाली जाने की मंजूरी मिली

इस बीच कलकत्ता हाई कोर्ट ने विपक्षी नेता सुवेंदु अधिकारी को संदेशखाली जाने की इजाजत दे दी है. आजतक के अनुपम मिश्रा की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस कौशिक चंदा ने सुरक्षाकर्मियों के साथ सुवेंदु अधिकारी को संदेशखाली जाने की मंजूरी दी है. इसके लिए सुवेंदु को अपना रूट प्लान पुलिस को देना होगा. हाई कोर्ट ने सुवेंदु से वहां किसी भी तरह का भड़काऊ भाषण नहीं देने का भी आदेश दिया है. साथ ही हाई कोर्ट ने संदेशखाली में प्रशासन की ओर से लगाई गई धारा 144 पर भी रोक लगा दी है.

कैसे शुरू हुआ संदेशखाली विवाद?

5 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एक टीम राशन घोटाले के सिलसिले में TMC नेता शाहजहां शेख से पूछताछ करने के लिए संदेशखाली पहुंची थी. आरोप है कि शाहजहां शेख के समर्थकों ने ED की टीम पर हमला कर दिया. शाहजहां शेख तभी से फरार है.

इस घटना के कुछ दिनों बाद संदेशखाली की रहने वाली कई महिलाएं शाहजहां शेख और शेख के समर्थकों के खिलाफ प्रदर्शन पर उतरीं. महिलाओं ने शाहजहां शेख और शेख के समर्थकों पर उनकी जमीनें हड़पने का आरोप लगाया. इसके अलावा महिलाओं ने यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप भी लगाए. महिलाओं ने कहा कि TMC नेता और उसके सहयोगी सालों से उनका यौन उत्पीड़न कर रहे हैं.

इन आरोपों के साथ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया और राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. 8 फरवरी को तनाव तब और बढ़ गया जब प्रदर्शनकारियों ने शेख के एक आदमी के मालिकाना हक वाली तीन पोल्ट्री फार्मों में आग लगा दी. प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि वो पोल्ट्री फार्म गांव वालों से जबरन छीनी गई जमीन पर बने थे.

BJP पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर हमलावर हो गई. ममता सरकार के विरोध में प्रदर्शन करने लगी. इस बीच 12 फरवरी को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी आनंद बोस ने प्रदर्शनकारी महिलाओं से मुलाकात की. उन्हें इंसाफ दिलाने का भरोसा दिया. वहीं पुलिस प्रशासन की ओर से बताया गया कि इस मामले की जांच के लिए DIG रैंक की महिला IPS अधिकारी की अध्यक्षता में 10 सदस्यों की टीम बनाई है. ये टीम संदेशखाली का दौरा करेगी और उन महिलाओं से बात करेगी, जिन्होंने आरोप लगाया है कि उनका यौन उत्पीड़न किया गया.

इसके अलावा पुलिस प्रशासन की ओर विपक्षी नेताओं को संदेशखाली जाने से रोका जाने लगा. इलाके में धारा 144 लगा दी गई थी. BJP और कांग्रेस ने इसे लेकर ममता सरकार पर निशाना साधा. BJP ने राज्य सरकार पर क्षेत्र में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में शामिल होने का आरोप लगाया. 

CM ममता बनर्जी ने क्या कहा है?

मामले पर मचे सियासी घमासान के बीच 15 फरवरी को CM ममता बनर्जी ने विधानसभा में भाषण दिया. उन्होंने संदेशखाली मामले की जांच की बात कही. ये भी कहा कि घटना में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा.

18 फरवरी को बीरभूम जिले के एक कार्यक्रम के दौरान CM ममता ने कहा कि BJP पश्चिम बंगाल में अशांति पैदा करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि संदेशखाली की एक भी महिला ने FIR दर्ज नहीं कराई है. CM ने कहा,

"मैंने पुलिस को स्वत: संज्ञान लेकर मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था. हमारे ब्लॉक अध्यक्ष को गिरफ्तार कर लिया गया है."

बता दें कि संदेशखाली मामले में पुलिस ने अब तक स्थानीय TMC नेता शिबप्रसाद हाजरा और उत्तम सरदार सहित 18 लोगों को गिरफ्तार किया है.  शिबप्रसाद हाजरा और उत्तम सरदार शाहजहां शेख के करीबी सहयोगी बताए जा रहे हैं. पुलिस ने मुख्य आरोपियों के खिलाफ 'गैंग रेप' और 'हत्या के प्रयास' की धाराएं भी जोड़ी हैं.

वीडियो: TMC नेता पर रेप के आरोप, संदेशखाली में प्रदर्शनकारी महिलाओं से मिले राज्यपाल

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