सरकार की पाई-पाई का हिसाब रखने वाले CAG को संसद से बुलावा क्यों आया?
किस वजह से संसदीय समिति ने कैग अधिकारियों को नोटिस भेजा है
Advertisement

फोटो- आजतक
'हमने सीएजी को बुलाया है. इनके अधिकारी आकर वह तरीका खोजेंगे जिससे सरकारी फंड लेने वाली स्वायत्त संस्थाओं, मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के अकाउंट्स को जल्द ऑडिट किया जा सके और संसद के समक्ष ऑडिट के दस्तावेज रखे जा सकें. इन दस्तावेजों से देश के लोगों को पता चलेगा कि उनका पैसा ये संस्थाएं कैसे खर्च करती हैं.'कहा जा रहा है कि यह संभवत: पहली बार है, जब लोक लेखा समिति (पीएसी) से इतर कोई संसदीय समिति कैग अधिकारियों के साथ इस तरह की औपचारिक चर्चा करेगी. इसे लेकर रितेश पांडे ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,
'रिकॉर्ड्स को देखें तो लोकसभा के पटल पर रखे जाने वाले दस्तावेजों की संसदीय समिति ने पहले कभी भी ऑडिट में देरी का कारण जानने के लिए कैग को तलब नहीं किया. मुझे नहीं लगता कि लोक लेखा समिति के अलावा किसी अन्य संसदीय समिति ने कभी सीएजी को तलब किया है...एक संसदीय समिति एक छोटी संसद की तरह होती है, जिसे किसी भी मंत्रालय/विभाग/संगठन/सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी और यहां तक कि स्वायत्त संगठनों के प्रतिनिधियों को जानकारी मांगने के लिए बुलाने का अधिकार है.'देरी के लिए मंत्रालयों को किया गया था तलब हाल ही में रितेश पांडे की अध्यक्षता वाली इस संसदीय समिति ने इस मामले में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया था और उनसे देरी का कारण पूछा था. पीटीआई के मुताबिक इस दौरान कई संस्थाओं ने कहा था कि कैग की ऑडिट प्रक्रिया कभी-कभी निर्धारित समय से कहीं ज्यादा समय लेती है, जिसके चलते उन्हें संसद के समक्ष दस्तावेज पेश करने में देरी हो रही है. कुछ का यह भी कहना था कि कैग ने समय पर अपने ऑडिटर्स को नहीं भेजा, जिस वजह से देरी हो रही है. इसके बाद रितेश पांडे ने सीएजी गिरीश चंद्र मुर्मू के साथ एक बैठक की थी. इस बैठक में मुर्मू ने उन्हें ऑडिट प्रक्रिया में तेजी लाने और संसदीय समिति के साथ तालमेल मिलाकर काम करने का आश्वासन दिया था.