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बालासोर ट्रेन हादसे की जांच करने वाली CRS के पास कितनी ताकत है?

ये कमीशन रेल मंत्रालय के अंतर्गत काम नहीं करता है.

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Investigation of the Odhisa train accident by Commission of Railway Safety
CRS ट्रेन हादसों की जांच करती है. (फोटो: PTI)
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7 जून 2023 (Updated: 7 जून 2023, 23:47 IST)
Updated: 7 जून 2023 23:47 IST
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ओडिशा में 2 जून को बालासोर रेल हादसा हुआ. शुरुआती जांच कमीशन ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) ने की है. खास बात ये है कि रेलवे ऑपरेशंस की जांच करने वाला ये कमीशन रेल मंत्रालय के अंतर्गत काम नहीं करता है. तो आखिर ये कैसे काम करता है? रेलवे बोर्ड में नहीं तो किस मिनिस्ट्री में काम करता है? और रेल मंत्रालय में काम नहीं करने के पीछे क्या कारण हैं?

क्या है कमीशन ऑफ रेलवे सेफ्टी?

कमीशन ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) यानी रेलवे सुरक्षा आयोग एक सरकारी एजेंसी है. ये देश में रेलवे सेफ्टी अथॉरिटी के तौर पर काम करता है. रेलवे एक्ट 1989 के अनुसार, इसका काम ट्रेन के सफर में सुरक्षा और संचालन को सुनिश्चित करना है. इसके साथ ही ये जांच और परामर्श देने के साथ कानूनी काम भी देखता है. इसका एक अहम काम सीरियस ट्रेन हादसों की जांच-पड़ताल करना भी है.

CRS रेल मंत्रालय के नियंत्रण में नहीं है. ये मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है. ऐसा इसलिए ताकि ये रेलवे बोर्ड और विभागों के प्रभाव से दूर रह सके. इसे बेहतर समझने के लिए हम सबसे पहले जानेंगे कि CRS की शुरुआत कैसे हुई?

कंसल्टिंग इंजीनियर्स से शुरू हुआ CRS

भारत में पहली बार 1800 के दशक में रेलवे आई, तब इसे प्राइवेट कंपनियां चलाया करती थीं. अंग्रेज सरकार ने तब ‘कंसल्टिंग इंजीनियर्स’ नियुक्त किए. ये बढ़ते हुए रेलवे नेटवर्क का नियंत्रण और निगरानी का काम करते थे. इसके साथ ही इन्हें भारत में रेलवे ऑपरेशंस की क्षमता, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना था.  

जब अंग्रेज सरकार ने रेलवे का काम अपने हाथों में लिया तो कंसल्टिंग इंजीनियर्स को ‘सरकारी इंस्पेक्टर्स’ कहा जाने लगा. 1883 में इन्हें संवैधानिक वैधता मिल गई. इसके बाद रेलवे बोर्ड के अंतर्गत रेलवे इंस्पेक्टोरेट बनाए गए, जिसकी स्थापना 1905 में हुई.

रेलवे का सेफ्टी कंट्रोलिंग अथॉरिटी बना रेलवे बोर्ड

भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 और तत्कालीन वाणिज्य और उद्योग विभाग ने एक नोटिफिकेशन जारी किया. इसके अनुसार, अधिनियम की अलग-अलग धाराओं के तहत रेलवे बोर्ड को सरकार की शक्तियां और काम सौंपे गए. रेलवे बोर्ड को ही भारत में रेलवे ऑपरेशंस से जुड़े नियम बनाने का अधिकार भी मिला हुआ था. इसके चलते रेलवे बोर्ड भारत में रेलवे का सेफ्टी कंट्रोलिंग अथॉरिटी बन गया.    

जब भारत सरकार अधिनियम 1935 आया तो इसमें रेलवे में सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम एक अलग अथॉरिटी को करने के लिए कहा गया. ऐसी अथॉरिटी जो संघीय रेलवे प्राधिकरण और रेलवे बोर्ड से स्वतंत्र हो. इसमें ट्रेन में सफर करने वाले और रेलवे में काम करने वाले लोगों दोनों की सुरक्षा की बात शामिल थी. ये भी कहा गया कि ये अथॉरिटी रेलवे एक्सीडेंट की जांच भी स्वतंत्र रूप से करे. 1939 में दूसरा विश्व युद्ध होने के चलते ये नहीं हो सका और रेलवे इंस्पेक्टोरेट रेलवे बोर्ड के नियंत्रण में ही काम करता रहा.

रेलवे बोर्ड से कब अलग हुआ रेलवे इंस्पेक्टोरेट?

1939 में ही एक पैनल ने रेलवे इंस्पेक्टोरेट को रेलवे बोर्ड से अलग करना बेहद जरूरी बताया. उन्होंने ऐसा रेलवे बोर्ड की विसंगति दूर करने के लिए कहा था. ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि रेलवे बोर्ड उस समय रेलवे का काम और निरीक्षण दोनों देख रहा था. ऐसे में किसी दुर्घटना या हादसे के समय जांच अधिकारियों का स्वतंत्र रूप से किसी निष्कर्ष पर पहुंचना नामुमकिन सा था. जांच अधिकारियों को रेलवे बोर्ड से अलग करना जरूरी हो गया था. इसके अध्यक्ष ब्रिटिश रेलवे के चीफ इंस्पेक्टिंग ऑफिसर ए. एच. एल माउंट थे. इसी रिपोर्ट में पैनल ने ये भी बताया कि रेलवे बोर्ड ने इस तर्क की सराहना की थी. और इस बदलाव का स्वागत करने की भी बात की थी.

1940 में केंद्रीय विधान मंडल ने भी इस विचार का समर्थन किया. मंडल ने कहा कि रेलवे के सीनियर गवर्नमेंट इंस्पेक्टर्स को सरकार की किसी और अथॉरिटी के अंडर काम करना चाहिए. इसके एक साल बाद ही रेलवे इंस्पेक्टोरेट रेलवे बोर्ड से अलग हो गया और तत्कालीन पोस्ट एंड एयर डिपार्टमेंट के साथ काम करने लगा.

इसी रेलवे इंस्पेक्टोरेट को 1961 में कमीशन ऑफ रेलवे सेफ्टी नाम दिया गया. तब से ये कमीशन सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के अंतर्गत काम कर रहा है.

बालासोर हादसे की शुरुआती CRS ने की है. CBI भी इस मामले की जांच कर रही है. बालासोर के बाहानगा बाजार स्टेशन के पास 2 जून को ये हादसा हुआ था. यहां कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी. इसके बाद कोरोमंडल एक्सप्रेस के कई डिब्बे पटरी से उतर गए. इसी दौरान दूसरे ट्रैक से गुजर रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस कोरोमंडल के उन डिब्बों से टकरा गई. इस हादसे में 288 लोगों की मौत हुई है और 1 हजार से ज्यादा यात्री घायल हुए.

(ये खबर हमारी साथी प्रज्ञा ने लिखी है.)

वीडियो: बालासोर में पटरी की मरम्मत के बाद जब वंदे भारत एक्सप्रेस गुजरी तो क्या हुआ?

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