भारत से मोहब्बत करने वाले इस फेमस यूट्यूबर के यहां आने पर बैन क्यों?
कार्ल रॉक ने बताया है कि वह अपनी पत्नी से दूर निर्वासित जीवन जीने को मजबूर हैं.
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कार्ल रॉक. फेमस यूट्यूबर हैं. न्यूज़ीलैंड से हैं. दुनिया के कई देश घूम चुके हैं. भारत के कई प्रदेश भी घूम चुके हैं. पिछले साल जुलाई 2020 में कार्ल ने दिल्ली में बने प्लाज्मा बैंक में प्लाज्मा डोनेट भी किया था. तब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हें सम्मानित भी किया था. कार्ल रॉक विडियो बनाते हैं और चीज़ों को दुनिया से साझा करते हैं. पर्यटकों को ट्रिक्स और सुरक्षा टिप्स देते हैं. इंग्लिश के साथ ही फरार्टेदार हिंदी भी बोलते हैं. लेकिन आजकल बहुत परेशान हैं.
कार्ल रॉक ने एक ट्वीट कर आरोप लगाया है कि भारत सरकार ने उन्हें यहां आने से ब्लॉक कर दिया है. उन्हें ब्लैकलिस्ट की सूची में डाल दिया गया है. पूरे मामले को विस्तार से जानते हैं.
कार्ल रॉक क्या कह रहे हैं? कार्ल रॉक ने अपने यूट्यूब चैनल से शेयर किए विडियो में कहा है,Dear @jacindaardern, the Govt. of India has blocked me from entering India separating me from my wife & family in Delhi. They blacklisted me without telling me, giving reasons, or letting me reply. Please watch my struggle https://t.co/dq0Z98SCFw@NZinIndia@MukteshPardeshipic.twitter.com/sLM2nk9lR3
— Karl Rock (@iamkarlrock) July 9, 2021
भारत सरकार ने मुझे मेरी पत्नी और परिवार से अलग करते हुए भारत लौटने से रोक दिया है. मेरी पत्नी का नाम मनीषा मलिक है और हम अक्टूबर 2014 में दिल्ली में मिले थे. अप्रैल 2019 में हमने शादी की थी. अक्टूबर 2020 में मैं दुबई और पाकिस्तान की यात्रा करने के लिए भारत से निकला. नई दिल्ली एयरपोर्ट से निकलते ही मेरा वीजा रद्द कर दिया गया. मुझे वीजा रद्द करने का कारण नहीं बताया गया. दुबई आने के बाद मैंने फिर से वीजा के लिए अप्लाई किया. मुझे दुबई के हाई कमीशन में बुलाया गया और बताया गया कि मुझे ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है, इसलिए मुझे वीजा नहीं जारी किया जा सकता. इसके बाद से हम इस मसले को सुलझाने में लगे हुए हैं.कार्ल ने आगे बताया है,
मैंने गृह मंत्रालय को कई मेल किए हैं. लेकिन उनका कोई जवाब नहीं दिया गया. मनीषा ने कई बार गृह मंत्रालय के चक्कर लगाए लेकिन मसले को नज़रअंदाज कर दिया गया. मैं मदद के लिए न्यूज़ीलैंड स्थित भारतीय हाई कमीशन भी पहुंचा, लेकिन वहां भी कुछ नहीं हुआ. यह वो वक्त था जब मनीषा कोरोना वायरस से दूसरी बार संक्रमित हो गई थी. उसे मेरी जरूरत थी, लेकिन मैं चाहकर भी मदद नहीं कर पा रहा था.भारत में रहने को लेकर कार्ल बताते हैं,
कई लोग कहते हैं कि आप दुनिया के किसी कोने में रह सकते हैं. लेकिन सच यह है कि हम कहीं और नहीं जाना चाहते. हम भारत से प्रेम करते हैं और भारत में ही रहना चाहते हैं. मैं अपने परिवार से निर्वासित जिंदगी जी रहा हूं. यह बहुत मुश्किल है. मुझे शुरुआत में कई पैनिक अटैक आए लेकिन इसका कोई उपाय न था. लेकिन हरियाणवी परिवार से मैंने डटे रहना सीखा है और हम लड़ेंगे और भारत लौटेंगे.कोर्ट में याचिका दायर करने को लेकर कार्ल बताते हैं,
रही बात ब्लैकलिस्ट की, तो इसका जवाब मुझे नहीं पता है. कई महीनों तक सरकार से जवाब न मिलने के बाद 9 जुलाई को हम दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर रहे हैं कि मेरा नाम ब्लैकलिस्ट की सूची से हटाया जाए. इसके लिए हम भरतीय न्याय व्यवस्था के आभारी हैं और मुझे उम्मीद है कि मैं जल्द ही भारत लौटूंगा.बता दें कि इस मामले को लेकर अब तक गृह मंत्रालय या विदेश मंत्रालय ने कोई पक्ष सामने नहीं रखा है.