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'सुभाष चंद्र बोस प्लेन से उतरे तो उनके कपड़े जल रहे थे, वो आग से घिरे हुए थे'

क्या कहते हैं वो डॉक्यूमेंट्स जो पहले इंडियन और जापानी दोनों ही सरकारों की ओर से सीक्रेट थे?

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खुद ही देख लो कितनी शक्ल मिलती है सुभाष चंद्र बोस से.
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अविनाश जानू
23 जनवरी 2021 (Updated: 23 जनवरी 2021, 05:37 AM IST) कॉमेंट्स
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एक जापानी वेबसाइट की माने तो नेताजी की मौत का राज 2016 में ही खुल चुका है.

जापान सरकार ने कुछ पुरानी रिपोर्ट्स शेयर की थीं जिनके हिसाब से सुभाष चंद्र बोस की मौत वाकई एक प्लेन एक्सीडेंट में ही हुई थी, 18 अगस्त 1945 को, ताइवान में. ये जो रिपोर्ट्स हैं ये 'बोसफाइल्स.इंफो' नाम की एक वेबसाइट ने 2016 में दी थीं. और कहा कि यह पहली बार है कि इन्वेस्टिगेशन ऑन द कॉस ऑफ डेथ एंड अदर मैटर्स ऑफ द लेट सुभाष चंद्र बोस मतलब 'दिवंगत सुभाष चंद्र बोस की मौत की वजह और दूसरे कारणों की जांच' नाम की एक रिपोर्ट पब्लिक की गई. ये डॉक्यूमेंट्स सीक्रेट थे. इंडियन और जापानी दोनों ही सरकारों की ओर से.

वेबसाइट का कहना है कि रिपोर्ट जनवरी 1956 में ही पूरी हो गई थी और टोक्यो में भारत की एंबेसी को दे दी गई थी, पर चूंकि यह एक सीक्रेट डॉक्यूमेंट था तो इसे अभी तक इसे पब्लिक नहीं किया गया था. ये सात पन्ने की रिपोर्ट जापानी भाषा में है. और 10 पन्नों में इसका इंग्लिश ट्रांसलेशन हुआ है. यह रिपोर्ट बताती है कि नेताजी 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे का शिकार हो गए और उसी दिन शाम को ताइपेई के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई. रिपोर्ट में लिखा है, ‘उड़ान भरने के तुरंत बाद वो विमान नीचे गिर पड़ा, जिसमें बोस थे. शाम करीब तीन बजे उन्हें ताइपेई सैनिक अस्पताल की नानमोन शाखा ले जाया गया और शाम करीब सात बजे उनकी मौत हो गई.

रिपोर्ट के हिसाब से उसी शाम 22 अगस्त को ताइपेई निगम श्मशानघाट में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया था. रिपोर्ट के हिसाब से प्लेन उड़ान भरने के बाद जैसे ही जमीन से करीब 20 मीटर ऊपर गया, इसके बाईं ओर के तीन पंख वाले प्रोपेलर की एक पंखुड़ी अचानक टूट गई और इंजन अंदर गिर पड़ा.

रिपोर्ट के हिसाब से प्लेन डिसबैलेंस हो गया और हवाई पट्टी के पास कंकड़-पत्थरों के ढेर पर गिर गया फिर कुछ ही देर में ये आग की लपटों से घिर गया. आग की लपटों से घिरे बोस प्लेन से उतरे, कर्नल हबीबुर रहमान और अन्य पैसेंजर्स ने उनके कपड़ों में लगी आग बुझाने की कोशिश की. पर देर हो चुकी थी इससे पहले ही उनका शरीर बुरी तरह झुलस गया था. नेताजी की उम्र तब 48 साल थी. वेबसाइट के हिसाब से उनकी मौत से जुड़ी जापान सरकार की रिपोर्ट शाहनवाज खान समिति की रिपोर्ट का समर्थन करती है. यह शाहनवाज खान समिति तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1956 में सुभाष चंद्र बोस की मौत की जांच के लिए बनाई थी.

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