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अगर ये बिल संसद में पारित हो गया, तो यूपी के इन चार जिलों में गोंड समुदाय को बहुत फायदा होगा

बिल लोकसभा में पारित हो चुका है.

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arjun munda up gond community reservation
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा. (फाइल फोटो: पीआईबी)
12 दिसंबर 2022 (Updated: 12 दिसंबर 2022, 21:55 IST)
Updated: 12 दिसंबर 2022 21:55 IST
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उत्तर प्रदेश के चार जिलों में गोंड समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की श्रेणी में डालने के लिए सरकार ने राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया है. इसका नाम है- संविधान (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) आदेश (द्वितीय संशोधन) बिल, 2022

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए इस बिल का मुख्य मकसद उत्तर प्रदेश के संबंध में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1967 और संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 में संशोधन करना है. ताकि यूपी के चार जिलों में गोंड समुदाय को अनुसूचित जनजाति यानी कि एसटी श्रेणी में डाला जा सके. फिलहाल इन जिलों में गोंड जाति के लोग अनुसूचित जाति में आते हैं.

कौन हैं ये चार जिले?

उत्तर प्रदेश के चंदौली, कुशीनगर, संत कबीर नगर और संत रविदास नगर जिलों के गोंड समुदाय को पहले अनुसूचित जाति की श्रेणी में रखा गया था. हालांकि, अब केंद्र ने इस संशोधन बिल के तहत इन्हीं चारों जिले के गोंड समुदाय को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में डालने का प्रस्ताव किया है. यह बिल 28 मार्च 2022 को लोकसभा में पेश किया गया था. इसे एक अप्रैल 2022 को लोकसभा से पारित कर दिया गया था. अब यह राज्यसभा में आया है.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने विधेयक के कारणों में बताया है कि यूपी सरकार ने मांग की थी कि नए जिलों- संत कबीर नगर, कुशीनगर, चंदौली और संत रविदास नगर के गोंड समुदाय को अनुसूचित जाति की श्रेणी से हटाया जाना चाहिए. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने ये भी मांग रखी थी कि इन जिलों के गोंड, धुरिया, नायक, ओझा, पठारी और राजगोंड समुदायों को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में डाला जाए.

यूपी सरकार की इसी मांग को पूरी करने के लिए सरकार ने राज्य सभा में ये विधेयक पेश किया है.

क्या कहता है संविधान?

संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड 24 में अनुसूचित जातियों को परिभाषित किया गया है. इसमें कहा गया है कि ऐसी जातियों, नस्लों या जनजातियों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में डाला जा सकता है, जिससे अनुच्छेद 341 के उद्देश्य की पूर्ति हो.

इसी तरह अनुसूचित जनजातियों को परिभाषित करने के लिए अनुच्छेद 366 के खंड 25 में इसका प्रावधान किया गया है. अनुच्छेद 341 और अनुच्छेद 342 के तहत संसद कानून बनाकर किसी जाति, नस्ल और जनजाति को अनुसूचित जाति तथा अनुसूटी जनजाति की श्रेणी में डाल भी सकती है और इससे हटा भी सकती है. इस पर आखिरी मुहर भारत के राष्ट्रपति लगाते हैं.

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