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शिवसेना के संकट से कांग्रेस नेताओं की हालत खराब, बोले- 'लीडरशिप कुछ गंभीरता दिखाए'

'कांग्रेस के विधायकों ने MLC चुनाव में क्रॉस वोटिंग की, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ऐसे पेश आ रहा है कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं.'

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Maharashtra Political Crisis
महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक संकट के बीच कांग्रेस के विधायक. (फोटो: ANI)
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मुरारी
23 जून 2022 (Updated: 23 जून 2022, 10:56 PM IST) कॉमेंट्स
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महाराष्ट्र में शिवसेना का हाल देख (Maharashtra Political Crisis) अब कांग्रेस के नेताओं को अपने विधायकों के भविष्य की चिंता सता रही है. पार्टी के एक सेक्शन को लगता है कि महाराष्ट्र में उनके कई विधायकों पर खतरा मंडरा रहा है और पार्टी का नेतृत्व विधायकों को एकजुट रखने में कोई रुचि नहीं दिखा रहा है. इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े मनोज सी जी ने सूत्रों के हवाले एक रिपोर्ट में ये सब बताया है.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता कमलनाथ 22 जून की रात को मुंबई पहुंचे थे. थोड़ी देर बाद वो वापस मध्य प्रदेश लौट आए. उन्होंने बताया कि कांग्रेस के सभी 44 विधायक पार्टी के साथ हैं. 41 विधायकों से जहां उन्होंने सामने-सामने मुलाकात की, वहीं बाकी तीन से फोन पर. कमलनाथ ने NCP प्रमुख शरद पवार से भी मुलाकात की और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की.

‘सरकार का गिरना तय’

इधर कांग्रेस के एक बड़े नेता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि महाराष्ट्र सरकार का गिरना तय है. उन्होंने कहा,

"सरकार अब नहीं बच सकती. ऐसा लगता है कि उद्धव के अंदर अब लड़ने की इच्छा ही नहीं है. शायद उनका स्वास्थ्य खराब है. हम कुछ ज्यादा नहीं कर सकते. यही बात NCP पर भी लागू है. अब ये शिवसेना पर निर्भर है कि वो सरकार बचाने के लिए जो कर पाए, वो सब करे."

वहीं कमलनाथ ने अखबार को बताया,

"हमारे विधायक हमारे साथ हैं. कांग्रेस पूरी तरह से एकजुट है. लेकिन मेरा सवाल है कि शिवसेना के विधायक अभी भी गुवाहाटी में क्यों हैं? उद्धव ने कहा है कि वो नए नेता की खातिर इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं. उन विधायकों को वापस विधायक दल की बैठक में शामिल होना चाहिए और जिसको मन चाहे उसको अपना नेता चुनना चाहिए. गुवाहाटी में बैठकर उनको क्या मिलने वाला है?"

हालांकि, कमलनाथ से इतर पार्टी के दूसरे नेता अपने विधायकों की एकजुटता को लेकर निश्चिंत नहीं हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने अखबार को बताया कि उनकी महाराष्ट्र ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के इनचार्ज एचके पाटिल से इस बात को लेकर बहस हो गई कि आखिर विधायकों को एकजुट रखने के लिए उनकी तरफ से कोई कदम क्यों नहीं उठाया जा रहा है. इस नेता ने बताया,

"हमारे विधायक आराम से घूम रहे हैं. कम से कम उन्हें किसी होटल में तो शिफ्ट कर देना चाहिए. ये बात नहीं भूलनी चाहिए कि हाल के विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस के विधायकों की तरफ से क्रॉस वोटिंग हुई है."

कांग्रेस पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता ने अखबार से कहा,

"दो से सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की. जिसकी वजह से हमारे प्रथम प्राथमिकता वाले उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे की हार हुई. वो महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. लेकिन क्या पार्टी ने इसका संज्ञान लिया? क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों की पहचान की? ऐसी प्रतिक्रिया दी जा रही है कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं."

इस बार के महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपनी प्रथम प्राथमिका वाले उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे को 29 वोट असाइन किए थे और दूसरे प्राथमिकता वाले उम्मीदवार भाई जगतप को 15 वोट. लेकिन हंडोरे को केवल 22 वोट मिले और जगतप ने 20 वोट हासिल कर जीत हासिल कर ली.

‘उद्धव ने केवल पवार से मुलाकात की’

मौजूदा संकट के बीच महाराष्ट्र कांग्रेस में क्या चल रहा है, इस पर पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा,

"इस संबंध में दो घटनाक्रम हो सकते हैं. जिन पांच विधायकों ने हंडोरे को वोट देना था, उन्होंने जातिगत आधार पर जगतप को वोट दिया. जगतप मराठा समुदाय से आते हैं, वहीं हंडोरे दलित समुदाय से. अगर ये हुआ है, तो हमारे दो विधायकों ने बीजेपी को वोट दिया. लेकिन हमारे कुछ वरिष्ठ नेता कह रहे हैं कि जगतप ने निर्दलीय और दूसरी पार्टी के विधायकों के वोट हासिल किए. अगर ऐसा है, तो हमारे सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की. क्या इसके ऊपर चिंता नहीं करनी चाहिए? लेकिन हम इसे गंभीरता से नहीं ले रहे. इसका मतलब है कि हमारे कुछ विधायकों को दूसरे पाले में किया जा सकता है."

एक और वरिष्ठ नेता ने बताया कि उन सात विधायकों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है. अभी ये पता लगाना है कि क्या पांच विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन कर जगतप को वोट डाला, जबकि उन्हें हंडोरे को वोट डालने के लिए कहा गया था या फिर सभी सात विधायकों ने बीजेपी के उम्मीदवारों को वोट दिए.

अखबार ने कांग्रेस पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता से बात की. उन्होंने कहा,

"पार्टी को थोड़ी गंभीरता दिखानी होगी. कमलनाथ एक दिन के लिए आए और चले गए. उन्हें लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता. उन्हें अपने राज्य में भी संगठन को देखना है. लेकिन एचके पाटिल एक होटल में रुके हुए बताए जा रहे हैं. वो कहते हैं कि अगर कोई विधायक उनसे मिलना चाहता है, तो मिल सकता है. क्या हमें इस तरह से काम करना चाहिए?"

इस नेता की मानें तो जिन नेताओं को राज्य की जिम्मेदारी दी गई, वो गंभीर नहीं हैं. बहुत हल्के हैं. चाहें वो महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले हों या फिर बालासाहब थोराट या पाटिल. सीनियर लीडर ने बताया कि उद्धव ठाकरे ने अभी तक इनमें से किसी से मुलाकात नहीं की, वो शरद पवार से मिले. ये क्या बताता है?

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