The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Madhumita Shukla murder case S...

अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया, मधुमिता की बहन से क्या बोला?

रिहाई पर यूपी सरकार से 8 हफ्तों के भीतर जवाब मांगा गया है.

Advertisement
Amarmani Tripathi release
अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी जल्ह ही जेल से रिहा हो जाएंगे (फाइल फोटो- PTI)
pic
साकेत आनंद
25 अगस्त 2023 (Updated: 25 अगस्त 2023, 01:44 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सुप्रीम कोर्ट ने कवयित्री मधुमिता शुक्ला मर्डर केस में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने मधुमिता की बहन निधि शुक्ला की याचिका पर यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है और आठ हफ्तों में जवाब मांगा है. यूपी सरकार ने 24 अगस्त को अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया था. दोनों इस मर्डर केस में बीते 20 साल से जेल में बंद हैं.

इंडिया टुडे से जुड़े संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, रिहाई के आदेश के खिलाफ मधुमिता की बहन निधि सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं. जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने सुनवाई की. याचिकाकर्ता की वकील कामिनी जायसवाल ने दलील दी कि सरकार अमरमणि के 20 साल कैद में रहने की बात कह रही है, लेकिन 14 साल से तो वे हॉस्पिटल में हैं, जेल में तो नहीं रहे. इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि सरकार का जवाब आने दें, अगर आपकी दलीलों से सहमत होंगे तो उन्हें वापस जेल भेजा जाएगा.

राज्यपाल की अनुमति के बाद जेल प्रशासन और सुधार विभाग ने रिहाई का आदेश जारी किया था. आदेश में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी की उम्र, जेल में काटी गई अवधि और अच्छे आचरण को आधार बनाकर रिहाई दी गई. अमरमणि और उनकी पत्नी को मर्डर केस में उम्रकैद की सजा हुई थी. अमरमणि की उम्र 66 साल और मधुमणि की उम्र 61 साल है.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मधुमिता की बहन निधि ने मीडिया से बातचीत की. निधि ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट जो करता है सही करता है. लेकिन राज्यपाल से अनुरोध है कि वे कम से कम रिहाई पर रोक लगा दें, उनके पास सारे पेपर है. निधि ने समाचार एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए कहा, 

“8 हफ्ते का समय बहुत होता है. अमरमणि ऐसा मास्टरमाइंड है जो 8 हफ्ते में बहुत कुछ मैनेज कर सकता है. हो सकता है कि मेरी हत्या ही कर दे और कोई पैरवी करने वाला ही नहीं बचे. सरकारी कागज बताते हैं कि 2012 से 2023 तक अमरमणि जेल ही नहीं गया. जब जेल ही नहीं गया तो सजा माफी की बात कहां से आती है. मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि यूपी में कौन सा कानून चल रहा है.”

वहीं, यूपी के जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि राज्यपाल के विवेक पर सवाल नहीं उठा सकते हैं. उन्होंने ANI से कहा कि वे जो भी कागज राज्यपाल को भेजते हैं, उसे वो अच्छी तरह पढ़ती हैं तभी फैसला लेती हैं.

9 मई 2003 को लखनऊ के निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में मधुमिता शुक्ला की हत्या हुई थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने पहले CID जांच का आदेश दिया था. लेकिन विपक्ष के दबाव के बाद मामला CBI को ट्रांसफर कर दिया गया. CBI ने अपनी जांच में अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, भतीजे रोहित चतुर्वेदी और गोली मारने वाले संतोष राय को दोषी माना था. अक्टूबर 2007 में चारों आरोपियों को दोषी मानते हुए CBI कोर्ट ने उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. 

वीडियो: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार की किस SOP को खारिज कर दिया?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement