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उस घिनौने क्राइम की कहानी जिसमें 22 साल बाद यूपी के बीजेपी विधायक को सज़ा हुई है

जानिए क्या हुआ था रिपब्लिक डे की उस शाम?

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अशोक सिंह चंदेल के साथ 10 लोगों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई.
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अभिषेक
20 अप्रैल 2019 (Updated: 21 अप्रैल 2019, 11:03 AM IST) कॉमेंट्स
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उत्तर प्रदेश के हमीरपुर से बीजेपी विधायक हैं अशोक सिंह चंदेल. किस्सों की मानें तो काफी दबंग किस्म के आदमी हैं. इन्हें 22 साल पुराने हत्याकांड के मामले में आजीवन कारावास की सजा मिली है. ये सजा उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से सुनाई गई है. कोर्ट के फैसले में विधायक के अलावा 10 और लोगों के भी नाम हैं. विधायक पर आरोप थे कि इन्होंने 1997 में अपने राजनीतिक कॉम्पटिटर समेत 5 लोगों की बीच बाज़ार में हत्या कर दी थी. इससे पहले इन्हें 2002 में सभी आरोपों से बरी भी कर दिया गया था. लेकिन 19 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वे दोषी साबित हो गए.
अब पूरा मामला समझिए
26 जनवरी 1997 की शाम थी. ये घटना हमीरपुर के सुभाष नगर में हुई थी. इस दिन अशोक सिंह चंदेल अपने कुछ लोगों के साथ सुभाष नगर पहुंचे. यहां उन्होंने अपने राजनीति कॉम्पटिटर राजेश शुक्ल के साथ 4 और लोगों को भरे बाज़ार गोली मारकर हत्या कर दी. मरने वाले में एक ही परिवार के 3 लोग थे जबकि दो प्राइवेट गार्ड थे. इस घटना के बाज एक आईविटनेस राजीव शुक्ल ने अशोक सिंह चंदेल के अलावा 10 लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया. आईविटनेस के ही बयान पर पुलिस ने केस दर्ज किया. फिर अशोक सिंह चंदेल, रघुवीर सिंह, डब्बू सिंह, उत्तर सिंह, प्रदीप सिंह, नसीम, श्याम सिंह, साहब सिंह, झंडू सिंह और भान सिंह के खिलाफ कई धाराओं के साथ चार्जशीट फाइल की गई.
मामले में कार्रवाई हुई, अशोक सिंह इसी मामले में लंबे वक्त तक जेल में भी रहें, लेकिन साल 1999 में जेल में रहने के दौरान ही बीएसपी के टिकट से चुनाव लड़े और 13वीं लोकसभा के सदस्य बन गए. मने जिनपर हत्या का आरोप था वो जेल से ही चुनाव लड़कर सांसद बन गए.
जेल से ही बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और सांसद बन गए थे. (तस्वीर- फाइल)
जेल से ही बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और सांसद बन गए थे. (फाइल फोटो)

फिर 17 जुलाई, 2002 को अशोक सिंह चंदेल के साथ बाकी के लोग आरोपमुक्त हो गए. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज ने इस हत्याकांड में सभी लोगों को क्लीन चिट दे दी. अदालत ने उस वक्त एफआईआर में देरी के साथ फॉरेंसिंक रिपोर्ट को संदेहास्पद माना था. साथ ही साथ कोर्ट ने आईविटनेस राजीव शुक्ल के बयान को भी शक की नज़र से देखा था. कुल मिलाकर अशोक सिंह चंदेल इस मामले में बरी हो गए थे. लेकिन बाद में ये फैसला सुनाने वाले जज अश्विनी कुमार को बर्खास्त किया गया था.
2002 में सभी आरोपों से दोषमुक्त हो चुके थे चंदेल सिंह (फाइल फोटो)
2002 में सभी आरोपों से दोषमुक्त हो चुके थे चंदेल सिंह (फाइल फोटो)

सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ राजीव शुक्ल हाईकोर्ट पहुंचे. मुकदमा चला, और फैसला देर ही सही लेकिन आया ज़रूर. 19 अप्रैल 2019 को जज रमेश सिंह और जज दिनेश सिंह की खंडपीठ ने सेशन कोर्ट के फैसले को गलत मानते हुए सभी आरोपियों को हत्या के मामले में दोषी करार दे दिया और आजीवन कारावास की सज़ा सुना दी.
वैसे विधायक अशोक सिंह चंदेल के ऊपर यही एक मामला नहीं है. उनके ऊपर कानपुर के किदवई नगर में कारोबारी रणधीर गुप्ता की हत्या के साथ-साथ एक सीओ के साथ दबंगई दिखाने का भी मामला दर्ज है.


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