सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद डॉक्टरों का प्रदर्शन जारी, ममता सरकार के 'ई-मेल' से क्यों बिदक गए?
केस की सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने डॉक्टरों को निर्देश दिए थे कि वो वापस काम पर लौटें और जनता के लिए सभी मेडिकल सुविधाएं सुनिश्चित करें. अगर ऐसा नहीं करते, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट की तरफ़ से साफ़ आदेश था कि कोलकाता के RG Kar अस्पताल में हुए रेप और मर्डर के ख़िलाफ़ हड़ताल ख़त्म की जाए और डॉक्टर वापस अस्पतालों में लौटें. डेडलाइन ख़त्म हो गई, मगर धरना जारी रहा. वो अपनी पांच मांगों को लेकर अडिग है. इस बीच पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों को बुलवाया. मगर छात्रों ने ममता बनर्जी के आमंत्रण पर बिदक गए.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?कोलकाता रेप-मर्डर केस की सुनवाई आला अदालत में चल रही है. चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच के सामने ये मामला है. केस का हालिया अपडेट है कि CBI जांच की स्टेटस रिपोर्ट पीठ को सौंपी जा चुकी है.
सोमवार, 9 सितंबर को इस केस की सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने डॉक्टरों को निर्देश दिए कि वो वापस काम पर लौटें और जनता के लिए सभी मेडिकल सुविधाएं सुनिश्चित करें. अगर ऐसा नहीं करते, तो उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. साथ ही आला अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को डॉक्टरों की चिंताओं से निपटने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए. अस्पतालों में CCTV लगाने, शौचालय बनाने और ऐसी ही ज़रूरी सुविधाएं दिलवाने की बात कही.
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सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, 10 सितंबर के पांच बजे की डेडलाइन थी. मगर प्रदर्शनकारी डॉक्टर्स ने देश के प्रधान न्यायाधीश का आदेश नहीं माना. वो अपनी पांच मांगों पर टिके रहे. कहा कि जब तक उनकी बात मानी न जाएगी, हड़ताल जारी रहेगी.
क्या पांच मांगें?
- स्वास्थ्य सचिव इस्तीफ़ा दें,
- स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक (DHE) इस्तीफ़ा दें,
- कोलकाता पुलिस चीफ़ इस्तीफ़ा दें,
- राज्य के हर मेडिकल कॉलेज में 'पेशेंट सर्विस' शुरू की जाए
- और, अस्पतालों में CCTV कैमरा लगवाएं, मरीजों की सेवाओं में सुधार शामिल हैं.
पहले सूत्रों के हवाले से ख़बर छपी कि बंगाल सरकार ने छात्रों को बुलाया है. फिर इसके एवज में एक ई-मेल आया. स्वास्थ्य सचिव का ई-मेल. डॉक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रण.
एक प्रदर्शनकारी छात्र ने मीडिया को बताया कि बातचीत के लिए उन्हें सरकार की तरफ़ से स्वास्थ्य सचिव ने ई-मेल किया था. उनका कहना था कि ये उनके लिए अपमानजनक है, क्योंकि उनकी मांगों में से एक मांग स्वास्थ्य सचिव का इस्तीफ़ा है, और वही उन्हें ई-मेल कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हम 10 प्रतिनिधियों के साथ नबन्ना आ सकते हैं... हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं, लेकिन स्वास्थ्य सचिव का मेल भेजना हमारे लिए बहुत अपमानजनक है.
इस बीच एक ख़बर और आई. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के हवाले से ख़बर आई कि बंगाल की मुख्यमंत्री अपने चैंबर में इंतज़ार कर रही थीं, मगर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल की तरफ़ से कोई जवाब नहीं मिला.
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तनातनी के बीच डॉक्टरों का प्रदर्शन जारी है. एक तरफ़, डॉक्टरों की रैली और सामने पुलिस की बैरिकेडिंग. पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट के तहत लगभग 7000 डॉक्टर्स प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि उनकी मांगें माने जाने के बाद ही वो सुप्रीम कोर्ट का आदेशों मानेंगे.
डॉक्टरों का कहना है कि हादसे के 30 दिन बाद भी राज्य सरकार ने उनकी मुख्य मांगों को लेकर कोई बड़ा क़दम नहीं उठाया है. दोष का ठीकरा CBI जांच पर फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. पुलिस की लापरवाही या स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
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