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हिजाब पहनकर क्लास में पढ़ाने पर कॉलेज ने भेजा नोटिस, टीचर ने तुरंत इस्तीफा थमा दिया, फिर...

इस साल मार्च-अप्रैल से ही टीचर हिजाब पहन कर कॉलेज आ रही थीं. पिछले हफ़्ते से ये मुद्दा बढ़ गया. टीचर का कहना है कि कॉलेज के नोटिस की वजह से उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. फिर क्या हुआ? मामला बढ़ा तो अब कॉलेज ने क्या सफाई दी है?

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कॉलेज ने सफ़ाई जारी की है. (सांकेतिक तस्वीर - PTI)
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11 जून 2024 (Updated: 11 जून 2024, 11:19 IST)
Updated: 11 जून 2024 11:19 IST
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कलकत्ता विश्वविद्यालय के एक प्राइवेट कॉलेज में पढ़ाने वाली एक टीचर ने इस्तीफ़ा दे दिया है, क्योंकि संस्थान ने कथित तौर पर उनसे कह दिया कि वो हिजाब पहनकर कॉलेज न आएं. टीचर का कहना है कि कॉलेज के नोटिस की वजह से उनके मूल्यों और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है.

हिंदुस्तान टाइम की एक रिपोर्ट के अनुसार, टीचर का नाम संजीदा क़ादर है. वो एलजेडी लॉ कॉलेज में पढ़ाती थीं. कथित तौर पर बीती 31 मई को उन्हें कॉलेज के अधिकारियों ने हिजाब के बिना आने को कहा. इसके बाद क़ादर ने इस्तीफ़ा दे दिया और 5 जून से क्लास लेना बंद कर दिया.

रिपोर्ट में छपा है कि इस साल मार्च-अप्रैल से ही टीचर हिजाब पहनकर कॉलेज आ रही थीं. पिछले हफ़्ते से ये मुद्दा बढ़ गया.

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जब ये मुद्दा पब्लिक डोमेन तक पहुंचा और इस बात पर हंगामा खड़ा होने लगा, तब कॉलेज प्रशासन ने स्पष्टीकरण जारी किया. दावा किया कि ये एक 'गलतफ़हमी' थी. उनके मुताबिक़, उन्होंने कभी भी उन्हें सिर को ढकने से नहीं रोका.

संस्थान ने उन्हें एक ईमेल भी भेजा, कि वो 11 जून से वापस क्लास लेना शुरू करें. ईमेल में लिखा है कि सभी स्टाफ़ मेंबर्स के लिए तय ड्रेस कोड के हिसाब से वो क्लास लेते समय अपने सिर को ढकने के लिए दुपट्टे या स्कार्फ का इस्तेमाल कर सकती हैं. 

कॉलेज गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष गोपाल दास ने न्यूज़ एजेंसी PTI को बताया, 

कोई निर्देश या निषेध नहीं था. कॉलेज प्रशासन हर स्टेकहोल्डर की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करता है. वो 11 जून से वापस क्लास लेंगी. हमने उनके साथ लंबी बातचीत की है. जो हुआ, वो ग़लतफ़हमी का नतीजा था.

हालांकि, क़ादर का कहना है कि वो अभी वापस कॉलेज नहीं जाएंगी. कहा कि वो पहले विश्लेषण करेंगी फिर ही अपना फैसला लेंगी.

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2022 की शुरुआत में कर्नाटक में हिजाब बैन की वजह से बहुत बवाल हुआ था. विवाद शुरू हुआ, मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की वजह से कॉलेज में प्रवेश न देने की वजह से. प्रदर्शन हुए, प्रदर्शन के विरोध में प्रदर्शन हुए. इसके बाद राज्य सरकार ने स्कूलों में सभी धार्मिक परिधानों पर बैन लगा दिया. मामला अदालत में गया. कर्नाटक हाई कोर्ट ने बैन को बरक़रार रखा. लेकिन जैसे ही राज्य की सत्ता में  बदलाव हुआ, नई सरकार ने दिसंबर 2023 में इस बैन को हटा दिया.

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