हम आज बात करेंगे एक नक्शे पर बसे दो देशों की, जिन्हें अंग्रेज नक्शा-नवीस सीरिलरेडक्लिफ ने सन 47 में बांट डाला. और इतनी लापरवाही से कि सीमा जिन इलाकों सेगुज़रने वाली थी, रेडक्लिफ ने उनका कोई मौका मुआयना भी नहीं किया था. वो इस काम केलिए 8 जुलाई, 1947 को भारत आए थे और सिर्फ छ: सप्ताह यहां रुके थे. फिर भी इसीकार्यवाही के नतीजे में 14 और 15 अगस्त की दरमियानी रात हिंदुस्तान-पाकिस्तान काविभाजन हो गया. आज हम इस विभाजन की कहानियां सुनाएंगे. लेकिन इसमें सिर्फ इतिहास केतथ्यों का गट्ठर नहीं होगा. हम आपको उन लोगों की कहानियों से वाबस्ता करेंगेजिन्होंने विभाजन के दंश को भुगता. जो फलाने कमीशन और अलानी मीटिंग का हिस्सा नहींथे, आज होंगे उन्हीं सब के किस्से.