बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, लंबे समय से थीं बीमार
Khaleda Zia Passes Away: खालिदा जिया लंबे समय से बीमार चल रही थीं. मंगलवार की सुबह बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने उनके निधन की जानकारी दी. वह बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री भी थीं. अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की वह कट्टर प्रतिद्वंदी मानी जाती थीं.

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया नहीं रहीं. मंगलवार, 30 दिसंबर की सुबह 80 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. खालिदा लंबे समय से बीमार चल रही थीं. उनका 23 नवंबर से ढाका के एवरकेयर अस्पताल में इलाज चल रहा था. बीते कुछ दिनों से उनकी हालत गंभीर हो गई थी. इसके बाद 11 दिसंबर से वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर थीं. दो दिन पहले उनके पर्सनल डॉक्टर ने पुष्टि की थी कि उनकी हालत "बेहद गंभीर" है.
खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री भी थीं. वह अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की कट्टर प्रतिद्वंदी मानी जाती थीं. बांग्लादेश कि सियासत कई सालों तक खालिदा जिया और शेख हसीना के ईर्द-गिर्द ही घूमती रही. इसे “बैटल ऑफ बेगम्स” यानी बेगमों की लड़ाई कहा जाता है. बहरहाल, मंगलवार की सुबह बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने खालिदा जिया के निधन की दुखद जानकारी दी. पार्टी की मीडिया सेल ने फेसबुक में पोस्ट करते हुए बताया,
लंदन ले जाने के लिए तैयार था विमानहम सबकी चहेती नेता बेगम खालदा ज़िया अब हमारे बीच नहीं रही. आज सुबह 6 बजे वह हमें छोड़ कर चली गईं.
बीएनपी ने पोस्ट में बताया कि सोमवार देर रात से उनकी हालत बिगड़ गई थी. आगे के इलाज के लिए उन्हें लंदन ले जाने के लिए कतर से एक स्पेशल विमान स्टैंडबाय पर रखा गया था, लेकिन एक मेडिकल बोर्ड ने उन्हें एवरकेयर हॉस्पिटल से ढाका एयरपोर्ट ले जाने की इजाज़त नहीं दी. खालिदा जिया के डॉक्टरों के मुताबिक वह उम्र से जुड़ी कई बीमारियों से पीड़ित थीं. इनमें लिवर का एडवांस सिरोसिस, गठिया, डायबिटीज और सीने और दिल से जुड़ी दिक्कतें शामिल थीं.
जन्म और शुरुआती जीवनबेगम खालिदा जिया का जन्म 15 अगस्त 1946 को दिनाजपुर जिले में हुआ था. वह बांग्लादेश की प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों में से एक बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की चेयरपर्सन थीं. वह 1991 से तीन बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं. बीएनपी की आधिकारिक साइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक वह बांग्लादेश की पहली महिला थीं, जिन्हें प्रधानमंत्री चुना गया था, वहीं मुस्लिम दुनिया में दूसरी. बेगम जिया के पिता आज के पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी से थे, जहां उनका चाय का कारोबार था. विभाजन के बाद वह तब के पश्चिमी पाकिस्तान यानी आज के बांग्लादेश चले गए थे. खालिदा जिया ने दिनाजपुर गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल और बाद में सुरेंद्रनाथ कॉलेज से पढ़ाई की थी. 1960 में उन्होंने बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान से शादी की थी.
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राजनीति में एंट्री1981 में बांग्लादेश में तख्तापलट की कोशिश हुई, जिसमें राष्ट्रपति जिया मारे गए. इसके बाद खालिदा जिया 2 जनवरी 1982 को बीएनपी में एक आम सदस्य के रूप में शामिल हुईं. उन्हें मार्च 1983 में पार्टी का उपाध्यक्ष चुना गया, और अगस्त 1984 में पार्टी का चेयरपर्सन चुना गया. 1982 में बांग्लादेश सेना के प्रमुख जनरल हुसैन मुहम्मद इरशाद के नेतृत्व में सैन्य तख्तापलट के बाद, उन्होंने लोकतंत्र बहाल करने के लिए एक बड़ा आंदोलन शुरू किया. वह 1983 में इरशाद की तानाशाही को खत्म करने के लिए सात-दलीय गठबंधन बनाने की सूत्रधार थीं.
1991 में बनीं प्रधानमंत्रीबीएनपी की वेबसाइट में बताया गया है कि उन्होंने 1986 के चुनाव को धांधली बताते हुए उसमें हिस्सा नहीं लिया था. इसके बाद उन्हें 1983 से 1990 के बीच सात बार गिरफ्तार भी किया गया था. आगे चलकर 1991 में खालिदा जिया आम चुनाव के जरिए देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. बीएनपी का दावा है कि उनके प्रधानमंत्री रहते हुए ही बांग्लादेश एक संसदीय लोकतंत्र बना.

इसके बाद 1996 के विवादित चुनाव में वह फिर थोड़े समय के लिए प्रधानमंत्री बनीं. हालांकि एक महीने के भीतर ही उन्होंने केयरटेकर सरकार को सत्ता सौंप कर इस्तीफा दे दिया. इसके बाद जून 1996 के नए चुनाव में बीएनपी हार गई. बीएनपी का दावा है कि 116 सीटें जीतकर वह बांग्लादेश के इतिहास में संसद में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनी.
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हसीना की वापसी और खालिदा की गिरफ्तारीबीएनपी के मुताबिक इसके बाद खालिदा ने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया. 2001 में वह फिर से एक बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री चुनी गईं. फोर्ब्स पत्रिका ने 2005 में दुनिया की सौ सबसे शक्तिशाली महिलाओं की अपनी सूची में उन्हें 29वें स्थान पर रखा था. 2006 में फिर से उन्होंने पद छोड़ दिया और सत्ता एक केयरटेकर सरकार को सौंप दी थी. बीएनपी का दावा है कि सितंबर 2007 में, उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को देश से निकालने की कई कोशिशों के बाद, भ्रष्टाचार के मनगढ़ंत और बेबुनियाद आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया.
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