कर्नाटक सरकार के मंत्री बोले, एक दिन ईसाई और मुसलमान भी खुद को RSS से जोड़ लेंगे
मंत्री के इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
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बाएं से दाएं. कर्नाटक के ग्रामीण विकास मंत्री केएस ईश्वरप्पा और RSS (फोटो: इंडिया टुडे)
"मैं कभी भी आरएसएस का हिस्सा नहीं बनूंगा."
यही नहीं इस मुद्दे पर विवाद तब और बढ़ गया, जब सिद्धारमैया ने भाजपा के कुछ नेताओं और मंत्रियों के साथ अपने व्यक्तिगत समीकरणों के बारे में बोलते हुए आरएसएस का जिक्र किया. पूर्व सीएम ने कहा कि पार्टी के मतभेद बाद में आते हैं, इससे पहले व्यक्तिगत संबंध काफी जरूरी होते हैं. इसपर विधानसभा अध्यक्ष ने सिद्धारमैया से पूछा कि वो आरएसएस को लेकर परेशानी क्यों महसूस करते हैं? स्पीकर के इस सवाल पर विधायक जमीर अहमद खान ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि सिद्धारमैया ने स्पष्ट किया है कि वो किसी भावना को जोड़कर अपनी कोई बात नहीं बोल रहे थे, लेकिन आप अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर हमारा आरएसएस कैसे कह सकते हैं. स्पीकर ने जवाब देते हुए कहा, "क्यों मुझे हमारा आरएसएस नहीं कहना चाहिए. आरएसएस हमारा है. मैं आपको एक बात बता दूं कि भविष्य में किसी दिन हमारे देश में, यहां तक कि आपको भी हमारा आरएसएस कहना होगा."दुपट्टा पहनकर परीक्षा की इजाजत इससे पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने मुस्लिम छात्राओं को स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पहनने की इजाजत नहीं दी है. कोर्ट के इस फैसले का छात्राएं विरोध कर रही हैं. हिजाब न पहनने के कारण कई जिलों में छात्राओं ने परीक्षा का बहिष्कार कर अपना विरोध जताया है. इन सबके बीच छात्राओं की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है. इसी सिलसिले में कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने प्रदेश सरकार से छात्राओं को दुपट्टा पहनकर परीक्षा देने की इजाजत देने के लिए कहा, ताकि उनकी पढ़ाई का नुकसान ना हो. सिद्धारमैया ने कहा,Verbal argument ensued in Karnataka Assembly today over CLP leader Siddaramaiah's remark over RSS during a discussion on law & order in the state
It's our RSS, my RSS, you'll all say RSS in coming days: Speaker All Muslims & Christians will also say RSS in future: KS Eshwarappa pic.twitter.com/Mf8PJAskGC — ANI (@ANI) March 24, 2022
"बुधवार को कई मुस्लिम धर्मगुरु और अल्पसंख्यक नेताओं ने मुझसे मुलाकात की. उनकी मांग है कि छात्राओं को दुपट्टा पहनकर पेपर देने के इजाजत दी जाए ताकि उन्हें धार्मिक मूल्यों के साथ भी किसी तरह का समझौता न करना पड़े. छात्राएं स्कूल की ड्रेस पहनेगी, बस उन्हें दुप्पटा भी पहनने दिया जाए. क्योंकि बुर्का, हिजाब और दुपट्टे में फर्क होता है."सिद्धारमैया ने आगे कहा कि जहां तक मैं समझता हूं ये कोर्ट के फैसले का उल्लंघन नहीं होगा. मैं सरकार से अपील करता हूं कि वो इसकी इजाजत दे, ताकि महिलायें शिक्षा से वंचित न रहें और उनके मौलिक अधिकार का हनन भी न हो.