JNU Campus BBC Documentary screening conflict full timeline

कल रात JNU में पत्थरबाज़ी हुई, एक-एक मिनट की कहानी यहां पढ़िए!

किसके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज हुई?
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पुलिस अधिकारी और प्रदर्शन करते छात्र (तस्वीर - सोशल मीडिया)
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BBC की डॉक्यूमेंट्री 'India - The Modi question' के दोनों पार्ट्स आ गए हैं. 17 तारीख़ को पहला पार्ट आया और 24 की रात दूसरा. और, इस डॉक्यूमेंट्री की वजह से 24 और 25 जनवरी की दरमियानी रात दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) कैंपस में भयानक हंगामा हुआ. लेफ़्ट समर्थक छात्रों ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करवाई थी और स्क्रीनिंग के दौरान बत्ती काट दी गई. फिर उनपर कथित तौर पर पत्थरबाज़ी की गई. आरोप है कि ABVP से जुड़े लोगों ने बिजली काटी थी और पत्थर चलाए थे. पत्थरबाज़ी के बाद लेफ़्ट गुटों ने प्रदर्शन किया. मार्च निकाला. फिर छात्र वसंत कुंज थाने पहुंचे. पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और आधी रात को प्रदर्शन ख़त्म कर दिया. JNU कैंपस के पूरे विवाद में शुरू से लेकर अंत तक क्या हुआ, ये आपको बताते हैं.

पत्थर किसने चलाया?

लेफ़्ट छात्र संगठन स्टूडेंट फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (SFI) ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का आयोजन किया था. JNU के स्टूडेंट यूनियन के दफ़्तर पर. 24 जनवरी की रात 9:00 बजे से स्क्रीनिंग होनी थी. कैंपस में जगह-जगह पोस्टर लगा दिए गए. स्क्रीनिंग से एक दिन पहले 23 जनवरी को ही यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस कार्यक्रम पर रोक लगा दी. प्रशासन की रोक के बावजूद लेफ़्ट समर्थक छात्र इस फिल्म की स्क्रीनिंग पर अड़े रहे.

और, 24 जनवरी की शाम 7:30-8 बजे से ही फ़िल्म की स्क्रीनिंग के लिए स्टूडेंट यूनियन के दफ़्तर के बाहर इकट्ठा होने लगे. छात्रों को इकट्ठा होते देख प्रशासन ने कैंपस के सिक्योरिटी गार्ड्स तैनात कर दिए. इंडिया टुडे के अमरदीप कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक़, दिल्ली पुलिस के जवान और अधिकारी भी कार्यक्रम वाले स्थल पर पहले से ही मौजूद थे. पुलिस की वर्दी में नहीं, सिविल ड्रेस में.

रात 8.30 बजे: पूरे कैंपस में अचानक ब्लैक आउट हो गया. यानी स्क्रीनिंग के टाइम से ठीक आधे घंटे पहले पूरे कैंपस की लाइट चली गई. लाइट नहीं, तो स्क्रीनिंग नहीं. छात्रों ने लगभग 1 घंटे तक लाइट के आने का इंतज़ार किया. सिक्योरिटी गार्ड्स वहीं पर थे.

लाइट का इंतज़ार करते छात्र (फोटो - ट्विटर)

रात 9.30 बजे: पूरे कैंपस में अंधेरा था. छात्र लाइट का इंतज़ार कर रहे थे. JNUSU की प्रेसिडेंट आइशी घोष ने कार्यक्रम स्थल पर मौजूद सभी छात्रों से कहा,

"भले ही प्रशासन ने लाइट काट दी हो और प्रोजेक्टर स्क्रीन पर फिल्म की स्क्रीनिंग रुक गई हो, लेकिन हम ये फ़िल्म ज़रूर देखेंगे. और, इसके लिए यहां मौजूद सभी छात्र अपने मोबाइल और लैपटॉप पर फ़िल्म देखेंगे."

प्रोजेक्टर नहीं, तो छात्रों ने लैपटॉप में डॉक्यूमेंट्री देखनी शुरू कर दी (फोटो - सोशल मीडिया)

रात 10.15 बजे: ब्लैक-आउट के बावजूद दर्जनों छात्र लैपटॉप और मोबाइल पर डॉक्यूमेंट्री देख रहे थे. अंधेरे में से ही किसी ने छात्रों पर पत्थर चला दिया. पत्थर चलने से भगदड़ मच गई. पत्थर चलाया किसने, तब तक ये किसी को नहीं पता था. डॉक्यूमेंट्री देख रहे छात्रों ने आरोप लगाया की मूवी स्क्रीनिंग को रोकने के लिए ABVP के छात्रों ने पथराव किया है. पत्थरबाज़ी के विरोध में छात्रों ने मेन गेट तक मार्च निकाला. तब तक पत्थबाज़ी के वीडियो सोशल मीडिया पर फैलने लगे. मेन गेट पर मीडियाकर्मी पहुंच गए.

लेफ़्ट संबंधित छात्रों का दावा है कि पत्थर ABVP वालों ने चलाए थे (फोटो - आजतक)

रात 11.00 बजे: मेन गेट पर पहुंचकर छात्रों ने जमकर नारेबाज़ी की. बहुत देर तक सरकार और प्रशासन के ख़िलाफ प्रदर्शन चलता रहा. इतने में लेफ़्ट समर्थक छात्रों ने दो ABVP के छात्रों को पकड़ लिया और उनपर पत्थरबाज़ी के आरोप लगाने लगे. हालांकि, थोड़ी देर बाद दोनों लड़कों को छोड़ दिया गया. गेट पर प्रदर्शन के दौरान JNUSU प्रेसिडेंट घोष ने फिर से छात्रों को संबोधित किया. प्रशासन, सरकार, ABVP, RSS, और पुलिस के रवैए पर सवाल उठाए. कहा कि पूरे कैंपस में ब्लैक आउट है और ऐसे में हॉस्टल जाने में ख़तरा हो सकता है. धरना दे रहे छात्रों से अपील भी की, कि इस पूरी घटना की शिकायत करने के लिए वो सब पैदल वसंत कुंज थाने चलें. छात्रों ने अपील मानी और स्टूडेंट्स का एक बड़ा जत्था प्रदर्शन करते हुए वसंत कुंज थाने के लिए निकला.

आधी रात 12.00 बजे: आधी रात को तमाम लेफ़्ट समर्थक छात्र वसंत कुंज थाने पहुंचे. JNUSU की प्रेसिडेंट के साथ तीन चार लोग थाने के अंदर गए और घटना की शिकायत दर्ज करवाई.

मेन गेट पर धरना दे रहे छात्र (फोटो - सोशल मीडिया)

रात 01.45 बजे: JNUSU प्रेसिडेंट आइशी घोष थाने के बाहर आईं और मीडिया को बताया कि उन्होंने 20-25 लोगों के ख़िलाफ़ शिकायत दी है. पुलिस की तरफ़ से आश्वासन दिया गया कि वो गंभीरता से इस विषय की जांच करेंगे. साथ ही जिन लोगों को चोटें लगी है, वो दिन में ख़ुद थाने आकर पुलिस को अलग से शिकायत देंगे. और, छात्र संघ JNU प्रशासन को लिखित शिकायत करेगा.

इस प्रक्रण के बाद JNU प्रशासन और पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं. एक तरफ़ पूरे केंपस में ब्लैक आउट और दूसरी तरफ़ छात्रों पर पत्थरबाज़ी. घंटों तक प्रदर्शन भी चला, लेकिन प्रशासन की तरफ़ से कोई भी सामने नहीं आया. वहीं, कार्यक्रम के शुरू होने के घंटों पहले से दिल्ली पुलिस के कई जवान, स्थानीय SHO और SP कैंपस में मौजूद थे. बावजूद इसके ये सारी हिंसा हुई. इस पूरे घटनाक्रम में कितने छात्रों को चोट आई है और पत्थरबाज़ी किसने की, ये साफ नहीं हुआ. न कोई आरोपी पकड़ा गया है.


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